- पश्चिम क्षेत्र अध्यक्ष पद पर सतेन्द्र की ताजपोशी के बाद जाट व गुर्जर नेताओं की जिलाध्यक्ष पद पर प्रबल दावेदारी बनी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी घोषित करने के बाद अब कभी भी भाजपा जिलाध्यक्ष के नाम का भी ऐलान किया जा सकता हैं। एक सप्ताह के भीतर जिलाध्यक्ष पद को लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लग जाएगा। पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष पद की कमान सतेन्द्र सिसोदिया को देने के बाद अब जनपद में जिलाध्यक्ष जाट या फिर गुर्जर जाति से हो सकता हैं। क्योंकि जाट और गुर्जर नेताओं की प्रबल दावेदारी बन गई हैं।
अब इसको लेकर राजनीति तेज हो गई हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जाट नेताओं के रूप में कोपरेटिव बैंक के चेयरमैन मनिंदरपाल सिंह, अजित सिवाच, गुर्जर नेता संदीप पधान और अंकुर मुखिया का नाम टॉप में चल रहा हैं। भाजपा के शीर्ष नेता यदि जाटों व गुर्जरों पर दांव लगाते हैं तो इन नेताओं में से ही किसी एक की जिलाध्यक्ष पद पर ताजपोशी संभव हो सकती हैं। अनुज राठी भी जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में भाजपा भी जाटों को नाराज करने के मूड में नहीं हैं।
इसलिए फिर से जिलाध्यक्ष पद पर किसी जाट नेताओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती हैं। हस्तिनापुर और किठौर विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जर मतदाताओं की अहम भूमिका रहती हैं, इसलिए गुर्जर जाति के नेताओं की भी इसमें दावेदारी बढ़ गयी हैं। गुर्जर बिरादरी के नाम पर डा. सोमेन्द्र तोमर को प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी भी भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दे रखी हैं। दरअसल, जाट भाजपा नेता देवेन्द्र चौधरी और बागपत के भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह को भी प्रदेश कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई,
जबकि ये दोनों जाट नेताओं को पिछली बार प्रांतीय कार्यकारिणी में जिम्मेदारी दी गई थी। ऐसे में भाजपा के शीर्ष नेता भी नहीं चाहते कि जाटों को नाराज किया जाए। खतौली विधानसभा उप चुनाव में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा था। यहां पर जाट और गुर्जर मतदाताओं ने भाजपा के विरोध में मतदान किया था, जिसके चलते खतौली की सीट रालोद के खाते में चली गई थी।