- डिफेंस एन्क्लेव कॉलोनी के पीछे अवैध कॉलोनी का है मामला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पहले अवैध कॉलोनी विकसित की, फिर एमडीए की डिफेंस एन्कलेव कॉलोनी में गेट खोल दिया। ये कॉलोनी एनएच-58 से भी नाले से जोड़ी गई, जिसके सरकारी नाले पर कब्जा कर सड़क बना दी गई। बिल्डर ने नाले की सड़क को भी कब्जा लिया हैं। पूरी कॉलोनी में अवैध तरीके से बिजली की लाइन भी खींच दी गई। एक भी घर नहीं हैं, लेकिन विद्युत आपूर्ति जगमग हैं। ये अवैध कॉलोनी करीब एक सौ बीघा जमीन में विकसित की गई।
विवाद अब ये पैदा हो गया है कि इस कॉलोनी का एक गेट डिफेंस एन्कलेव कॉलोनी में खोल दिया गया है। बाकायदा तीस फुट चौड़ी सड़क बनाकर रास्ते का लिंक कर दिया गया है। एक रुपया अवैध कॉलोनी विकसित करने वाले बिल्डर ने एमडीए को नहीं दिया तथा उसकी सड़कों व सीवर लाइन का भी प्रयोग करने लगा हैं। इसकी शिकायत मनोज आर्य ने की हैं। इसके अलावा दो अन्य कॉलोनी भी इसी से सटी है, उनका गेट भी एमडीए की कॉलोनी में खोल दिया गया हैं, उनका भी पहले विवाद हो चुका हैं।
फिर भी एमडीए की कॉलोनी से ही इनका आवागमन हो रहा हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राधिकरण उपाध्यक्ष पद से मृदुल चौधरी का तबादला हो चुका है और डीएम पर प्राधिकरण वीसी का अतिरिक्त प्रभार हैं, फिर भी बिल्डर दशहत नहीं खा रहे हैं। इंजीनियर भी अवैध कॉलोनियों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। जिस स्थान पर ये अवैध कॉलोनी विकसित की गई है, ये आर-जोन क्षेत्र हैं।
यहां पर कॉलोनी का मानचित्र स्वीकृत हो सकता था, जिसके बाद एमडीए को राजस्व के रूप में कई करोड़ का लाभ हो सकता था, लेकिन एमडीए के इंजीनियरों ने अवैध कॉलोनी विकसित करा दी। अभी भी इस पर शिकंजा कसा जा सकता हैं। एमडीए के इंजीनियर अवैध कॉलोनी पर ध्वस्तीकरण कर सकते हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे स्पष्ट है कि एमडीए इंजीनियरों व बिल्डर के बीच सेटिंग का खेल चल रहा हैं।
फिर एमडीए की डिफेंस एन्कलेव कॉलोनी से एंट्री दे दी गई। इसका भी एमडीए ने किसी तरह का विरोध नहीं किया। अब सीवर लाइन को भी जोड़ा जा रहा हैं। इस तरह से इंजीनियरों ने खुली छूट बिल्डर को दे रखी हैं। अब देखना यह है कि मनोज आर्य की शिकायत पर डीएम कोई कार्रवाई करते है या फिर इसी तरह से अवैध कॉलोनियां विकसित होती रहेगी।