- इस पर भी मांगें पूरी न होने पर नौ सितंबर को सिवाया से करेंगे टोल फ्री आंदोलन
- चौधरी चरण सिंह पार्क स्थित धरना स्थल पर लोग भी बढ़े, और पुलिस की घेराबंदी भी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कमिश्नरी स्थित चौ. चरण सिंह पार्क में त्यागी समाज का धरना 10वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान धरना स्थल पर लोगों की भीड़ में इजाफा होने के कारण टेंट का दायरा भी बढ़ा दिया गया है। वहीं, शनिवार को धरना स्थल के चारों ओर पुलिस की घेराबंदी भी आम दिनों के मुकाबले ज्यादा देखने को मिली।
धरना स्थल पर संचालन समिति की ओर से घोषणा की गई कि श्रीकांत त्यागी और उनके परिवार के उत्पीड़न के विरोध में छह सितंबर को प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करते हुए संबंधित जिलाधिकारियों को ज्ञापन दिए जाएंगे। इसके लिए त्यागी-भूमिहार, ब्राह्मण मोर्चा का ऐलान भी किया गया। यह मोर्चा प्रदेश भर के जिलों में धरना प्रदर्शन की बागड़ोर संभालेगा।
वहीं वक्ताओं ने घोषणा की, कि छह सितंबर के धरना-प्रदर्शन के बाद भी अगर त्यागी समाज की मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो नौ सितंबर को सिवाया से टोल प्लाजा फ्री आंदोलन का श्रीगणेश किया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न जिलों से आए त्यागी ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों ने श्रीकांत त्यागी और उनके परिवार के उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए भाजपा सरकारों को घेरने की कोशिश की।
कुछ वक्ताओं ने भाजपा का बहिष्कार करते हुए अपने घरों से पार्टी के झंडे उतारकर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आह्वान किया। धरने की अध्यक्षता महेन्द्र त्यागी भूनी और संचालन ज्ञानेश्वर त्यागी व अमित त्यागी ने किया। वक्ताओं में प्रमुख रूप से मांगेराम त्यागी, कुलदीप त्यागी, हिमांशु त्यागी सबली, पुष्पेन्द्र त्यागी, प्रशांत त्यागी, सुनील त्यागी आदि शामिल रहे।
त्यागी समाज के बडेÞ नेता आंदोलन से कर रहे हैं किनारा
क्रांतिधरा राजनीति का पावर हाउस हैं। पिछले छह दिन से कमिश्नरी पार्क में त्यागी समाज का धरना चल रहा हैं। ये धरना नोएडा के चर्चित श्रीकांत त्यागी के परिजनों के उत्पीड़न के विरुद्ध हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि त्यागी समाज के इस धरने में किसी भी राजनीतिक दल के बड़े नेता किनारा करे हुए हैं। भाजपा में भी त्यागी समाज के कई बड़े नेता हैं, लेकिन उन्होंने इस धरने से पूरी तरह से किनारा कर रखा।
नहीं तो वो कोई बयान दे रहे हैं और नहीं इस धरने पर जा रहे हैं। भाजपा ही नहीं, बल्कि सपा-बसपा और कांग्रेस में भी त्यागी समाज के बड़े नेता हैं, लेकिन वो भी इस धरने से किनारा किये हुए हैं। नोएडा में जो पंचायत त्यागी समाज की हुई थी, उसमें रालोद के त्रिलोक त्यागी अवश्य गए थे, लेकिन बाकी त्यागी समाज के नेता इस आंदोलन से दूरी बनाकर चल रहे हैं। इसकी वजह क्या हैं?
यह भी त्यागी समाज के नेता नहीं बता रहे हैं। पश्चिमी यूपी में त्यागी समाज बड़ी तादाद में रहता हैं। राजनीति में भी उनकी अहम भूमिका हैं। करीब-करीब सभी पार्टियों में जिम्मेदार पदों पर भी विराजमान हैं। त्यागी समाज के नेता नहीं तो इस आंदोलन को गलत बता रहे और नहीं ठीक। पक्ष और विपक्ष में कोई भी बयान देने को तैयार नहीं हैं।
आंदोलनरत त्यागी समाज के लोग अपनी जातियों के नेताओं को मंच से खरी-खोटी भी सुना रहे हैं। कहते है कि श्रीकांत त्यागी ने अपराध किया, उसे सजा मिली, लेकिन उसके परिजनों का क्या अपराध था, जो उनका उत्पीड़न किया गया। मामला त्यागी समाज से जुड़ा था, इसलिए उत्पीड़न किया। परिवार किसी व्यापारी का होता तो क्या ये कार्रवाई होती?