- छतरी वाले पीर से ओडियन नाले तक 1.3 किमी सड़क निर्माण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: घंटाघर के निकट पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से जो नाला निर्माण कार्य चल रहा है। उसमें नाले पर अवैध रूप से बनी कुछ दुकानों के कारण नाला निर्माण काफी समय से अधर में लटका हुआ है। अब नालों पर बनी दुकानों को हटवाने की जगह पीडब्ल्यूडी विभाग ने घंटाघर के ठीक सामने नाले से कुछ दूसरी पर सड़क खोद डाली।
शायद अवैध रूप से नाले पर बनी दुकानों पर मेहरबानी दिखाते हुये उनको बचाने के प्रयास के चलते यह सब किया जा रहा है। फिलहाल 24 करोड़ रुपये की लागत से यह नाला निर्माण काफी समय से अधर में लटका है। अब घंटाघर के ठीक सामने सड़क खोद डाली। जिसका असर भविष्य में घंटाघर के भवन पर भी पड सकता है।
नगर निगम क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से 24 करोड़ रुपये की लागत से छतरी वाले पीर से ओडियन नाले तक 1.3 किमी नाले का कवर्ड निर्माण कराया जा रहा है। यह नाला घंटाघर के निकट से होकर गुजर रहा है और घंटाघर के पास नाले के उपर कई दर्जन दुकाने बनी हैं। जिसके चलते इस नाले की साफ सफाई भी अच्छे से नहीं हो पाती थी और नाला चोक होने के कारण सड़कों पर दूषित पानी के जलभराव की समस्या बनी रहती थी।
जिसके चलते इस नाले को पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा दोबारा से निर्माण कराया जा रहा है। घंटाघर के निकट नाले पर बनी दुकानों के चलते निर्माण काफी समय से अधर में लटका हुआ है। इसी के चलते डाकघर भवन की बिल्डिंग भी प्रमुख रुप से जलभराव की समस्या के कारण ही क्षतिग्रस्त हो गई। हालाकि अब 42 दुकानदारों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेजने की कवायद तो की गई, लेकिन वह फिलहाल कार्रवाई शायद फाइलों में ही दब गई।
जिसके चलते दुकानोें को तो नाले से हटाया नहीं गया लेकिन ऐतिहासिक घंटाघर के ठीक सामने नाला निर्माण के लिये अच्छी खासी सड़क खोद डाली। पूर्व में जिस जगह को नाला निकल रहा है। उससे अतिक्रमण हटवाने की न तो जहमत नगर निगम ने उठाई और न ही पीडब्ल्यूडी विभाग ने। शायद दोनों ही विभागों ने मानों दुकानदारों को अतिक्रमण कर नाले पर अवैध अतिक्रमण को खुली छूट दे दी हो और उस नाले की जगह घंटाघर के ठीक सामने सड़क खुदाई कर वहां पर पुलिया निर्माण कर नाला उधर से होकर गुजारने की कवायद शुरू कर दी गई।
देखना है कि 24 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी जल निकासी की समस्या से समाधान मिलेगा या फिर वही समस्या जस की तस दिखाई देगी। लोगों का कहना है कि जब तक नाले से अवैध दुकाने नहीं हटाई जाती, तब तक नाले की जल निकासी सुचारू रूप से नहीं हो सकेगी। फिलहाल तो जिन दुकानदारों की दुकाने नाले पर बनी हैं,वह या तो निगम एवं पीडब्ल्यूडी विभााग पर भारी पड रहे हैं या
फिर मजबूत सेटिंग के चलते उनके अतिक्रमण को लाख प्रयास के बावजूद नहीं हटाया जा रहा है। घंटाघर के सामने खोदी गई सड़क चर्चा का विषय जरूर बनी है कि जिस जगह नाला निर्माण का कार्य अधर में लटका है, वह दुकानें तो हटवाई नही गई बल्कि घंटाघर के ठीक सामने अच्छी खासी सड़क नाला निर्माण को खोद डाली गई।