Friday, July 25, 2025
- Advertisement -

जर्जर अव्यवस्थ संग कोरोना से कैसे निपटेंगे

SAMVAD 2


BHUPENDRA GUPTAकोविड-19 की दूसरी लहर के संघातिक होने के पूवार्नुमान पहले से ही चिकित्सक और वैज्ञानिकों ने लगाए थे। उन्होंने दुनिया को और दुनिया की सरकारों को उन्होंने चेताया भी था किंतु जिन्होंने पहले से तैयारी की वह इसके असर से खुद को बचा सके। जिन्होंने तैयारी नहीं की बे बुरी तरह चपेट में आ गए। भारत भी इस चपेट का शिकार हुआ है। परिस्थिति को समझने और उसके अनुरूप कदम उठाने की बजाए बलि का बकरा ढूंढने की आम सोच इस देश का और भी कबाड़ा कर रही है। दुनिया के महत्वपूर्ण चिंतकों की राय है कि भारत में प्रति दस हजार की आबादी पर केवल 8.5 बिस्तर ही अस्पतालों में उपलब्ध हैं और इसी तरह प्रति दस हजार की आबादी पर मात्र आठ चिकित्सक। इसके बावजूद बेजान हेल्थ केयर डिलीवरी सिस्टम करेला और नीम चढ़ा की तरह हमें नाक चिढ़ाता है। फिच की एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में स्वास्थ्य बीमा 80 प्रतिशत आबादी की पहुंच में नहीं है 68 प्रतिशत आबादी आवश्यक दवाओं की पहुंच से दूर है। क्या इस ढांचे से इतने बड़े संकट से लड़ा जा सकता है? यह प्रश्न हमारे एडमिनिस्ट्रेशन और निर्णय लेने वाली कोटरी के सोचने का है ।

दावा किया जा रहा है कि भारत में लगभग 13 करोड़ लोगों तक 8 करोड़ वैक्सीन अप्रैल तक लगाए जा चुके हैं जो अमेरिका और चीन के बाद सर्वाधिक होने के बावजूद प्रति व्यक्ति गणना के आधार पर अत्यंत अल्प हैं। आज भी स्थिति यह है कि प्रत्येक 25 व्यक्तियों में से केवल एक व्यक्ति को ही हम वैक्सीन लगा सके हैं जबकि ब्रिटेन में हर दो व्यक्ति में से एक और अमेरिका में हर तीन व्यक्ति में से एक वैक्सीनेट हो चुका है। इस ढांचागत कमी के बावजूद भी स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में फैसला लेने वाले हमारे जनप्रतिनिधि और सरकारें इसे राजनीतिक और कानून व्यवस्था की समस्या की तरह प्रबंधित कर रहीं हैं जिसका शिकार आम जनता हो रही है, जिसे संविधान ने जीवन रक्षा करने का मौलिक अधिकार दिया है।

हालात इतने बदतर हैं कि चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं भी चुनाव के दौरान आयोग के अंतर्गत कर ली हैं, जबकि आज बिना किसी दबाव के सेवाएं उपलब्ध कराने का आपातकालीन समय है। इस सवाल को तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री ने बार-बार उठाया है, किंतु आज भी अनिर्णय की स्थिति बरकरार है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर के सुधाकरराव तो दस कदम आगे जा चुके हैं। उनका मत है कि कोविड की दूसरी लहर में बीमार हुए 95 फीसद मरीजों को तो उपचार की जरूरत ही नहीं है केवल 5 प्रतिशत मरीज ही ऐसे हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत है। क्या कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के इस तर्क से हिंदुस्तान के श्मशान घाटों के आंकड़े मेल खाते हैं?

तब ऐसी सोच वह भी एक स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हमारे जन स्वास्थ्य सिस्टम पर कितनी बड़ी चोट है। उनका यह भी मानना है 95 प्रतिशत मरीजों को दूर से ही होटलों में इलाज दिया जा सकता है। क्या भारत की 68 फीसद आबादी जिसकी पहुंच में आवश्यक दवाएं भी नहीं है, वह होटलों में ठहर कर इलाज करवा सकती है। दुर्भाग्य यह है कि भारत के नव सामंत नौकरशाह इस परिस्थिति को समझने की स्थिति में नहीं हैं। मध्यप्रदेश में तो अस्पताल ना केवल राजस्व अधिकारियों के हवाले कर दिए गए हैं, बल्कि अब तो शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाए जाने की सोच आकार लेने लगी है। जब अस्पतालों को विशेषज्ञों की जरूरत है तब इस तरह के फैसले सरकार की सनक से अधिक क्या हो सकते हैं।

हालांकि मध्य प्रदेश में जब संक्रमित होने की दर 25 प्रतिशत से भी ज्यादा हो चुकी है, तब कुछ जिले ऐसे भी हैं, जो सुखद एहसास कराते हैं। इसमें खंडवा 4.6 प्रतिशत, बुरहानपुर 4.9 प्रतिशत, छिंदवाड़ा 9.73 प्रतिशत और देवास 6.91 प्रतिशत आते हैं। क्या इन जिलों से भी प्रबंधन की शिक्षा ली जा सकती है। क्या फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की पर्याप्त मात्रा में भर्ती शुरू की जा सकती है और प्रति आॅक्सीजन बेड के हिसाब से रेमडेसीविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है? असफल राजनैतिक प्रशासनिक सिस्टम के साथ-साथ हमें हमारे सामाजिक ढांचे की असफलता पर भी विचार करना होगा। जब मानवता पनाह मांग रही हो तब नकली रेमडेसिवर इंजेक्शन बनाने वाले पकड़े जाएं, नकली प्लाज्मा बनाने वाले पकड़े जाएं, अस्पतालों में डॉक्टर दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग करें और बीच भंवर में सैकड़ों इंजेक्शन चुरा लें, कम से कम तब तो सोचें कि विश्वगुरु बनने के लिए कितनी मेहनत की जरूरत पड़ेगी।

कोविड की पहली लहर के वक्त हम उसके प्रभाव से अनभिज्ञ थे। दूसरी लहर मारक जरूर है, किंतु हमारे डॉक्टर्स के पास अनुभव है, उन्हें उपचार की जानकारी है और प्रबंधन की चुनौतियों से जूझने का एक्सपोजर। तब इस तरह हाथ पांव फूलना प्रशासन की नकामी है? जिस तरह से वायरस अपना पैटर्न बदल रहा है, उसी रफ्तार से हमें रणनीति बदलनी होगी। मेरी सोच है कि वायरस अगर स्मार्ट है तो हमें स्मार्टर होने की जरूरत है।


SAMVAD 11

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: जैनपुर, पांचली बुजुर्ग व जसड़ सुल्ताननगर गांवों में ड्रोन उड़ने का दावा

जनवाणी संवाददाता |सरूरपुर: थाना क्षेत्र के जैनपुर, पांचली बुजुर्ग,...

Meerut News: वेस्ट यूपी में फिर सक्रिय हुए आतंकवादी स्लीपिंग मॉड्यूल्स

जनवाणी संवाददाता |किठौर: आतंकी संगठनों के स्लीपिंग मॉड्यूल्स वर्षों...

Meerut News: बड़ी साजिश रच रहा था कासिम से बना कृष्ण

जनवाणी संवाददाता |दौराला: उत्तर प्रदेश में इन दिनों मतातंरण...

Meerut News: आशा के जबरन धर्मांतरण में बदर और पिता पर मुकदमा

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: अखिल भारतीय हिंदू सुरक्षा संगठन...
spot_imgspot_img