- शहर में जनवाणी ने देखी नारकीय स्थिति, सच आया सामने
- गंदगी के लगे ढेर से साफ हो रहा है कि गली मोहल्ले से नहीं उठ रहा कूड़ा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ : एक तरफ तो शहर के बड़े हिस्से में सफाई करने के दावे किये जा रहे हैं, मगर वास्तविकता यह है कि शहर के गली-मोहल्लों से गंदगी उठ नहीं पा रही है।
गलियों के पास बने अवैध कूड़ा डंपिंग प्लाट में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। ऐसा तब है जब शहर में करीब तीन हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी वर्तमान में तैनात है।
नगर निगम के अधिकारी इस बात से भी सबक नहीं ले रहे है कि शहर का गंदगी के मामले में सातवें स्थान पर नंबर आया है। यदि तनिक भी शर्म होती तो कम से कम गलियों के बाहर डाले जा रहे गंदगी के ढेर तो साफ किये जाते। शहर की सफाई को लेकर नगर निगम के अधिकारी भी फोकस नहीं कर रहे हैं।
फोकस तभी से होना चाहिए था, मगर अब अधिकारी निरीक्षण के लिए भी नहीं निकलते हैं। नगरायुक्त जब तक कमान नहीं संभालेंगे, तब तक शहर क्लीन होना बेहद मुश्किल काम है।
दरअसल, कमिश्नर अनीता सी मेश्राम यह कह भी चुकी है कि हर रोज ड्यूटी पर जाने वाले सफाई कर्मियों की ड्यूटी चेक की जाए, मगर ड्यूटी चेक कौन करेगा?
नगर स्वास्थ्य अधिकारी पिछले तीन माह से ड्यूटी पर आ ही नहीं रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी पत्नी बीमार है। ऐसे में सफाई कर्मियों की ड्यूटी कौन चेक करेगा?
इसके लिए जवाबदेही तो नगरायुक्त की है, मगर वह भी सफाई हो रही है या फिर नहीं, इसकी चेकिंग करने निकलते ही नहीं। यह हालत तब तक ऐसी बनी रहेगी, जब तक कोई अधिकारी सख्ती के साथ सफाई को लेकर फोकस नहीं करते हैं।
नाले नहीं हुए साफ
शहर के भीतरी क्षेत्रों में जो नाले है, उनकी सफाई हुई ही नहीं है। बड़े नालों की सफाई के नाम पर तो बड़ा गोलमाल हो ही चुका है, मगर छोटे नालों की स्थिति भयावह है।
शाहपीर गेट वाले नाले पर भी गंदगी अटी पड़ी है, जिसको लंबे समय से साफ ही नहीं किया गया। यही कुछ हालत सोहराब गेट की है। यहां भी लंबे समय से नाले की सफाई नहीं हुई।
शोहराब गेट से सटकर पुलिस चौकी है, जिसके पीछे से नाला बह रहा है। इसमें कूड़ा अटा हुआ है। पानी कैसे निकलता है, यह बहुत ही मुश्किल है। कहा जा रहा है कि वर्षों से इस नाले की सफाई हुई ही नहीं। फिर बारिश में इस तरह से छोटे नाले भी उफन जाते हैं, जिससे सड़कों पर पानी भर जाता है।