Saturday, July 12, 2025
- Advertisement -

अखिलेश से मिले जयंत, 32 सीटों पर सहमति बनी

  • 62 सीटें मांग रहे थे जयंत चौधरी, सीट बटवारे के दौरान मीटिंग में मौजूद रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सोमपाल शास्त्री भी

जनवाणी संवाददाता   |

मेरठ: विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन में कौन दल, कहां से चुनाव लड़ेगा? इस पर फाइनल मुहर लगाने के लिए गुरुवार को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी एक टेबल पर बैठे। यह मीटिंग लखनऊ में अखिलेश यादव के आवास पर चली। 32 विधानसभा सीटों पर फाइनल मुहर लग गई।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस पर सहमति की मुहर लगा दी। यह दोनों दलों के अध्यक्षों की बैठक सीटों के बटवारे को लेकर ही थी। पश्चिमी यूपी के लिए सपा-रालोद का गठबंधन बेहद अहम हैं। दोनों दलों के बीच सीटों के लेकर बातचीत तो चल रही थी।

गठबंधन का ऐलान दबथुवा की सभा में किया जा चुका था, लेकिन सीट कौन सपा पर होगी और कौन सी रालोद पर, यह अभी तय नहीं था। इसको लेकर विरोधाभास दोनों दलों में पैदा हो रहा था। सूत्रों का कहना है कि रालोद 62 सीटें सपा से मांग रहा था, लेकिन फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 32 सीटें रालोद को देने पर सहमति दे दी हैं।

दोनों के बीच करीब दो घंटे मीटिंग चली, जिसमें एक-एक सीट को लेकर चर्चा हुई। यह बैठक अखिलेश और जयंत चौधरी के बीच अहम रही। क्योंकि कभी भी चुनाव आचार संहिता का ऐलान किया जा सकता है। इसी वजह से सीटों का फाइनल बंटवारा होना चाहिए, जिस पर फाइनल मुहर लगा गई है। इस मीटिंग में अखिलेश यादव व जयंत चौधरी के अलावा पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री भी मौजूद रहे। सोमपाल शास्त्री वर्तमान में रालोद में हैं।

उन्हें एक सधा हुआ राजनेता माना जाता है। उनके अनुभवों को लेकर जयंत चौधरी आगे बढ़ रहे हैं। वेस्ट यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति की सोमपाल शास्त्री को समझ भी है और वह जानते भी है कि किस सीट से रालोद का प्रत्याशी जीत सकता है। इसी वजह से जयंत चौधरी और सोमपाल शास्त्री ने पूरा होमवर्क कर अखिलेश यादव को समझाने का प्रयास किया कि सीटों के बटवारे से किस तरह से गठबंधन को लाभ हो सकता है।

दरअसल, कृषि कानून के खिलाफ किसानों के चले आंदोलन के बाद रालोद एक बार फिर अस्तित्व में आते हुए दिखाई दे रही है। जयंत चौधरी का यह पहला चुनाव होगा, जब चौ. अजित की मृत्यु के बाद वह खुद कमान संभाले हुए हैं। उनके सामने राजनीतिक विरासत को वापस लाने की भी चुनौती है। किसान आंदोलन का देखा जाए तो भरपूर फायदा जयंत चौधरी ने ही उठाया हैं। उनकी ताबड़तोड़ महापंचायतों के बाद रालोद के पक्ष में माहौल बना, वहीं भाजपा के खिलाफ किसानों को एकजुट करने में जयंत चौधरी कामयाब भी हुए हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Son Of Sardaar 2 Trailer: ‘सन ऑफ सरदार 2’ का दमदार ट्रेलर रिलीज, नए अवतार में दिखे अजय देवगन

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

संकोच रोकता है बच्चों का विकास

बच्चों का अपना-अपना स्वभाव होता है। कुछ बच्चे संकोची...
spot_imgspot_img