- आवारा पशुओं को लेकर सरकारी अमला गंभीर, छुट्टा पशु घूम रहे सड़कों पर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों जब शहर में पहुंचे तो सड़कों से पशु गायब थे। पूरा सरकारी सिस्टम का इसी पर फोकस था कि एक भी पशु सड़क पर दिखाई ना दे। यह देखकर अच्छा भी लगा कि सरकारी सिस्टम काम करने लगा है। आवारा पशुओं को लेकर सरकारी सिस्टम गंभीर हो गया हैं, लेकिन यह नहीं मालूम था कि यह प्रक्रिया सिर्फ एक दिन सीएम के रहने तक सड़कों पर चलाई जा रही हैं। इसके बाद फिर से आवारा पशुओं को छूट्टा सड़कों पर छोड़ दिया जाएगा।
गुरुवार को लाल कुर्ती मैदा मोहल्ला निवासी पदम सिंघल को आवारा गाय ने टक्कर मारकर घायल कर दिया। यह हमला वृद्ध अवस्था में सिंघल के लिए मुसीबत खड़ी कर दी हैं। आमतौर पर इस तरह की घटना घटित हो रही है, लेकिन कैंट बोर्ड ने आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए एक पूरी टीम लगाई है तथा उसके लिए पशुओं को रखने के लिए दो काजी हाउस भी है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘जनवाणी’ फोटो जर्नलिस्ट ने देखा कि आवारा पशुओं को पकड़ने का कितनी ईमानदारी से काम कैंट बोर्ड के कर्मचारी कर रहे हैं ? इसको परखने की कोशिश की। फोटो जर्नलिस्ट ने कैंट में बने काजी हाउस की तस्वीर बाहर और भीतर से ली गई। कांजी हाउस में एक भी पशु बंद नहीं था, कांजी हाउस खाली पड़ा था, जबकि सड़कों पर बड़ी तादाद में पशु घूम रहे थे। इन पशुओं को पकड़कर कांजी हाउस में बंद क्यों नहीं किया जा रहा है ? यह बड़ा सवाल है।
दरअसल, कैंट बोर्ड कर्मचारियों की ड्यूटी ही टीम बनाकर आवारा पशुओं को कैंट क्षेत्र में पकड़ने की लगाई गई है, लेकिन यह टीम कहा काम कर रही है? कुछ अता पता नहीं है। इसका सुपरविजन कैंट बोर्ड के कौन अधिकारी कर रहे हैं ? उसका भी कोई पता नहीं है। हालत यह हो गई है कि आवारा पशु हर रोज किसी न किसी घटना को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन कैंट बोर्ड के अधिकारी इसके बावजूद आवारा पशुओं को पकड़ने की दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
यदि ऐसा किया जा रहा है तो गठित की गई टीम क्यों काम नहीं कर रही हैं? फिर इस टीम के गठन करने का क्या औचित्य हैं? इससे तो अच्छा है, जनता ही खुद पकड़कर पशुओं को कांजी हाउस में बंद कर दे। जनता ऐसा खुद कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए कैंट बोर्ड के अधिकारियों को अनुमति देनी होगी। जनता इसकी पहल भी कर देगी। कम से कम हर रोज होने वाली दुर्घटनाओं को तो रोका जा सकता हैं।
एक व्यक्ति की पहले मौत भी हो चुकी हैं, मगर सबक लेने को कैंट बोर्ड के अधिकारी तैयार नहीं हैं। पिछले दिनों सीईओ का कार्यभार जब हरेन्द्र सिंह ने संभाला तो पशुओं को पकड़ने के लिए कर्मचारियों की जो टीम गठित की थी, उसको लगाया गया था। हर रोज टीम से पूछा जाता था कि आज कितने पशुओं को पकड़ा गया। वर्तमान में शायद फिर से पुराने ढर्रे पर कैंट बोर्ड पहुंच गया हैं, जहां पर आवारा पशुओं को लेकर किसी तरह का संज्ञान नहीं लिया जा रहा हैं।