- प्रदूषण को रोकने के लिए 32 विभागों को किया था शामिल
जनवाणी संवाददाता|
मेरठ : महानगर में प्रदूषण के हालात धीरे-धीरे खराब हो रहे है। इस समय गेहूं की कटाई चल रही है। जिससे हवा में डस्ट पार्टिकल घुल रहे है। जिसके चलते प्रदूषण की रफ्तार लगातार बढ़ रही है। जिससे बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए हानिकारक बना हुआ है। इस प्रदूषण की रफ्तार को रोकने के लिए एनजीटी द्वारा नवंबर में ग्रेप सिस्टम लागू किया गया था।
लेकिन यह सिस्टम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। क्योकि इस सिस्टम के तहत 32 विभागों को शामिल किया गया था। जिसमें विभागों को दिशा-निर्देश दिए गए थे कि बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए सहयोग किया जाए। लेकिन प्रदूषण विभाग के अलावा इस सिस्टम में कोई विभाग भी कार्रवाई करता हुआ नजर नही आया है।
जिसके चलते प्रदूषण का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में सांस लेना भी दुभर हो जाएगा और लोग बीमारी का शिकार होने लगेगें। ग्रेप सिस्टम में नगर निगम, एमडीए, पीडब्लूडी, यातायात पुलिस, कृषि विभाग, आरटीओ विभाग, जल निगम विभाग समेत 32 विभाग शामिल है। लेकिन किसी भी विभाग ने प्रदूषण को रोकने के लिए कोई भी कार्रवाई आज तक नही की है।
अकेला प्रदूषण विभाग ही इस कार्रवाई में लगा हुआ है। शहरों में कंर्स्टक्सन का काम लगातार चल रहा है। उस कार्य के च लने के कारण प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। हाइवे पर लगातार चल रहे निर्माण कार्यो के कारण भी प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। अगर मानक के अनुरुप कार्य किए जाए तो शायद कुछ हद तक प्रदूषण की रोकथाम हो सकेगी। लेकिन विभागों की उदासीनता के च लते प्रदूषण में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।
पल्लवपुरम के हालात बेहद नाजुक साढे तीन सौ के पार पहुंचा प्रदूषण
मेरठ शहर में प्रदूषण के हालात तो पहले से ही खराब चल रहे है। लेकिन अब पल्लवपुरम के हालात बेहद नाजुक हो रहे है। यहां प्रदूषण ने साढे तीन सौ का आंकड़ा पार कर लिया है। जिसके चलते लोगों को सांस लेने में भी परेशानी हो रही है।
क्योकि पल्लवपुरम क्षेत्र में लगातार कंस्ट्रक्शन का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। इन कार्या के हाने के कारण प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। नई-नई कालोनियों का निर्माण चल रहा है। लेकिन एमडीए से लेकर नगर निगम तक कोई कार्रवाई अभी तक नही हुई है।
जिसके चलते पल्लवपुरम के हालात बेहद नाजुक हो गए है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हालात बेकाबू हो जाएगें।
बारिश होने के बाद ही मिलेगी राहत| गेहूं की कटाई होने के कारण हवा में डस्ट पार्टिकल मिल रहे है। जिसके चलते प्रदूषण बढ़ रहा है।
इस बढ़ते प्रदूषण से राहत तभी मिलेगी। जब बारिश होगी। बारिश होने के कारण यह कण बारिश में धुल जाएंगे और प्रदूषण कम हो जाएगा। क्योंकि बढ़ता प्रदूषण भी गर्मी के प्रकोप बढ़ाने में शामिल होता है। गेहूं की कटाई से वातावरण में धूल और ज्यादा हो गई है।
शहरों में प्रदूषण की स्थिति
- मेरठ- 246
- बागपत- 251
- बुलंदशहर- 307
- गाजियाबाद- 287
- हापुड़- 358
- ग्रेटर नोएडा- 328
- नोएडा- 320
- मुजफ्फरनगर- 290
- महानगर में प्रदूषण की स्थिति
- गंगानगर – 261
- जयभीम नगर- 244
- पल्लवपुरम- 356