- प्रथम आरआरटीएस परियोजना में प्रारंभ से ही यात्रियों की सुविधा को दी जाएगी प्राथमिकता
- टीम ने रीजनल यात्रा के लिए यात्रियों की जरूरतों का बारीकी से किया अध्ययन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने बुधवार दुहाई डिपो, गाजियाबाद में अत्याधुनिक रीजनल रेल के ट्रेन इंटीरियर और यात्री-केंद्रित सुविधाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सिंह ने कहा, देश की प्रथम आरआरटीएस परियोजना में प्रारम्भ से ही यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता दी गयी है। उनकी टीम ने रीजनल यात्रा के लिए यात्रियों की जरूरतों का बारीकी से अध्ययन किया है और कई अनुकूलित सुविधाएं प्रदान करने पर काम किया है, जो यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय कर रही हैं।
आरआरटीएस का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर, चाहे वह ट्रेन हो या स्टेशन, यात्रियों के लिए आसानी से पहुंच और यात्रा की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है। रीजनल रेल सुरक्षित और कुशल क्षेत्रीय आवागमन के लिए लोगों की पहली पसंद बनने जा रहा है। यात्रियों की सुविधा के लिए अतिआधुनिक रीजनल रेल के ट्रेनों में आर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 272 ट्रांसवर्स सीटिंग, आरामदायक खड़े होने की जगह, लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरा, लैपटॉप/मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप, इंफोटेनमेंट सिस्टम, रोशनी-आधारित आॅटो नियंत्रण प्रकाश व्यवस्था, तापमान नियंत्रण प्रणाली और अन्य सुविधाएं होंगी।
वातानुकूलित आरआरटीएस ट्रेनों में कई नए मानको के साथ प्रीमियम क्लास (प्रति ट्रेन एक कोच) होगा और साथ ही एक कोच महिला यात्रियों के लिए आरक्षित होगा। मेक इन इंडिया दिशानिदेर्शों के तहत, आरआरटीएस रीजनल रेल के लिए 100 प्रतिशत ट्रेनसेट भारत में निर्मित किए जा रहे हैं। सावली, गुजरात में स्थित विनिर्माण सुविधा पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए कुल 210 कोचों (40 ट्रेनसेट) की डिलीवरी करेगी। इसमें दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर क्षेत्रीय परिवहन सेवाओं के संचालन और मेरठ में स्थानीय मेट्रो सेवाओं के लिए ट्रेनसेट शामिल हैं। इस साल एनसीआरटीसी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के प्राथमिकता खंड पर ट्रायल रन शुरू करेगी।
एक घंटे में दौड़गी 100 किमी
आरआरटीएस अपनी तरह की पहली प्रणाली है, जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनें हर 5-10 मिनट में उपलब्ध होंगी और एक घंटे में लगभग 100 किमी की दूरी तय करेंगी। एनसीआरटीसी ने एनसीआर में विभिन्न सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को मूल रूप से जोड़कर एक विशाल रीजनल रेल नेटवर्क बनाने की पहल की है। रीजनल रेल के स्टेशनों का जहां भी संभव हो, मेट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों, बस डिपो के साथ सहज एकीकरण होगा।
यह रेल प्रणाली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोगों और स्थानों को करीब लाएगा और इस क्षेत्र के सतत और संतुलित विकास को सक्षम बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 टन कार्बन डाइआॅक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है। आरआरटीएस सबसे अधिक ऊर्जा कुशल फ्यूचरिस्टिक ट्रांजिट सिस्टम साबित होगा, जो निर्बाध रूप से जुड़े मेगा क्षेत्रों के लिए एक नए युग की शुरूआत करेगा और भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करेगा।
82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर काम जोरों पर है जिसमें दुहाई और मोदीपुरम में दो डिपो और जंगपुरा में 1 स्टैबलिंग यार्ड सहित कुल 25 स्टेशन होंगे। हाल ही में कॉरिडोर पर 23वीं लॉन्चिंग गैन्ट्री लगाई गई थी और 14,000 से अधिक कर्मचारी और 1100 से अधिक इंजीनियर दिन-रात निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। एनसीआरटीसी ने एलिवेटेड सेक्शन की नींव का लगभग 80% काम पूरा कर लिया है।
अब तक 40 किमी खंड पर 1400 से अधिक पीयर्स और 18 किमी वायाडक्ट का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से अधिकांश प्राथमिकता खंड में हैं। साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर के प्राथमिकता खंड को 2023 तक और पूरे कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। प्राथमिकता खंड पर सिविल वर्क, जिसमें कुल 5 स्टेशन हैं, पूरा होने वाला है। एलिवेटेड वायडक्ट पर ओवरहेड इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट (ओएचई) इंस्टालेशन के साथ ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है। प्राथमिकता खंड यानी साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो के सभी 5 आरआरटीएस स्टेशन आकार लेने लगे हैं।
रैपिड रेल में सुविधा के मुख्य बिन्दू
-पहले आरआरटीएस कॉरिडोर में प्रतिदिन लगभग 8 लाख यात्रियों के सफर करने की संभावना है।
-आरआरटीएस ट्रेनसेट की अन्य यात्री केंद्रित विशेषताएं
-उच्च गति पर हवा के दबाब को कम करने के लिए ट्रेन का आगे का भाग एयरोडायनेमिक होगा और प्लग-इन-दरवाजे होंगे।
– यात्रियों के प्रवेश और निकास के लिए चौड़े गलियारे के साथ पूरी तरह से वातानुकूलित कोच होगा। बड़ी खिड़की के शीशों से लोग बाहर का मनोरम दृश्य देख सकेंगे।
– आर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई 22 ट्रांसवर्स सीटिंग, ओवरहेड लगेज रैक के साथ होगी कुशन वाली सीटें।
– हर ट्रेन में होगा एक ‘प्रीमियम क्लास कार’, जो अधिक लेगरूम, कोट हैंगर और चौड़ी सीटों के साथ आरामदायक, सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली बनाया गया है।
– महिलाओं के लिए आरक्षित एक कोच।
– एनर्जी एफिसियेंट, रोशनी-आधारित आॅटो नियंत्रण परिवेश प्रकाश प्रणाली।
– सीसीटीवी निगरानी, आधुनिक पैसेंजर अनाउंसमेंट और डिजिटल पैसेंजर इनफार्मेशन सिस्टम।
– आॅनबोर्ड वाई-फाई
– हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग की सुविधा
– दिव्यांगजनों के लिए कोच में व्हीलचेयर और आपातकालीन चिकित्सा परिवहन के लिए स्ट्रेचर की विशिष्ट जगह का प्रावधान
– डायनेमिक रूट मैप डिस्प्ले, आपातकालीन संचार सुविधाएं
– इंडोर और आउटडोर सर्विलांस सिस्टम
– उन्नत सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर के साथ कंपैटिबल, स्वचालित ट्रेन संचालन और एळउर स्तर कक सिग्नलिंग
– अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर आधारित डिजाइन और निर्माण
– अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुरक्षा और खतरे के आकलन के आधार पर उपयुक्त एसआईएल स्तर
– आंतरिक और बाहरी आग के लिए फायर डिटेक्शन सिस्टम
– वेसाइड उपकरण के साथ एक्सल बॉक्स के तापमान की निगरानी