श्रीप्रकाश शर्मा |
सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन, जिसे आईएएस की परीक्षा के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं की जननी के रूप में शुमार किया जा सकता है। ब्रिटिश भारत में इस परीक्षा को इम्पीरियल सिविल सर्विस के नाम से जाना जाता था। बाद में इस परीक्षा को इंडियन सिविल सर्विस (आईसीएस) कहा जाने लगा। सत्येन्द्रनाथ टैगोर प्रथम आईसीएस आॅफिसर थे। आॅल इंडिया लेवल की यह परीक्षा 1 अक्तूबर 1926 को स्थापित संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) नई दिल्ली के द्वारा आयोजित की जाती है। चार्ल्स कॉर्नवालिस को भारत में इंडियन सिविल सर्विसेज का जनक कहा जाता है। अन्ना राजम मल्होत्रा को स्वतंत्र भारत के प्रथम आईएएस आॅफिसर बनने का गौरव प्राप्त है।
भारत की संघीय व्यवस्था में आईएएस का पोस्ट सबसे अधिक सम्मान और अधिकार का होता है, क्योंकि देश में विकास और कल्याण के सभी कार्यक्रमों के सफल इम्प्लिमेन्टेशन की जिम्मेदारी एक आईएएस की ही होती है। यही कारण है कि एक आईएएस आॅफिसर अपनी सेवा काल में भारत सरकार के सर्वाधिक उत्कृष्ट कैबिनेट सेक्रेटरी के पद पर भी पहुंच सकता है। भारत में आर पिल्लई पहले आईएएस आॅफिसर थे, जो कैबिनेट सेक्रेटरी के पद तक पहुंच पाए थे।
इस परीक्षा के माध्यम से आईएएस, आईएफएस, आईपीएस सहित 24 पदों के लिए रीक्रूटमेंट किया जाता है। तीन फेज में आयोजित होनेवाली इस परीक्षा में तकरीबन दस लाख से अधिक उम्मीदवार अप्लाई करते हैं और पहले फेज की परीक्षा अर्थात प्रीलिमनेरी टेस्ट में लगभग साढ़े 5 लाख से अधिक उम्मीदवार बैठते हैं।
इस परीक्षा में प्राय: 10 हजार उम्मीदवार मेंस की परीक्षा के लिए क्वालिफाई करते हैं, जिसके उपरांत 2 हजार उम्मीदवार पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए चुने जाते हैं। अंत में लगभग साढ़े छह सौ उम्मीदवारों का विभिन्न सेवाओं के लिए चयन किया जाता है। इस आधार पर यह निष्कर्ष लगाना आसान है कि इस परीक्षा का डिफिकल्टी लेवल काफी हाई होता है और इसीलिए कामयाबी की राहें आसान नहीं होती हैं। यही कारण है कि आईएएस का सपना देख रहे लाखों उम्मीदवारों के लिए यह परीक्षा एक अग्नि परीक्षा के समान ही कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। परीक्षा का हाई डिफिकल्टी लेवल और अत्यंत निम्न सक्सेस रेट के लिहाज से सिविल सर्विसेज परीक्षाओं की तैयारी एक लिए एक सुनिश्चित योजना और परफेक्ट स्ट्रैटिजी का होना अतिआवश्यक होता है।
परीक्षा के लिए अनिवार्य अर्हताएं
आईएएस और आईपीएस के पदों पर भर्ती के लिए आवश्यक रूप से भारतीय नागरिकता जरूरी है। शैक्षणिक योग्यता के रूप में केंद्रीय, राज्य या डीम्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री अनिवार्य होती है। आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 32 वर्ष होती है। भारत सरकार के प्रावधानों के अनुसार आयु सीमा में छूट की भी मान्यता होती है। जेनरल केटेगरी के उम्मीदवार इस परीक्षा में अधिकतम 6 बार बैठ सकते हैं, जबकि ओबीसी के उम्मीदवार 9 बार और एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा के अंदर इस परीक्षा में बैठने की संख्या की कोई सीमा तय नहीं है।
एग्जाम पैटर्न
प्रीलिमनरी परीक्षा: सिविल सेवा परीक्षा का यह स्टेज दो पेपर का होता है। पहला पेपर जनरल स्टडीज फर्स्ट और दूसरा पेपर जेनरल स्टडीज पेपर सेकंड का होता है। जनरल स्टडीज के पहले पेपर में मल्टीपल चॉइस के 100 प्रश्न होते हैं। जेनरल स्टडीज का दूसरा पेपर सिविल सर्विसेज ऐप्टिट्यूड टेस्ट भी कहलाता है जिसमें 80 प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक पेपर में आॅब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों के 200 अंक होते हैं। सीसैट का पेपर क्वालिफाइंग नेचर का होता है, जिसमें क्वालिफाई करने के लिए न्यूनतम 33 फीसदी मार्क्स प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
दूसरा स्टेज मेंस परीक्षाओं का और तीसरा फेज पर्सनैलिटी टेस्ट (इंटरव्यू) का होता है। मेंस में 9 पेपर्स की परीक्षाएं होती हैं जिसमें 300-300 के दो पेपर इंडियन लैंग्वेज और इंग्लिश के होते हैं जो क्वालिफाइंग नेचर के होते हैं। सात पेपर्स में प्राप्तांक के आधार पर पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए रैंकिंग तैयार की जाती है। इसी परीक्षा में 250 मार्क्स का निबंध होता है और 250 अंकों के जनरल स्टडीज के चार पेपर्स होते हैं। अर्थात जनरल स्टडीज के चारों पेपर्स 1000 अंकों के होते हैं। आॅप्शनल सब्जेक्ट के दो पेपर्स होते हैं, जो प्रत्येक 250 मार्क्स के होते हैं। इंटरव्यू 275 मार्क्स का होता है। इस प्रकार मेंस एग्जाम के 7 पेपर्स के 1750 मार्क्स और इंटरव्यू के 275 मार्क्स को जोड़कर कुल 2025 मार्क्स की परीक्षाएं
होती हैं।
आईएएस की परीक्षा का पैटर्न काफी जटिल और विशाल है और इसलिए इसमें सफलता के लिए तैयारी की स्ट्रैटिजी काफी सोच-समझकर बनानी होती है। इस परीक्षा में सफलता के लिए लगातार दोषरहित रणनीति के साथ कठिन मेहनत और दृढ़ आत्मविश्वास आवश्यक होता है। अच्छी रणनीति और तैयारी के अभाव में कामयाबी की राहें कठिनाइयों से भरी
होती हैं।
जनरल स्टडीज की कॉम्प्रीहेन्सिव तैयारी है बहुत जरूरी
जनरल स्टडीज का पेपर सिविल सेवा परीक्षा के लिए फाउंडेशन स्टोन की तरह अहम होता है, जिसकी मजबूती पर कामयाबी निर्भर करती है। प्रीलिमनरी परीक्षाओं से लेकर मेंस की परीक्षाओं तक जेनरल स्टडीज के चार पेपर्स होते हैं। इन सभी पेपर्स में उत्कृष्ट परफॉरमेंस के लिए जनरल स्टडीज की विस्तृत तैयारी जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले बेसिक जानकारियां प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे हम छठी कक्षा से लेकर बारहवीं की कक्षा तक की सभी विषयों के एनसीईआरटी टेक्स्ट बुक्स के गहन स्टडी से संभव बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त दो इंग्लिश और हिंदी न्यूजपेपर्स को नियमित रूप से पढ़ने की जरूरत है और इनके संपादकीय की एनालिटिकल स्टडी भी अनिवार्य होता है।
स्टडी मटेरियल्स की उपलब्धता
सिविल सेवा परीक्षा के लिए जनरल स्टडीज के साथ-साथ आॅप्शनल पेपर्स के लिए स्टडी मटेरियल्स के कलेक्शन का कार्य भी कम चैलिंजिंग नहीं होता है। बाजार में सभी विषयों पर इन परीक्षाओं के लिए स्टडी मटेरियल्स बहुतायत से उपलब्ध है, लेकिन जब उनकी क्वालिटी और स्टैंडर्ड का सवाल आता है तो फिर बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में पोस्टल कोचिंग संस्थाएं भी काफी मदद कर सकती हैं। प्रोफेशनल्स से भी इस बारे में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। सफल आईएएस के सुझाव भी इस बारे में काफी सहायता प्रदान कर सकता है।
जरूरी है टाइट टाइम टेबल
आईएएस की परीक्षाएं प्राय: दो वर्षों में संपन्न होती हैं और इतने लंबे पीरियड में कसे हुए टाइम टेबल के साथ तैयारी करना जरूरी होता है, क्योंकि जब टाइट टाइम शिड्यूल के साथ परीक्षा की तैयारी की जाती है तो पूरा पाठ्यक्रम कवर होता है और आत्मविश्वास बना रहता है। पाठ्यक्रम का कोई भी हिस्सा छूटता नहीं है और बेहतर ढंग से टाइम मैनेजमेंट भी हो जाता है। वैसे केवल-टाइम टेबल बना लेना ही महत्वपूर्ण नहीं होता है। बनाए गए शिड्यूल के अनुसार खुद को ढालना भी अनिवार्य होता है ताकि एक निश्चित डेडलाइन में परीक्षा के लिए पाठ्यक्रमों की तैयारी मुकम्मल हो पाए।
सेल्फ-स्टडी से होगी लक्ष्य की सिद्धि
सेल्फ-स्टडी का महत्व महाभारत काल के एकलव्य से चर्चित है जब उन्होंने द्रोणाचार्य के द्वारा ठुकराए जाने पर भी केवल निरंतर अभ्यास से एक प्रसिद्ध धनुर्धर बनकर अपनी प्रतिभा को सिद्ध कर पाए थे। सिविल सेवा की परीक्षा में सेल्फ-स्टडी का प्रभाव भी उतना ही चमत्कारी है। परीक्षा के विशाल पाठयक्रम की तैयारी के लिए कठिन स्वाध्याय का कोई विकल्प नहीं है। इस परीक्षा में सफलता एक कठोर साधना सरीखी होती है जिसकी सिद्धि में सेल्फ-स्टडी की भूमिका काफी अहम होती है। लिहाजा यदि आपमें आईएएस बनने की लालसा है तो आपको लंबे समय तक सेल्फ-स्टडी के लिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना पड़ेगा।
नोटबुक बनाना भी एक कला है
किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए संपूर्ण पाठ्यक्रम के नोट्स कई प्रकार से परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए अहम होता है। जब पढ़ने के साथ हम इम्पॉर्टन्ट फैक्ट्स और फिगर्स को नोट करते जाते हैं तो रीविजन का कार्य काफी आसान हो जाता है। नोट साफ-सुथरा हो और महत्वपूर्ण जानकारियां हाईलाइट किए हों तो इस परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है। लिहाजा सेल्फ स्टडी के समय महत्वपूर्ण टॉपिक्स और पॉइंट्स को नोट में लिखते जाने चाहिए ताकि टास्क आसान हो जाए।
असफलताओं से सीखें और आगे बढ़ें
असफलताओं से घबराना सहज मानवीय स्वभाव है। लेकिन आईएएस सरीखे कठिन परीक्षाओं में पहली असफलता के बाद ही हिम्मत हार जाना और हताश हो जाना काफी खतरनाक स्थिति है। इससे कामयाबी का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। हकीकत में असफलता हमें अपनी कमियों को जानने में मदद करती है और इस लिहाज से उन कमियों को दूर करके फिर से आत्मविश्वास के साथ परीक्षा की तैयारी में जुट जाने से अंतत: सफलता हासिल होती है। प्रसिद्ध ब्रिटिश फिलॉसफर जेरेमी बेंथम ने एक बार कहा था, ‘निरन्तरता मानव का सबसे बहुमूल्य गुण है।’ असफलता के बावजूद सफल होने के लिए निरंतर प्रयास करने में ही कामयाबी का राज छुपा होता है। इसलिए असफलता की स्थिति में खुद की काबिलियत में संदेश करने की बजाय खुद की कमियों को ढूंढकर उन्हें दूर करना चाहिए और धैर्यपूर्वक आगे बढ़ते रहना चाहिए।
जरूरी है मॉक टेस्ट से खुद का आकलन करते रहना
कहते हैं कि अभ्यास से इंसान किसी भी विधा में परफेक्ट बनता है और आईएएस की परीक्षा में कन्सिस्टन्ट मॉक टेस्ट का मनोविज्ञान इससे बिल्कुल अलग नहीं है। निश्चित समय अंतराल पर तैयार किए गए पाठ्यक्रम और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र से संबंधित मॉक टेस्ट देते रहने से खुद की तैयारी का लेवल पता लगता है और हमें अपनी कमियों की भी जानकारी प्राप्त होती है। इसीलिए समय-समय पर मॉक टेस्ट देते रहें। इससे तैयारी ऐक्सेलरैट होती है और हम अपने लक्ष्य के साकार होने के करीब पहुंचते जाते हैं।
इन बातों का भी खास ध्यान रखें
- विश्वसनीय स्टडी मटेरियल्स का ही चुनाव करें। करंट अफेयर्स के लिए स्टैन्डर्ड बुक्स, पेपर्स और पत्रिकाओं का सिलेक्शन करें।
- पीछे वर्षों के प्रश्न पत्रों का गहराई से अध्ययन करें ताकि प्रेपरैशन का मोड पता लग पाये।
- एनसीईआरटी टेक्स्ट बुक्स पढ़ें और मल्टीप्ल चॉइस क्वेशचंस और डिस्क्रिप्टिव प्रश्नों के अलग-अलग नोट बनाएं।
- प्रारंभिक और मेंस परीक्षाओं की तैयारी साथ-साथ करें। इससे तैयारी शीघ्र संभव हो पाती है।
- आॅप्शनल सब्जेक्ट का सिलेक्शन अपनी रुवि, अनुभव और क्षमता के आधार पर करें।
- सीसैट की तैयारी आईएएस की परीक्षा की नींव होती है। लिहाजा इसकी गंभीरता से तैयारी अनिवार्य है।