- हरे चारे के अभाव में तिल-तिल मर रहे गोवंश, गोशाला में गोवंशों का हाल-बेहाल
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के चलते प्रदेश में आवारा गोवंश को सुरक्षित करने के तमाम आदेश धराशाई होते नजर आ रहे हैं। आदेशों के हवाई होने के चलते आवारा जानवरों की वजह से किसान अपनी फसल को बचाने के लिए दिन रात खेतों की रखवाली कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ गोशालाओं का भी हाल बेहाल है। छुट्टा जानवरों को पकड़कर इन गोशालाओं में रखा तो जा रहा है,
लेकिन इन गोशालाओं में गोवंशों का हाल सही नहीं है। गोवंश को गोशाला में ना समय पर इलाज मिल रहा है ना ही पर्याप्त भोजन, जिसके चलते अधिकांश गोवंश भूख से तड़प रहा है। ऐतिहासिक नगरी स्थित गोशाला का यह हाल तब है। जब खंड विकास कार्यालय द्वारा संचालित इस गोशाला में लाखों रुपये महीने का चारा दान में आता है।
महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ नगरी में बढ़ती गोवंश की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए लगभग पांच साल पूर्व हस्तिनापुर मालीपुर मार्ग प्रदेश सरकार द्वारा गोशाला का निर्माण कराया गया, लेकिन वर्तमान में गोशाला की तस्वीरें बेहद शर्मनाक हैं। इस गोशाला की हालत बद से बदतर हो चुकी है। यहां के ग्रामीणों का कहना है किस गांव में बनी गोशाला के अंदर लिखित में 703 गाय हैं, लेकिन मौके पर 400 ही बची हैं।
गोशाला के अंदर गायों की हालत खराब है, गोवंश को ना तो समय पर चारा मिल रहा है ना पर्याप्त इलाज जहां हर दिन एक न एक गाय भूख और बीमारी के कारण मर रही हैं। गुप्त सूत्रों की माने तो गोशाला कि कागजों में प्रतिदिन 803 गायों के लिए 150 कुंतल से भी अधिक द्वारा आता है, लेकिन गोवंश पहुंचते-पहुंचते चारा महज 50 कुंतल रह जाता है।
बाकी चारा कहां गायब हो जाता है। बाकी चारा कहां गायब हो जाता है। लोगों के लिए यह रहस्य बन जाता है। ग्रामीणों के अनुसार 50 कुंतल चारे के हालात भी बद से बदतर हालत कर उनके आगे परोसा जाता है। अगर गोवंश के पेट में भूख ना हो तो यह सारा उनके लिए खा पाना मुश्किल है।
गोवंशों को न चारा मिल रहा और न इलाज
सरकार की तरफ से गोशालाओं को लेकर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद गोशाला में गो सेवा करने वाले लोगों को भी समय पर ना ही तनख्वाह मिल रही हैं न ही गायों को सही से देखरेख की जा रही है। नजारा अंदर देखा तो वहां पर एक गाय मृत अवस्था में पड़ी है, दो गाय गंभीर बीमार हालात में थी। यहां के गो सेवकों का कहना है कि यहां उन्हें समय पर खाना दिया जा रहा है। कुछ जानवर आपस में लड़कर घायल हो जाते हैं और उन्हें चोटें लगती हैं, जिस कारण भी वह मर जाते हैं।
मुझे चार दिन पहले ही गोशाला का चार्ज मिला है। व्यवस्थाओं को जल्द दुरुस्त किया जाएगा। -राजीव देशवाल, ग्राम विकास अधिकारी