- पंचायत चुनावों में ज्यादती से सत्ता विरोधी लहरें उठनी शुरू
- महंगाई, बेरोजगारी, गन्ना भुगतान जैसे मुद्दों पर घिरेगी सरकार
अवनीन्द्र कमल |
सहारनपुर: जिला पंचायत अध्यक्ष के बाद ब्लाक प्रमुख के चुनाव में पूरब की मानिंद पश्चिम में भाजपा ने परचम फहरा दिया है। हालांंकि, इसमेें कोई अचरज की बात इसलिए नहीं है कि यह चुनाव सत्ता की हनक में हुआ और प्रशासनिक मशीनरी सरकार की कठपुतली की तरह काम करती रही।
भाजपा की जबरदस्त जीत के पीछे अफसरों और सत्ताधारियों की जबरदस्ती साफ नजर आई। वोटों को न डालने देने, गिनती में धांधली और डराने-धमकाए जाने को लेकर जगह-जगह विपक्षियों ने आरोप लगाए। विरोध किया। लेकिन, अधिकारियों ने डंडे के जोर पर मुखालफत में उठी आवाजों को दबा दिया।
सियासत के जानकारों का कहना है कि भाजपा भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो किंतु पब्लिक को सब पता है। और दिलचस्प बात ये है कि सत्ताविरोधी लहरों के उठने का सिलसिला शुरू हो गया है। 15 जुलाई को सपा का जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन इसी का हिस्सा होगा। इसे छोड़ भी दें भाजपा सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, गन्ना भुगतान जैसे मुद्दों को विपक्षी दल भुनाने के लिए तैयार बैठे हैं।
इसमें दो राय नहीं कि सन 2022 में यूपी में होने वाले विधान सभा चुनावों को मजबूती से लड़ने के लिए भाजपा ने रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। इस संबंध में पंचायत चुनाव की बात करें तो सस्तनशीं भाजपा ने जिपं अध्यक्ष पदों और फिर ब्लाक प्रमुखों की अधिकांश सीटों पर कब्जा किया है।
हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा ने प्रशासनिक मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर जबरन इन पदों पर अपने प्रत्याशियों की ताजपोशी कराई है। यही वजह है कि जगह-जगह झड़पें हुईं। कुछ जगहों पर पथराव और लाठी चार्ज तक किया गया। सहारनपुर के देवबंद में सपा प्रत्याशी नितिशा सिंह की जीत तय थी। ऐन मौके पर नाटकीय ढंग से उन्हें पराजित घोषित कर दिया गया।
यही नहीं, सपाई जब धरने पर बैठे तो उन पर लाठियां बरसाई गईं। सपा प्रत्याशी के पति व पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र सिंह राणा के बेटे कार्तिकेय को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। ब्लाक प्रमुख पद पर कार्तिक की पत्नी भले चुनाव हार गई हों पर कार्तिक का नंबर सपा में बढ़ गया लगता है। इसलिए बढ़ गया कि वह पुलिस के मुकाबिल हुए। डटकर विरोध किया। यह बात पार्टी मुखिया अखिलेश यादव तक पहुंच गई है।
कार्तिक और उनकी पत्नी नितिशा सिंह के प्रति पूरे क्षेत्र में सहानुभूति की लहर है। उधर, ब्लाक साढौली कदीम में भी बड़े आश्चर्यजनक ढंग से भाजपा प्रत्याशी की जीत की घोषणा की गई। यहां भी विपक्ष के प्रत्याशी को मायूस होना पड़ा। लगभग हर जगह यही स्थिति रही। या तो दबाव में निर्विरोध निर्वाचन करा लिया गया नहीं तो फिर डंडे के जोर पर। खैर, भाजपा पंचायत चुनावों से जीत का ढिंढोरा पीटते हुए ऐन-केन प्रकारेण हिंदुत्व का ही कार्ड खेलने जा रही है।
हाल ही में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि सहारनपुर में 200 करोड़ की लागत से 19 किलोमीटर फोरलेन बाइपास सड़क का निर्माण शाकुंभरी देवी तक किया जाएगा। संभव है कि सन 2022 के चुनाव का शंखनाद भी योगी आदित्यनाथ इसी मंदिर में पूजा-पाठ के बाद करें।
पूरब में विंध्यांचल शक्ति पीठ के लिए तीर्थविकास बोर्ड की स्थापना की मंजूरी भी इसी ओर इशारा कर रही है कि भाजपा हिंदुत्व राग छेड़े बिना नहीं रहेगी। लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि महंगाई, बेरोजगारी, गन्ना भुगतान जैसे मुद्दों पर पश्चिम में भाजपा की डगर आसान कतई न होगी।
सपा और रालोद की जुगलबंदी भी भाजपा का खेल बिगाड़ेगी। स्वयं भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी अपनी सरकार में उपेक्षित हैं तो इसका भी असर चुनवों पर पड़ेगा। फिलवक्त, तो पंचायत चुनाव में भाजपा ने जैसे भी कर के कमल खिला दिया है।