Sunday, May 25, 2025
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मेहनत करोगे तो मिलेगा सिला

  • राज्य पुरस्कार के लिए चुना गया रजपुरा का प्राथमिक विद्यालय
  • स्कूल में छात्रों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था देने पर स्कूल और प्रधानाध्यापिका सम्मानित
  • स्मार्ट क्लास, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, स्मार्ट पुस्तकालय जैसी सुविधाओं से लैस है विद्यालय

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: अगर दिल में कुछ अलग करने का जज्बा हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। ऐसी ही एक शिक्षिका ने सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों के मन में बसी धारणा को बदल दिया है। नौ साल में शिक्षिका ने अपने अथक प्रयास से न सिर्फ स्कूल की तस्वीर बदल दी बल्कि यहां पर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी अनुमान से अधिक बढ़ोतरी हुई है।

अब इन शिक्षिका और उनके स्कूल को टीचर्स-डे के दिन शासन ने राज्य पुरस्कार के लिए चुना है। प्रदेश के 75 जिलों से हर जिले से एक विद्यालय को शासन ने राज्य पुरस्कार के लिए चुना है। इनमे से मवाना रोड स्थित रजपुरा प्राथमिक विद्यालय को मेरठ से चुना गया है। इस सम्मान के पीछे यहां की प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव की वह मेहनत है जो उन्होंने विद्यालय की दशा सुधारने के लिए की है।

40 छात्रों से 207 छात्रों तक का सफर

प्रिंसपल पुष्पा यादव ने बताया कि जिस समय उन्होंने स्कूल की कमान अपने हाथो में ली थी उस समय यहां पर केवल 40 छात्र थे। वह भी विद्यालय में कम ही उपस्थित रहते थे। धीरे-धीरे उन्होंने छात्रों के परिजनों से मिलकर अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार किया। इसके बाद यह सिलसिल लगातार जारी है और आज छात्रों की संख्या बढ़कर 207 तक पहुंच गई है।

सभी तरह की सुविधाएं हैं स्कूल में

यह स्कूल अब निजी स्कूलों के लिए एक उदाहरण बन गया है। गांव में पहले से बने निजी स्कूलों के संचालक अपने स्कूल को प्राथमिक विद्यालय जैसा बनाना चाहते है। यहां पर स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर से बच्चों को शिक्षा दी जाती है, वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा है। जिससे बरसात के पानी को बरबाद होने से बचाया जाता है। स्मार्ट पुस्तकालय है जिसमें ढाई हजार किताबे हैं, प्रसिद्ध स्वर कोकिला स्व. लता मंगेशकर के नाम पर लता वाटिका बनी है।

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जिसमें तमाम तरह के पौधे लगाए गए हैं। 2013 से अबतक 80 दिव्यांग छात्रों ने यहां शिक्षा हासिक की है और अब वह दूसरे उच्च विद्यालयों में पढ़ रहे है। गांव में रहने वाली ऐसी छात्राएं जो उच्च परिक्षाओं की तैयारी कर रही है, लेकिन उनके घर में शिक्षा का माहौल नहीं है, उन्हें शिक्षा लेने के लिए स्कूल में व्यवस्था दी गई है।

स्वच्छ पेयजल के लिए वाटर आरओ प्लांट भी लगा है, साथ ही गर्मियों में बच्चों को ठंडा पानी मिले इसके लिए वाटर कूलर भी लगा है। दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था है। इसके साथ ही प्राथमिक उपचार देने के लिए मेडिकल रूम भी बनाया गया है।

प्रिंसिपल ने अपने हाथों से दीवारों पर की हैं पेंटिंग

स्कूल की प्रिंसिपल पुष्पा यादव ने स्कूल की दीवारों पर बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाली पेंटिंग खुद अपने हाथों से की है। ऐसे मे उन्होंने विभाग से मदद नहीं मिलने पर भी खुद स्कूल को एक नया रूप दिया है। अपने साथ विद्यालय की शिक्षिकाओं को भी दीवारों पर पेंटिंग करने के लिए काम करने को कहा जिसके बाद सभी ने उनका साथ दिया।

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हालांकि कई जनप्रतिनिधियों ने उनकी मेहनत देखकर स्वयं अपनी ओर से मदद भी की है। अब इस विद्यालय को पांच सितंबर को मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस पर पूरे जिले से राज्य पुरस्कार के लिए चुना गया है। साथ ही विद्यालय की प्रिंसपल को भी सम्मानित किया जा रहा है।

2013 में खंडहर था विद्यालय

प्राथमिक विद्यालय रजपुरा 2013 में स्कूल कम एक तबेला ज्यादा लगता था। उस समय यहां पर गांव के लोग अपने पालतू पशुओं को बांधते थे। हर तरफ गंदगी का अंबार था, बरसात के मौसम में तो यहां तालाब जैसी स्थिति बन जाती थी, लेकिन इसी साल पुष्पा यादव ने स्कूल का चार्ज संभाला और दृढ़ निश्चय किया कि वह इस विद्यालय को एक नजीर बनाएंगी। तभी से लगातार वह विद्यालय के हालातों को सुधारने में जुट गई और आज वह अपने मकसद में कामयाब हो गई है।

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