- कैंट क्षेत्र में आवासीय मानचित्र स्वीकृत कराकर व्यवसायिक बिल्डिंग बना दीं
- तत्कालीन सीईओ नवेंद्र नाथ पर उठ रही हैं अवैध निर्माण को लेकर अंगुली
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट क्षेत्र में कुछ ऐसे स्थानों पर व्यवसायिक बिल्डिंग बना दी गई हैं, जो कैंट बोर्ड के दस्तावेज में है तो आवासीय हैं और बन गई है व्यवसायिक बिल्डिंग। एक-दो नहीं, बल्कि इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। चार ऐसे मामलों को लेकर कैंट बोर्ड के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
जौली स्टोर के निर्माण तो सुर्खियों में बन गया था, जिसमें एक तत्कालीन सीईओ की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बावजूद इसके कार्रवाई कुछ नहीं की गई। क्या ऐसे लोगों पर कैंट बोर्ड के अधिकारी कोई कार्रवाई करेंगे।
हनुमान चौक के पास एक नई बिल्डिंग बनी है, जो बोम्बे बाजार स्थित एक बिल्डिंग को गिराने के दौरान गिर गई थी। तब कहा गया था कि इस बिल्डिंग का मानचित्र स्वीकृत है, लेकिन आवासीय में। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बिल्डिंग आवासीय में स्वीकृत है, लेकिन यहां व्यवसायिक बिल्डिंग बन गई है, जिसमें व्यवसायिक गतिविधियां चलेगी।
बाकायदा दुकानों के शटर भी लग गए हैं, लेकिन कैंट बोर्ड ने इसे मौन स्वीकृति दे रखी है। कैंट बोर्ड के अधिकारियों से जब भी पूछा जाता है तो कहा जाता है कि इसका मानचित्र स्वीकृत है। यह छुपाया जाता है कि मानचित्र आवासीय में स्वीकृत हैं, लेकिन मौके पर व्यवसायिक बिल्डिंग कैसे बन गई? यह बड़ा सवाल है। इस पर कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की ? यह भी मामला जांच के दायरे में है।
इस तरह के कई मामले हैं। अलीमपुरा स्थित 78 नंबर कोठी हैं, जिसमें देवेंद्र सिंह की व्यवसायिक गतिविधियां संचालित है। यह भी आवासीय बंगला है, लेकिन इसको पूरी तरह से व्यवसायिक में परिवर्तित कर दिया गया है। पिछले दिनों यहां कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने खानापूर्ति करने के लिए एक दीवार भी गिरा दी, लेकिन जो मुख्य दीवार थी,उसे नहीं गिराया।
मुख्य दीवार को छोड़ दिया गया। इस मेहरबानी की वजह क्या हैं? इसी तरह का 331 रंगसाज मोहल्ले में आवासीय बिल्डिंग है, जिसका उपयोग व्यवसायिक में कर दिया गया है। इसके अलावा 385 बकरी मोहल्ला लालकुर्ती में भी आवासीय बिल्डिंग में व्यवसायिक बिल्डिंग बना दी गई है, जिसका वर्तमान में भी काम चल रहा हैं।
सदर का जौली स्टोर का अवैध निर्माण का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। इसको लेकर तत्कालीन सीईओ रविंद्र नाथ पर भी उंगली उठ रही थी। चर्चा यह भी थी कि तत्कालीन सीईओ के इशारे पर ही जौली स्टोर का निर्माण तेजी से किया गया।
यह ऐसा निर्माण था, जिसमें रात दिन काम चला। बड़ा सवाल यह है कि इस अवैध निर्माण पर कैंट बोर्ड के अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? इनकी भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है। आखिर इन अवैध निमार्णों की जांच होनी चाहिए।