Friday, April 19, 2024
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कार्यकर्ताओं का सम्मान करतीं थीं इंदिरा गांधी

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श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
श्रीगोपाल नारसन

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने आम कार्यकर्ताओं को अहमियत व सम्मान देने के साथ ही दुनिया के बड़े से बड़े नेता से निरंतर संर्पक बनाए रखा और भारत का दुनिया के देशों के बीच महत्व सिद्ध करने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करते हुए भारत को न सिर्फ दुनिया भर में पहचान दिलाई बल्कि दुनिया को अपनी ताकत का लोहा भी मनवाया। इसी कारण उन्हें देश आयरन लेडी के नाम से जानता है। आजादी की लडाई में बाल वानर सेना खड़ी कर अंग्रेजों को चुनौती देने वाली इंदिरा बचपन से ही देश पर न्यौछावर होने को आतुर थीं। अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू से राजनीतिक प्रशिक्षण प्राप्त कर एक परिपक्व नेता बनीं इंदिरा ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और देश की एकता व अखंडता के लिए सदैव आगे बढ़ती चली गर्इं। जीवन पर्यंत राष्ट्र के प्रति समर्पित रही इंदिरा गांधी ने कभी अपनी जान की परवाह नहीं की। उनके जीवन का आखिरी संबोधन भी यही रहा कि मेरे खून का एक-एक कतरा देश के लिए काम आए और सच में उन्होंने अपने शरीर का एक-एक कतरा देश पर न्यौछावर करके दिखाया।

कड़ी मेहनत, पक्का इरादा, दूरदृष्टि जैसे जीवन सूत्र दुनिया को देने वाली इंदिरा गांधी ने बीस सूत्री कार्यक्रम देश में लागू कर गांव स्तर पर विकास का रास्ता तैयार किया। वे चाहती थीं कि सबसे पहले गांव खुशहाल हों तो देश अपने आप खुशहाल हो जाएगा। उनकी सुदृढ़ विदेश नीति की बदौलत भारत ने दुनियाभर के देशों के बीच अपनी खास पहचान बनाई। वहीं देश के अंदर समाज के आखिरी व्यक्ति के चेहरे पर खुशहाली लाने के लिए इंदिरा गांधी हमेशा बेचैन रहती थीं। उन्होंने अपने रहते कभी तिरंगे को झुकने नहीं दिया और भारत का लौहा दुनिया भर में मनवाया। कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के शब्दों में, ‘इंदिरा गांधी देश के गरीबों की मसीहा थीं, जिन्होने जीवन पर्यंत ग्राम स्तर के विकास कार्यक्रम चलाकर गरीबों को खुशहाल बनाकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की कौशिश की। उन्हीं के द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यक्रम आज भी गरीबोत्थान का आधार बने हुए हैं, जो हमेशा हमें इंदिरा जी की याद दिलाते रहेंगे।’

उनकी अपनी पार्टी के कार्यकताओं पर उनकी विशेष पकड़ होती थी। साधारण से साधारण कार्यकर्ता को नाम लेकर बुलाना और उन पर विश्वास करना उनकी कार्यशैली का हिस्सा हुआ करता था। निर्णय लेने की जो क्षमता इंदिरा गांधी में थी, वह क्षमता आज किसी भी दूसरे  नेता में देखने को नहीं मिलती। पाकिस्तान को धूल चटाकर बंगलादेश को जन्म देने वाली इंदिरा गांधी के दुनियाभर के देश इस कदर कायल थे कि उन्हें 165 देशों के संगठन का अध्यक्ष तक बना दिया था। भारत में ऐसा सम्मान आज तक कोई दूसरा नेता प्राप्त नहीं कर पाया है। इंदिरा जी का लोहा उनके विरोधी भी मानते थे।आपात काल के मजबूरीवश लिए गए निर्णय से हुए नुकसान को दरकिनार कर दें तो इंदिरा हमेशा अपने लिए गए निर्णयों से फायदे में ही रही। सच यह भी है कि जो विकास प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के जमाने में हुआ, उतने विकास की कल्पना फिर कभी साकार नही हुई। कांग्रेस शासन काल में जब जब भी सत्ता की बागडोर नेहरू परिवार के बजाए किसी ओर के हाथों में आई, तब-तब ही कांग्रेस को विवादो मे घिसटना पड़ा। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं स्वयं में एक सफल प्रधानमंत्री रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने कई सहयोगी मंत्रियों के भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने के कारण परेशानी भी झेलनी पडी। वह तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सूझ बूझ से भ्रष्टों के प्रति कोई रियायत न बरतकर एक सही संकेत देने की कोशिश की गई, वरना हालात और भी खराब हो जाते ।

ऐसे में इंदिरा गांधी याद आती है, जिन्होंने हमेशा सही वक्त पर सही निर्णय लेकर कांग्रेस को जिंदा रखा और देश को भी नई सोच दी। इंदिरा गांधी देश की सीमाओं के प्रति और अपने बहादुर सैनिकों के हितों के प्रति हमेशा संवेदनशील रहीं। देश का विकास कैसे हो, यह उनकी पहली सोच हुआ करती थी। साथ अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान करना उन्हें बखूबी आता था। कांग्रेस के सत्ता में होते हुए वे कभी अपने कार्यकताओं को सत्ता से जोड़ना नहीं भूलतीं थीं। भले ही संजय गांधी की इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए खूब चली हो, परंतु उन्होंने कभी भी संजय गांधी को सत्ता में भागीदार नहीं बनाया। हालाकि संजय गांधी ने देश में परिर्वतन की एक नई कोशिश की थी, जिसमें सीमित परिवार की सोच का उन्होंने आगे बढाने का काम किया, परंतु कई जगह जबरन नसबंदी की धटनाओं के कारण उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा।

बहरहाल इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए जो निर्णय हुए उनसे देश आगे बढ़ा और देश को दुनियाभर में विकासशील देश के रूप में नई पहचान मिली। देश की सीमाओं की रक्षा और बंगलादेश के निर्माण के लिए इंदिरा गांधी हमेशा याद की जाती रहेंगी। वहीं बैंको का राष्ट्रीयकरण, पाकिस्तान को युद्ध में हराकर उसके घुटने टिकवा देने के लिए भी इंदिरा गांधी को हमेशा याद किया जाएगा। जब इंदिरा गांधी की नई दिल्ली में उन्हीं के अगंरक्षकों द्वारा शहादत की गई तो पूरा देश रो पड़ा था। इंदिरा गांधी को बताते हैं आप्ररेशन ब्लूस्टार के बाद अपने विरूद्ध रचे गए षडयंत्र का आभास हो गया था, परंतु फिर भी उन्होंने अपने अगंरक्षकों पर से भरोसा नहीं खोया। उनकी यही आखिरी भूल, उनके लिए शहादत का कारण बन गई। देश के लिए बलिदान हुर्इं इंदिरा गांधी पर यह नारा आज भी सार्थक है कि जब तक सूरज चांद रहेगा इंदिरा तेरा नाम रहेगा।

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