यदि आप इस तनावपूर्ण बीमारी से बचाव चाहते हैं तो आप अवश्य कुछ बातों का ध्यान रखें। पहली बात तो यह है कि समय-समय पर खाएं, जिससे कि आपके पेट को भी खाना पचाने में आसानी हो। फिर, खाने में हरी सब्जियों का और फल, दूध, दही इत्यादि का होना भी जरूरी है।
ज्यादा मसालेदार या तेलयुक्त खाना न खाएं और खाना सदा इत्मीनान से बैठ कर खाएं व खाते समय तनावपूर्ण ख्यालों को दूर रखें। खाना खाते समय हल्की फुल्की और खुशहाली की बातें करें। इससे आपकी आंतें नहीं सिकुडेंगी।
जब भी आपको पेट में दर्द होता है, पेट में अफारा होता है या फिर बदहजमी होती है तो आप सोचते हैं कि शायद आपने कुछ उल्टा-सीधा खा लिया होगा जिससे आपको यह परेश्त्रनी हो रही है लेकिन एक खोज के अनुसार पेट में लगातार गड़बड़ी रहने का अस्सी प्रतिशत कारण गलत खाना नहीं, कुछ और ही है।
हम में से कई लोग हैं जो खाने के मामले में, जानकारी बढ़ने के कारण, बहुत ही सावधानी बरतते हैं, लेकिन फिर भी हमें पेट खराब रहने की अनगिनत शिकायतें हैं।
जब भी हमें पेट में गड़बड़ी महसूस होती है, हम तुरन्त हाजमे की दवाई, डाइजीन, चूर्ण, अजवाइन, पुदीने का रस अदरक इत्यादि ले लेते हैं लेकिन कई बार यह सब करने के बावजूद यह समस्या दूर नहीं होती और कई बार तो इसके साथ उबकाई भी शुरू हो जाती है। ऐसे में आप शायद आज के तनावपूर्ण माहौल में रहने के कारण डिस्मोटिलिटी का शिकार हो गए हैं।
डिस्मोटिलिटी होने से आपके पेट में होने वाले काम में रुकावट आती है और इससे कई प्रकार की तकलीफ और दर्द का सामना करना पड़ता है। जब खाना हमारे पेट में पहुंचता है, वह पेट में मौजूद रसों के कारण हजम होना शुरू होता है। हमारे पेट में मांसपेशियां होती हैं जो इस खाने को पचाने में मदद करती हैं।
इनसे हमारा खाना समय-समय पर पच कर पेट से आगे आंतों में धकेला जाता है। इसका मतलब है कि हमारे पेट में एक सही प्रमाणिक ताल है, जिससे मांसपेशियां यह सब काम करती हैं। कभी-कभी यह ताल बिगड़ जाती है और इसके कारण ये समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
जब आपकी ताल यूं बिगड़ जाती है तो खाना बिना हजम हुए ही आपके पेट में पड़ा रहता है और कई बार तो ऊपर की तरफ वापिस भी आने की संभावना होती है, जिससे आपको उबकाई, खट्टे डकार व पेट भरा और फूला-फूला सा रहने की शिकायत होती है।
डाक्टरों के अनुसार यह भी आजकल के तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करने की वजह से है। तनाव और भाग दौड़ के कारण ही आपको ठीक समय पर, सही प्रकार का भोजन नहीं मिलता। इसके अलावा, आप जो भी खाते हैं, वह इतनी जल्द और बिना पचे आपके पेट से या तो धकेला जाता है या फिर यूं ही बेकार पड़ा रह पेट में अफारा और दर्द पैदा करता है।
पिछले कई वर्षों से इस तरह की गड़बड़ी के शिकार होने वालों की संख्या बढ़ गई है। इसका एक मुख्य कारण तनाव ही माना गया है। तनाव के कारण कई लोगों के दिमाग पर असर पड़ता है तो कई लोगों के दिल पर और अब जानकारी मिल चुकी है कि तनाव के कारण आपके पेट पर भी भयानक प्रकार का असर पड़ता है।
जिससे आपकी आंत बहुत कमजोर हो जाती है और सिकुड़ भी जाती हैं। कभी-कभी तो तकलीफ इतनी बढ़ जाती है कि आंत में गांठें भी पड़ जाती हैं और एक आपरेशन के जरिये इनका गांठों वाला हिस्सा काटना पड़ता है।
डिसमोटिलिटी का एक और कारण है गलत समय पर खाना और गलत तरह का खाना। आजकल आप देखेंगे कि एक आम घराने में भी बच्चे और बड़े, सभी बरगर, चिप्स, कोला, पेप्सी और पिज्जा इत्यादि ज्यादा खाने लगे हैं। हरी सब्जी, दाल, सलाद, दूध और फल इत्यादि खाने को आदत मानो खत्म हो चुकी है।
फिर ज्यादा भागदौड़ के कारण हम में से बहुत से लोग आराम से बैठ कर खाते ही नहीं। जहां भी हो, जैसे भी हो, खड़े हुए, चलते हुए, खाना बनाते हुए या फिर गाड़ी चलाते हुए कहीं भी खा लेते हैं। इन सब का असर बुरा पड़ता है।
यदि आप इस तनावपूर्ण बीमारी से बचाव चाहते हैं तो आप अवश्य कुछ बातों का ध्यान रखें। पहली बात तो यह है कि समय-समय पर खायें जिससे कि आपके पेट को भी खाना पचाने में आसानी हो।
फिर, खाने में हरी सब्जियों का और फल, दूध, दही इत्यादि का होना भी जरूरी है। ज्यादा मसालेदार या तेलयुक्त खाना न खायें और खाना सदा इत्मीनान से बैठ कर खायें व खाते समय तनावपूर्ण ?यालों को दूर रखें। खाना खाते समय हल्की फुल्की और खुशहाली की बातें करें। इससे आपकी आंतें नहीं सिकुडेंगी।
यदि आपकी शिकायत स्वयं सावधानी बरतने से कम नहीं होती तो डाक्टर की सलाह से इसका ठीक इलाज करवाएं लेकिन यह याद रहे कि इस प्रकार की बीमारी का सही उपचार काफी हद तक आपके अपने वश में है।