Tuesday, September 17, 2024
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अधिकारियों से सेटिंग है तो डर काहे का…

  • साहब ! डूबेंगे तो तुम्हें भी लेकर डूबेंगे, अधिकारी पशोपेश में
  • नगर निगम में मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को पलीता

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम में एक के बाद एक भ्रष्टाचार एवं कुछ कर्मचारियों के अनुशासनहीनता के मामले आए दिन मीडिया में सुर्खियां बन रहे हैं, लेकिन जिन पर भ्रष्टाचार एवं अनुशासन हीनता के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं, वह लगातार मीडिया की सुर्खिंया भी बन रहे हैं। शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई करना तो दूर की बात, लेकिन मीडिया में मामलों को प्रमुखता से उठाए जाने के बाद

भी अधिकारियों के द्वारा संज्ञान नहीं लिए जाने के बाद ऐसे कर्मचारी एवं अधिकारियों का मनोबल लगातार बढ़ रहा हैं। उनके द्वारा यहां तक कहा जाने लगा है कि जब अधिकारियों से मजबूत सेटिंग हो तो फिर काहे कार्रवाई का डर भाई। जिन पर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, वह यह कहते सुनाई देने लगे हैं कि साहब, डूबेंगे तो डूबेंगे, तुम्हें भी लेकर डूबेंगे।

मंगलवार के अंक में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में फाइल गायब करने वालों पर अफसर मेहरबान का मामला हो या फिर एक ही पटल पर वर्षों से जमे निर्माण विभाग के प्रधान लिपिक प्रदीप जोशी का मामला हो। वहीं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्थाई कर्मचारी जोकि कर निर्धारण अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत होने के दौरान लाखों रुपये की रिश्वत लेने के मामले में आरोपी बनाया गया हो,

जिसके निलंबन की कार्रवाई चल रही है। इसमें आए दिन किसी न किसी मामले में अनुशासन को तोड़कर एक-दूसरे से भिड़ जाने का मामला हो, ऐसे न जाने कितने मामले हैं। जिसमें अधिकारी जब चाहें आरोपी लिपिक एवं कर्मचारी पर कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसे कई गंभीर मामलो में अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई करते दिखाई नहीं दिए।

  • केस-1

नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहे पूर्व लिपिक जिसका वर्तमान में पटल बदल दिया गया है। जिसके कार्यकाल में चूना घोटाले की फाइल गायब होने के आरोप लगे, वहीं लगातार चार वर्षों से सफाई कर्मचारियों की वर्दी नहीं मिली उस मामले में दोषी मानते हुए उससे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा हो या फिर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की फाइल गायब करने का आरोप, प्रत्यारोप लगा हो उस लिपिक का

मंगलवार के अंक मेें प्रमुखता से समाचार छपा तो वह अब अपने साथ अधिकारियों को भी लपेटे में लेने लगा है। उसका कहना है कि अधिकारियों से मजबूत सेटिंग हो फिर काहे का डर, यदि उस पर गाज गिरी तो वह कई अधिकारियों को भी अपने साथ लपेटे में ले लेगा, मीडिया में क्या छपे या नहीं उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

  • केस-2

नगर निगम के गृहकर विभाग में तैनात इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल पर टैक्स करने के नाम पर पांच हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। जिसमें एंटी करप्शन की टीम ने मुन्नवर को पांच हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिसमें कुछ दिनों तक तो इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल डयूटी से नदारद हो गया, वह एक माह के अवकाश पर चला गया, लेकिन अब वह फिर से डयूटी पर आने लगा है।

जब उनसे मीडिया कर्मियों ने मामले में जानकारी की तो उन्हें प्रकरण की जानकारी नहीं, मीडिया में क्या चल रहा है, उससे उसे कोई लेना देना नहीं, बस अधिकारियों से मजबूत पकड़ हो फिर डर किस कार्रवाई का कहा। निगम में तमाम ऐसे मामले हैं, जोकि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस नीति को पलीता लगा रहे हैं, लेकिन निगम में अनुशासनहीनता एवं भ्रष्टाचार के आरोपी-प्रत्यारोपी के मामले खूब चर्चा के विषय बने हुए हैं।

  • केस-3

नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक स्थाई सफाई कर्मचारी की तैनाती कर निर्धारण अधिकारी के कार्यालय में लगी हुई थी। जिसमें उस पर लोगों के विभिन्न कार्य मजबूत सेटिंग से कराने के नाम पर कई लोगों से लाखों रुपये हडपने का मामला रहा हो। पहले तो उसके खिलाफ जांच के नाम पर पीडितों को टरकाया जाता रहा हो या फिर उसका स्थानांतरण वापस सफाई के मूल पद पर सफाई सुपरवाइजर के पद पर कर दिए जाने का मामला।

शिकायतकर्ताओं ने अधिकारियों पर दबाव बनाया तो उसके निलंबन की तैयारी की जा रही है, लेकिन उक्त सफाई कर्मी का आरोप है कि उसने जो रुपया लिया उसमें उसके विभाग के अधिकारी भी बराबर हिस्सेदार रहें हैं, यदि उस पर कार्रवाई की तो वह उन सबके खिलाफ मोर्चा खोल देगा, तब से अधिकारी पसोपेश में हैं।

केस-4

नगर निगम के निर्माण विभाग के ठेकेदार सर्वेश के द्वारा प्रधान लिपिक प्रदीप जोशी पर तमाम गंभीर आरोप लगाए गए। जिसमें आरोपों की सफाई में उनके द्वारा मीडिया के सामने अपना कोई पक्ष आखिर क्यों नहीं रखा गया कि ठेकेदार का आरोप पूर्णतय गलत या बेबुनियाद हैं।

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