फिल्म निर्माता, निर्देशिका और एक्ट्रेस दिव्य खोसला कुमार जब महज 17 साल की थीं, उन्होंने तेलुगु फिल्म ‘लव टुडे’ (2004) के साथ अपनी एक्टिंग पारी की शुरुआत की थी। उसी साल उन्हें बॉलीवुड के जाने माने फिल्म मेकर अनिल शर्मा ने अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और बॉबी देओल जैसे अभिनय के दिग्गजों के साथ ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ (2004) की मुख्य भूमिका में प्रस्तुत किया। उसके कुछ दिनों बाद ही उनकी किस्मत का चक्र कुछ इस तरह घूमा कि वे टी सीरीज प्रमुख भूषण कुमार की जीवन संगिनी बन गर्इं। उस वक्त ऐसा लगा कि इस बेहद खूबसूरत सी दिखने वाली एक्ट्रेस का कैरियर शुरू होने के पहले ही खत्म हो जाएगा लेकिन उनके बारे में जो कुछ सोचा गया था, उसके एकदम उलट ही हुआ। वह अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती गई और उन्होंने टी सिरीज के कुछ म्यूजिक वीडियो एलबम का निर्देशन खुद करते हुए उनमें काम भी किया। दिव्य खोसला कुमार के कैरियर में बेहद खूबसूरत मोड़ उस वक्त आया, जब उन्होंने ‘यारियां’ (2014) का निर्देशन किया। यह फिल्म बेहद कम बजट की थी, लेकिन बॉक्स आॅफिस पर इसने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। उसके बाद उन्होंने ‘सनम रे’ (2016) निर्देशित की। वह भी बॉक्स आॅफिस पर काफी अच्छी साबित हुई। लेकिन इस सबके बावजूद दिव्य खासला कुमार अपने अंदर छिपी अभिनय की आग को रोक नहीं पाईं। उन्होंने ‘सनम रे’ (2016) में अक्कड़ बक्कड़ आयटम नंबर किया जिसे आॅडियंस ने काफी अधिक पसंद किया। इस नंबर में वह जबर्दस्त ग्लैमरस अंदाज में नजर आई। उसके बाद वे शॉर्ट फिल्म ‘बुलबुल’ (2017) और जॉन अब्राहम के अपोजिट वाली एक्शन फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ (2021) में नजर आई। इस में उनके काम को काफी अधिक पसंद किया गया।
प्रस्तुत है दिव्य खोसला कुमार के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश:
बहुत कम वक्त में आपने खुद को फिल्म निर्माता,निर्देशक और एक्ट्रेस के रूप में साबित किया है। इनमें से आपको सबसे ज्यादा कौनसा काम पसंद है?
फिल्मों का निर्माण करते वक्त आपको सिर्फ क्रिएटिव लोगों का चुनाव करना होता है। यदि आपको थोड़ी बहुत भी समझ है तो यह काम ज्यादा मुश्किल नहीं होता लेकिन डायरेक्शन के लिए आपको पूरी तरह समर्पित होना पड़ता है। इस वजह से काफी दबाव भी होता है लेकिन एक्टिंग करते वक्त मैं पूरी तरह एंजाए करती हूं, इसलिए कह सकती हूं कि मुझे एक्टिंग सबसे अधिक पसंद है।
जिस वक्त आप जॉन के साथ मिलाप झवेरी के निर्देशन में ‘सत्यमेव जयते 2’ कर रही थीं, एक निर्देशिका होने के नाते आपको उनके काम में कहीं किसी तरह की कमी नजर आई थी?
जी, बिलकुल नहीं क्योंकि ऐसे ही योग्य और अनुभवी निर्देशकों के काम को देखकर तो मैने निर्देशन सीखा है। इसके अलावा जब आप किसी फिल्म में बतौर एक्टर काम करते हैं उस वक्त आपका ध्यान सिर्फ एक्टिंग पर होता है, डायरेक्शन पर नहीं।
देखा गया है कि यहां शादी शुदा एक्ट्रेसों को अक्सर साइडलाइन पर कर दिया जाता है। इस बारे में आपका अनुभव कैसा रहा?
मुझे लगता है कि परिस्थितियां अब काफी बदल चुकी हैं। कम से कम अब तो ऐसा बिलकुल नहीं है। आज की जो आॅडियंस है, उसे भी इन बातों से कोई सरोकार नहीं होता कि आप शादी शुदा हैं या नहीं। वह तो बस आपके किरदार से कनेक्ट होते हैं और आपको उसी किरदार के रूप में देखते हैं।
आपने ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ के 17 साल बाद ‘सत्यमेव जयते 2’ से बॉलीवुड फिल्मों में वापसी की है। क्या अब यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
मेरे कैरियर में इतना लंबा गैप इस वजह से नहीं था कि मैं डायरेक्शन या दूसरे कामों में बिजी थी, बल्कि यह इसलिए था कि मैं स्ट्रांग केरेक्टर व चाहती थी, लेकिन मुझे उस तरह की फिल्में नहीं मिल रही थीं। जब ‘सत्यमेव जयते 2’ का आॅफर मिला तो लगा कि यह शायद वही है जिसका मैं बरसों से इंतजार कर रही थी। आॅडियंस ने जिस तरह से मेरे काम को पसंद किया और सराहना की,
उसके बाद मैं बतौर एक्ट्रेस खुद को एक्सप्लोर करना चाहती हूं।
‘सत्यमेव जयते 2’ के बाद अब क्या?
मुकेश सर (मुकेश भट््ट) की एक फिल्म के लिए बातचीत चल रही है। जॉन के अपोजिट मुझे इस फिल्म का आॅफर मिला है। स्क्रिप्ट मैंने पढ़ी है। इस पर मैं विचार कर रही हूं।
सुभाष शिरढोनकर