Tuesday, December 31, 2024
- Advertisement -

मादक पदार्थों का बढ़ता सेवन

NAZARIYA


ANKIT MISHRAमादक पदार्थों के सेवन को कम करने का लक्ष्य न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है कि उसका सेवन प्रणामिक रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि समाज और समुदाय को इसके कई अन्य घातक परिणाम से भी जूझना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक मादक पदार्थों का सेवन विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट का कारण है। रिपोर्ट के मुताबिक अकेले तंबाकू पदार्थ के सेवन करने से विश्व भर में सालाना लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती। मरने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व भर के लगभग डेढ़ अरब लोग तंबाकू उत्पाद का प्रयोग करते जिसमें 80 प्रतिशत लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों से तालुक रखते जहां तंबाकू जनित रोगों से मृत्यु और परिवार का गरीबी के बोझ तले दबने का संकट सर्वाधिक है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक और आंकड़ा बताता है कि तंबाकू का प्रत्यक्ष सेवन नहीं करने के बाबजूद अप्रत्यक्ष रूप किसी दूसरे द्वारा उपयोग किए गए धुएं के संपर्क में आने से हर साल दुनिया भर में लगभग 12 लाख लोगों की मौत हो जाती। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इसमें कम आयु वाले तकरीबन 65 हजार बच्चों भी शामिल हैं।

इन दुष्परिणामों के मध्यनजर वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत पोषणीय विकास लक्ष्य 3.5 के तहत शराब सहित अन्य अवैध नशीले पदार्थों के सेवन से बचाव और उपचार को मजबूती देने का लक्ष्य रखा गया था।

लक्ष्य निर्धारण के पांच सालों के बाद लक्ष्य प्राप्ति की ओर भारत की स्थिति पर गौर करें तो बाईस राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्त्री पुरुषों के सर्वे पर आधारित एनएफएचएस-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5) का हालिया रिपोर्ट बताता है कि भारत में बीते आधे दशक में तंबाकू व शराब उपयोग में कमी आई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार शराब का न्यूनतम उपयोग करने वाले राज्यों की श्रेणी में लक्ष्यद्वीप और गुजरात क्रमश: पहले और दूसरे पायदान पर हैं। हालांकि शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब सेवन महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर की अपेक्षा अधिक है। आंकड़े बताते हैं कि भारत के अधिकांश राज्यों में शराब का सेवन करने वाले पुरुषों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है।

तेलंगाना, सिक्किम और अंडमान निकोबार राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में इसकी खपत सर्वाधिक है। एनएफएचएस 5 के आंकड़ों के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में शराब की खपत लगभग समान है।

हालांकि तेलंगाना में तस्वीर अलग है जहां शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खपत अधिक है। एनएफएचएस 5 के सर्वेक्षण के अनुसार ही देश में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में स्त्रियां शराब का कम सेवन करती हैं।

सिक्किम, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा और गोवा जैसे क्रमश: पांच राज्यों में महिलाओं द्वारा शराब का सर्वाधिक सेवन किया जाता है।

इस मामले में देश के अधिकांश राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में ग्रामीण स्त्रियों की तुलना में शहरी स्त्रियों की संख्या अधिक है। हालांकि त्रिपुरा, असम, सिक्किम, तेलंगाना और अंडमान और निकोबार जैसे राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में तस्वीर काफी उल्ट है।

इन प्रदेशों में ग्रामीण महिलाओं के शराब सेवन का प्रतिशत शहरी महिलाओं की अपेक्षा अधिक है। महिलाओं के शराब सेवन का प्रतिशत अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जिलों की तुलना में पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ जिलों में सर्वाधिक है। स्त्री व पुरुष द्वारा सम्मलित रूप से तेलंगाना, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों में शराब सेवन सर्वाधिक होता है।

देश में तंबाकू उत्पाद उपयोग के संदर्भ में आंकड़ों पर नजर डाले तो एनएफएचएस -5 (2019-20) व जीएटीएस (2016-17) के अलग अलग रिपोर्ट के अनुसार पंद्रह वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के पुरुषों में तंबाकू उपयोग के मामले में गोवा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, सिक्किम, बिहार और मिजोरम में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

पिछले तीन सालों के दरम्यान सिक्किम में तंबाकू उत्पाद उपयोग में सर्वाधिक पंद्रह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक जहां पश्चिम बंगाल, नागालैंड, बिहार, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर का लगभग हर पुरुष तंबाकू उत्पाद का सेवन करता है।

वही मणिपुर में हर तीन में से दो पुरुष इसका उपयोग शामिल है। हालांकि इस दौरान दक्षिण भारत खासकर केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में तंबाकू इस्तमाल मामले में जरूर उल्लेखनीय गिरावट आई है।

आंकड़ों के अनुसार इस दौरान अधिकांश राज्यों में पंद्रह वर्ष से अधिक आयु की स्त्रियों में तंबाकू उत्पाद सेवन में गिरावट दर्ज हुई है।

हिमाचल प्रदेश व बिहार के अलावा दक्षिण के कुछ राज्यों में पांच प्रतिशत की कमी आई है। अठारह प्रतिशत के उल्लेखनीय गिरावट के साथ नागालैंड का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा।

हालांकि इस दौरान गिरावट के बाबजूद त्रिपुरा में स्थिति सर्वाधिक खराब है जहां 62 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू सेवन करती हैं। उपरोक्त दो सर्वेक्षण के अनुसार स्त्री-पुरुष की ग्रामीण आबादी शहरी आबादी की तुलना में तंबाकू का अधिक सेवन करती है। रिपोर्ट की माने तो देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में तंबाकू का इस्तमाल सर्वाधिक है।

इस तरह कहा जा सकता है कि शराब और तंबाकू उत्पाद का सेवन तमाम तरह की संक्रमित और गैर संक्रमित बीमारियों को जन्म देते हैं, जो लोगों के व्यापक सामाजिक और आर्थिक नुकसान का कारण बनता है।

इन मादक पदार्थों के दुरुपयोग को कम करने तथा इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए मजबूत सरकारी नीतियों पर विचार करने की आवश्यकता है।


SAMVAD

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Bijnor News: सड़क हादसे में दो युवकों की मौत, दो घायल

जनवाणी संवाददाता | बिजनौर: नैनीताल देहरादून नेशनल हाईवे पर शेरकोट...

Latest Job: यूको बैंक ने निकाली इन पदों पर भर्ती,यहां जानें कैसे करें आवेदन और लास्ट डेट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img