- दुष्कर्म पीड़ित किशोरी से अमानवीय व्यवहार का मामला
- डीएम ने संवेदना का परिचय देते हुए तत्काल जांच कराकर और दोषी चिकित्सा दल पर कराई थी कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दुष्कर्म पीड़ित किशोरी के मामले में रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम दीपक मीणा ने आखिर डॉक्टर समेत दो कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिरा दी। जांच में पाया कि सरधना क्षेत्र के एक गांव में दुष्कर्म पीड़ित किशोरी के प्रसव पीड़ा से झटपटाने के बावजूद उसके प्रति किसी प्रकार की मानवीयता न दिखाने के मामले में सीएसची पर तैनात चिकित्सक और स्टाफ नर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं।
बीते शुक्रवार को दुष्कर्म की शिकार होने के चलते गर्भवती हुई 13 वर्षीय किशोरी की हालत बिगड़ जाने के कारण उसे परिजन सरधना सीएचसी लेकर पहुंचे। मगर बेरहम स्टाफ ने उसे भर्ती नहीं किया। दर्द से तड़पती किशोरी ने बेंच पर ही मृत बच्चे को जन्म दिया। पुलिस ने इस मामले में आरोपी सुभाष पुत्र गेंदा को गिरफ्तार कर लिया है। डीएम दीपक मीणा ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। जिसे 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए गए।
सोमवार को जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने दोषी पाए गए डा. सरित कुमार व नर्स डॉली को सीएसची से हटाते हुए कार्यमुक्त कर दिया। सीएमओ ने बताया कि डा. रचित को मुख्यालय से और स्टाफ नर्स डॉली को निकटवर्ती पीएचसी से अटैच कर दिया गया है। इस संबंध में अग्रिम कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट प्रेषित की गई है।
शैतान बन गए भगवान कहे जाने वाले चिकित्सा कर्मी
हवस के दरिंदे ने उसकी अस्मत को कई बार डरा-धमकाकर तार-तार किया, तो भगवान का रूप कहे जाने वाले चिकित्सकों ने शैतान का रूप धारण करके उसे बेंच पर ही मृत बच्चे को जन्म देने के लिए विवश कर दिया। मामला मीडिया में हाईलाइट होने के साथ ही डीएम दीपक मीणा ने संवेदना का परिचय देते हुए तत्काल जांच कराकर और दोषी चिकित्सा दल पर कार्रवाई कराई। परिजनों के अनुसार सरधना क्षेत्र के एक गांव में 13 वर्षीय किशोरी महीनों तक एक दरिंदे की हवस का शिकार बनती रही।
करीब सात माह पूर्व गांव के ही एक व्यक्ति ने दलित किशोरी को अपने घर बुलाया और अपनी हवस का शिकार बना डाला। उसने किशोरी की अश्लील वीडियो भी बना ली। जिसके बाद ब्लैकमेल करके लगातार किशोरी की अस्मत लूटता रहा। दरिंदे के पाप से किशोरी गर्भवती हो गई। कुछ समय बाद किशोरी को पेट दर्द होने लगा तो परिजनों ने उपचार कराया। पेट बढ़ने पर परिजनों ने सख्ती से पूछताछ की तो किशोरी ने अपना दर्द बयां किया। मामले को लेकर दो दिन पूर्व पीड़ित पक्ष का आरोपियों से झगड़ा हो गया।
बात थाने तक पहुंची तो पीड़िता ने पुलिस को मामले से अवगत कराया। शुक्रवार सुबह करीब छह बजे किशोरी की हालत बिगड़ गई। परिजन आनन-फानन में उसे सरधना सीएचसी लेकर पहुंचे। मगर बेरहम स्टाफ ने उसे भर्ती नहीं किया। दर्द से तड़पती किशोरी ने बैंच पर ही मृत बच्चे को जन्म दे दिया। बाद में पुलिस ने आरोपी सुभाष पुत्र गेंदा को गिरफ्तार करके जेल भो, साथ ही डीएनए जांच कराने की प्रक्रिया भी कराई।
डीएम ने लिया संज्ञान
मीडिया के माध्यम से सीएचसी स्टाफ की अमानवीयता प्रकाश में आने के बाद डीएम दीपक मीणा ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने एडीएम वित्त सूर्यप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन करते हुए 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की। जांच टीम ने शनिवार को सरधना पहुंचकर मामले की जांच की। जिसमें पाया गया कि दर्द से तड़प रही रेप पीड़िता के प्रति चिकित्सक या नर्स समेत किसी भी स्टाफकर्मी ने कोई मानवीयता नहीं दिखाई। न तो लेबर रूम में लेटाया गया और न ही उसे रेफर किया गया। इसी अवस्था में उसने बेंच पर एक मृत बच्चे को जन्म दिया। रिपोर्ट मिलने के साथ ही डीएम ने सीएमओ को तलब करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए।
सीसीटीवी फुटेज ने किया सीएचसी को बेनकाब
तीन सदस्यीय जांच टीम में शामिल एडीएम वित्त सूर्यकांत त्रिपाठी, एसीएम-4 रश्मि बरनवाल, एसीएमओ डॉ प्रवीण कुमार ने सरधना सीएचसी पर सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो सीएचसी स्टाफ बेनकाब होता चला गया। जिसमें यह सामने आया कि रेप पीड़िता लेबर रूम में परिजनों के साथ गई थी। इसके बाद डॉक्टर, स्टाफ नर्स और कर्मचारी ने उसे देखा, लेकिन भर्ती नहीं किया। करीब एक घंटे तक किशोरी वहीं तड़पती रही, इसी अवस्था में बेंच पर ही डिलीवरी हो गई। इस दौरान किसी भी सीएचसी कर्मी ने रेप पीड़ित किशोरी के प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति दिखाने या उसका उपचार करने का उपक्रम नहीं किया।