Tuesday, July 9, 2024
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ईश्वर निर्मित हैं ब्रह्मांड के नाटक

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ईश्वर कहते हैं कि वे हर जगह हैं। हवा में, पानी में, धरती में, आकाश में, अग्नि में, वो इसलिए कि ये सब उनके ही अंग हैं। उनके ही निर्माण हैं। जब इस नाटक को उन्होंने बनाया है तो सभी चीजें जीव उनसे ही निर्मित हैं। अब बात यहां आती है कि उन्होंने हर व्यक्ति को अपने कर्म अपने हिसाब से करने की छूट दी है। उन्होंने कर्म तय किया है। उसे करने का तरीका नहीं। यह उसके पूर्वजन्म और इस जन्म से संबंधित है। यह जरूरी नहीं कि हर कर्म पूर्वजन्म से संबंधित हो, कुछ कर्म इस जन्म में ही बनते हैं। और सही प्रकार से किया जाये तो इसी जन्म में खत्म भी होते हैं उसका अगले जन्म पर कोई प्रभाव नहीं है।

हर व्यक्ति का कर्म तय है ये हम सब जानते हैं। जिस प्रकार हम टीवी पर विभिन्न नाटकों को देखते हैं जिनमें आपस में कोई संबंध नहीं होता। ठीक उसी प्रकार ईश्वर के बनाए हुए कुछ नाटक इस ब्रह्मांड में हैं जिनमें आपस में कोई संबंध नहीं है, जिनमें से एक नाटक का नाम है पृथ्वी। इस पृथ्वी पर जितने जीव विचरण कर रहे हैं। उन सबका कर्म तय है। उसके पूर्वजन्म के आधार पर हम कहतें हैं कि जो कुछ होता है सब ईश्वर की मर्जी से होता है। सच है पर क्या हमने कभी यह सोचा है कि इस कर्म में हमारा योगदान 99 प्रतिशत है और ईश्वर का एक प्रतिशत।

ईश्वर ने एक नाटक की रचना की है। जिसमें हर जगह माया है, उसकी महिमा है। जो उस माया को जान लेता है समझ जाता है उस समय से उस व्यक्ति को संसार से विरक्ति हो जाती है। इसमें भी दो बातें होती हैं। उसने तो एक बार हर व्यक्ति का भाग्य लिख दिया और उसे जीवन जीने के लिए भेज दिया है। और अब उसे अपने कर्म करना है। कर्म कैसे करना है ये उन्होंने तय नहीं किया है कब करना है ये उन्होंने तय किया है।

जो व्यक्ति इस कर्म, भाग्य, मोह के बंधन से उपर उठ जाता है तो वो उनसे जुड़ जाता है। और हर चीज को उनके नजरिये से देखता है। उन पर माया मोह का कोई असर नहीं होता क्योंकि ये सब उनकी ही बनाई हुई है। अब एक व्यक्ति वो है जो उनसे जुड़कर उनके पास आने के लिए व्याकुल हो जाता है। और दूसरा वो जो उन तक पहुंच तो गया है लेकिन अपनी इच्छा से धरती पर रहना चाहता है।

अब ईश्वर कहते हैं कि वे हर जगह हैं। हवा में, पानी में, धरती में, आकाश में, अग्नि में, वो इसलिए कि ये सब उनके ही अंग हैं। उनके ही निर्माण हैं। जब इस नाटक को उन्होंने बनाया है तो सभी चीजें जीव उनसे ही निर्मित हैं। अब बात यहां आती है कि उन्होंने हर व्यक्ति को अपने कर्म अपने हिसाब से करने की छूट दी है। उन्होंने कर्म तय किया है। उसे करने का तरीका नहीं। यह उसके पूर्वजन्म और इस जन्म से संबंधित है। यह जरूरी नहीं कि हर कर्म पूर्वजन्म से संबंधित हो, कुछ कर्म इस जन्म में ही बनते हैं। और सही प्रकार से किया जाये तो इसी जन्म में खत्म भी होते हैं उसका अगले जन्म पर कोई प्रभाव नहीं है।

कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति के कर्म करने का तरीका गलत हो जाता है तो उसे सही करने को ईश्वर को भी धरती पर अवतरित होना पढ़ता है। तुम समझ रहे हो न मेरा मतलब! देखो मेरी जगह पर आकर, ईश्वर ने तो दुनिया का निर्माण कर दिया, हर व्यक्ति का निर्माण और उसका भाग्य तय कर दिया। और वो उस हिसाब से जीवन जिया फिर उसका पुनर्जन्म हुआ। इस समय हमेशा ये कोशिश करते हैं कि व्यक्ति नई जिंदगी नये तरीके से जिए। उसका अगला भाग्य उसके बीते हुए जन्म के कर्मों द्वारा तय किया जाता है। व्यक्ति और समस्त जीवों का यह कर्म लगातार चलता रहता है। ये ठीक उस तरह से है जैसे कि किसी नाटक के अगले एपिसोड की स्क्रिप्ट तैयार होने के लिए डायरेक्टर के पास जाती है एप्रूव होने के लिए। जिस प्रकार कोई डायरेक्टर किसी व्यक्ति के नेचर को उसके व्यक्तित्व को परिवर्तित नहीं कर सकता क्योंकि वो ईश्वर द्वारा बनाई गई है। ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी किसी भी व्यक्ति के कर्म को तय करने के बाद उसे नहीं छेड़ते।

जो तुम अंतरिक्ष में नौ ग्रहों को देखते हो। उस हर ग्रह की एक अलग पहचान होती है। उसकी अलग क्वालिटी होती है। और ये हर ग्रह अलग-अलग प्रकार का चुंबकत्व रखता है। कुछ भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। कुछ व्यवहार को कुछ दिमाग को और इस सब ग्रहों का प्रभाव एक मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। इस अंतरिक्ष में केवल नौ ही ग्रह नहीं हैं। असंख्य ग्रह हैं। लेकिन हर ग्रह की एक लिमिट होती है। व्यक्ति पर मुख्यत: इन्हीं ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। अब आ जाओ कुंडली पर जिसने पहली बार कुंडली बनाई थी उसने ग्रहों की ही गणना को ध्यान में रखा था। और तब से ये चली आ रही है। इसमें ये होता है कि जब काई जन्म लेता हे। तो उस समय जो ग्रहों की स्थिति होती है, वो उसके पूरे जीवन को प्रभावित करती है। ग्रह दो तरह से प्रभाव डालते हैं। एक तो जन्म समय पर स्थिति होती है वो, और दूसरे जो वर्तमान में चल रहे हैं। इन्हीं दोनों के संतुलन से जीवन चलता रहता है। अब जो व्यक्ति कुंडली पढ़ना जानते हैं। उन्हें हर चीज पता होती है उस कुंडली के आधार पर।


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