Monday, May 19, 2025
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काम के प्रति लगन होना जरूरी: यशपाल शर्मा

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हिंदी सिनेमा तथा रंगमंच के बेहतरीन और लाजवाब एक्टर यशपाल शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लगान फिल्म में अपने जबरदस्त अभिनय का लोहा मनवाने वाले यशपाल शर्मा ने आगे फिल्म यहां, अनवर, गुनाह, दम, वेलकम टू सज्जनपुर, गैंग्स आॅफ वासेपुर 2, गंगाजल, राउडी राठौड़, सिंह इज किंग सरीखी फिल्मों में अपने अभिनय का बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं दादा लख्मीचंद जैसी क्लासिकल संगीतमय फिल्म बना कर डायरेक्शन के क्षेत्र में भी बुलन्दी के सभी झंडे गाड़ दिए। यशपाल शर्मा बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल मंच के आइकॉन फेस भी हैं। यशपाल शर्मा से मशहूर आलोचक फिल्म समीक्षक एवं कहानीकार डॉ तबस्सुम जहां ने बात की।

सर आज जो इतने नेशनल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हो रहे हैं ऐसे में आप बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को कैसे उनसे अलग करके देखते हैं?
– इसकी शुरुआत करने का मकसद ही यही है कि मैंने लोकल और नेशनल इंटरनेशनल बहुत सारे फिल्म फेस्टिवल अटैंड किए हैं और मैं इस बात को अच्छे से जानता हूं कि इक्का दुक्का को छोड़कर बहुत लोग अपने दोस्तों को अवार्ड दे देते हैं या अपने दोस्तों को बुला लेते हैं। मतलब सही कंपटीशन या सही टैलेंट वह नहीं मिल पाता है। आने वाले दिनों में बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ‘बेस्ट आॅफ द वन’ फेस्टिवल होगा यह मेरा आपसे वादा है और प्रतिभा का भी क्योंकि यह प्रतिभा की ही देन है मैं तो केवल साथ खड़ा हूं। मेरा मानना है कि हम इसमें रेपुटेटिड या सिलेक्टिड फिल्में जो अच्छी होंगी वही दिखाई जाएंगी।

यह अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल है तो क्या इसमें अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों के प्रदर्शन की वजह से या भारतीय फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय फलक देने का प्रयास की वजह से ऐसा है। आप इसका मूल उद्देश्य क्या स्वीकारते हैं। भारतीय सिनेमा अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचे या अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा भारतीय लोगों तक पहुंचे। मुख्य मकसद क्या है।
-इसमें इंडियन फिल्में और विदेशी फिल्में दोनों शामिल हैं चाहे वह शॉर्ट फिल्म हों चाहे फीचर फिल्म हों, चाहे डॉक्यूमेंट्रीज हों या वेबसीरीज हों या बाकी हों तो इसलिए इसमें जो विदेशी अच्छा सिनेमा है वो हम को देखने को मिलता है। और जो हमारा अच्छा सिनेमा है वो विदेशियों को देखने को मिलता हैं। पिछले फेस्टिवल में मुझे अभी तक याद है कितनी सारी विदेशी फिल्में आई थीं जिनको देखना अपने आप में कमाल का अनुभव था। हमको एक अच्छा दर्शक भी होना है क्योंकि सिनेमा देख कर हम बहुत कुछ सीखते हैं। तो हमारे फेस्टिवल में एक मेला जैसा लगा है दो साल। और बकायदा लोगों ने खूब देखा है सिनेमा और तारीफ भी की है। सैकड़ों मैसेज भी आए हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है हमारा यही मकसद है कि विदेशी सिनेमा भारतीयों तक पहुँचे और भारतीय सिनेमा विदेशियों तक पहुँचे बिफ्फ का यह एक बहुत बड़ा उद्देश्य है।
आपकी स्वयं इतनी व्यस्तताएं रहती हैं। आप खुद फिल्मों से जुड़े हैं अभिनय तथा निर्देशन के क्षेत्र में। फिर इन्हीं लोगों से संबंधित मंच बनाना यानी आप स्वयं संघर्ष के दौर से गुजरे हैं आपने फिल्म जगत से जुड़े लोगों का संघर्ष भी देखा है तो

आप क्या मानते है कि आज के दौर में इस तरह के फेस्टिवल से किस प्रकार भारतीय सिनेमा को फायदा हो
रहा है।

-किसी भी काम को करने के लिए डेडिकेशन तो चाहिए चाहे वह फिजिकली डेडिकेशन आप अटेंड करके करें या मेंटली आप सोच कर घर पर करें। सोच के आधार पर मैं अपना पूरा डेडिकेशन दिखाता हूं, लेकिन फिजिकली देखा जाए तो इसे प्रतिभा हैंडिल करती है मैं पूरा श्रेय प्रतिभा को देना चाहता हूं जो बहुत ही डेडिकेशन के साथ इस फेस्टिवल को संभाले हुए है और बिफ्फ की पूरी टीम है उसमें जितने भी लोग हैं सब मिलकर जो कार्य कर रहे हैं मैं पूरी बिफ्फ टीम में सबको बधाई देना चाहता हूँ। कि पूरी डेडिकेशन के साथ जो लगी हुई है, काम कर रही है और इससे नि:संदेह पूरे सिनेमा को फायदा ही होगा। यह फायदा कौन कितना मानता है यह उसकी बात नहीं है यह फायदा हमें पता है कि हम कितना सीख रहे हैं और सिखा रहे हैं और जो लोग इसको देख कर सीख रहे हैं और जो इससे फायदा उठा रहे हैं, अच्छा विदेशी सिनेमा, अच्छा एंटरटेनमेंट सिनेमा, सिलेक्टिड फिल्में देखना कोई छोटी बात नहीं है उसको सराहना। इसका बहुत कमाल का रिस्पॉन्स भी आया है। तो मैं पूरी बिफ्फ की टीम को एकजुटता के साथ चलने के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

वो लोग आपके फेस्टिवल तक पहुंच कैसे बनाए जो एकदम नए हैं। जो नहीं जानते कि वहां तक कैसे पहुंचा जाए। या जिनके पास कोई तकनीकी सोर्स नहीं है उन तक किसी फेस्टिवल की कोई सूचना ही नहीं पहुँचती। उन को सामने लाने के लिए बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के द्वारा किस प्रकार के प्रयास हो रहे हैं?
-हम अपनी पब्लिसिटी करने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को पता चले। मैं इसको 100 प्रतिशत मानता हूं कि जितनी पब्लिसिटी हो रही है वो 20 प्रतिशत भी नहीं है। इसको बहुत आगे तक जाने की जरुरत है ताकि इंटरनेशनल पटल पर भी लोगों को पता चले कि ऐसा फेस्टिवल हो रहा है जो कि शायद ऐसा नहीं हो पा रहा है, पता नहीं चल रहा है लोगों को वो मेरी एक तकलीफ है। इसको जल्द से जल्द सुधारना होगा और सुधारेंगे भी क्योंकि अपने छोटे से इलाके में, दोस्तों के सर्कल में, फेसबुक या इंस्ट्राग्राम पर उतने लोगों को पता चलना काफी नहीं है क्योंकि एक इंटरनेशनल रीच भी होना चाहिए जिसके लिए हमें जल्दी कुछ करना चाहिए और हम करेंगे।


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