- सीएम के आदेश भी हवा में, आॅफिस में समय से नहीं बैठ रहे अधिकारी
- सोमवार को भी आॅफिस में लटका था ताला
- जनवाणी की पड़ताल में निचले स्तर के अधिकारी भी थे नदारद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट आदेश है कि किसी भी विभाग के अधिकारी अपने आॅफिस में बैठकर जनता की समस्या सुनेंगे, लेकिन शनिवार से ही अफसर गायब हो जाते हैं। क्योंकि संडे की छुट्टी होती हैं, फिर लगे हाथ सोमवार को भी नहीं आते हैं। इनको कोई टोकने वाला नहीं हैं। सिंचाई विभाग गंगनहर के अधिकारियों की टीम अक्सर गायब रहती हैं।
सोमवार को एसई अमिताभ कुमार अपने आॅफिस में नहीं थे। कहा गया कि एसई बाहर गए हैं। जब पूछा गया कि छुट्टी पर हैं, तो बताया गया कि नहीं। सरकारी कार्य से बाहर गए हैं। कहां गए हैं? कुछ पता नहीं। ये हाल तो एसई स्तर के आला अफसरों का हैं। संडे की छुट्टी भी लगे हाथ सोमवार की भी छुट्टी बना दी। सिंचाई विभाग के एसई गायब थे तो निचले स्तर के अधिकारी भी नदारद थे।
उनसे नीचे एक्सईएन काम करते हैं। गंगनहर एक्सईएन लांबा है, वह भी सोमवार को गायब थे। आॅफिस पर ताला लटका था। कहा गया कि साहब! बाहर गए हैं। कहां गए हैं? कुछ पता नहीं हैं। यह कोई भी विभाग का कर्मचारी बताने को तैयार नहीं थे। आखिर अधिकारी गायब है, फिर उनके अधीनस्थ कैसे बता सकते हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती हैं। ये ऐसा समय है, जब माइनर और रजवाहों में पानी नहीं आ रहा हैं।
किसान हर रोज बवाल कर रहे हैं। फिर भी पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा हैं। माइनर व रजवाहों की सफाई नहीं कराई गयी। जब पैसा आया तो इनकी सफाई क्यों नहीं की गई? यह बड़ा सवाल हैं। इसकी मुहिम ‘जनवाणी’ ने चला रखी हैं, लेकिन अधिकारी खुद ही गायब है। जनता की समस्या का समाधान क्या करेंगे? किसान सिंचाई विभाग में पानी क्यों नहीं चल रहा है, यह पूछने आते हैं तो अधिकारी मिलते ही नहीं।
राज्यमंत्री दिनेश खटीक भी मेरठ के रहने वाले हैं। इसके बावजूद सिंचाई विभाग के अधिकारी बेलगाम हैं। इन पर लगाम क्यों नहीं कसी जा रही है ? योगी आदित्यनाथ के राज में तमाम विभागों में सख्ती की जा रही हैं, फिर भी सिंचाई विभाग में अधिकारी लापरवाह क्यों बने हुए हैं। फिर स्थानांतरण का दौर भी चल रहा हैं। कहीं अधिकारी ताबदला रुकवाने या फिर मलाईदार जनपद में पोस्टिंग कराने के लिए इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं।
सिंचाई विभाग के बड़े अधिकारी तो आॅफिस से नदारत थे ही साथ ही क्लर्क स्तर के कर्मचारी भी सीट से गायब थे। इधर-उधर टहल रहे थे। क्लर्क भी बेखौफ दिखे, तभी तो सीट से गायब थे। ये हाल सिंचाई विभाग का हैं, जिनका सीधे संवाद किसानों के साथ हर रोज होता हैं। यही कुछ हाल मध्य गंगा के अधिकारियों का हैं, वहां भी अधिकारी गायब ही रहते हैं। इस तरह से सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौज काट रहे हैं, इन पर लगाम नहीं लग पा रही हैं।