- Advertisement -
नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। हिन्दू धर्म में सावन महीने में शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। बता दें कि पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है। सावन माह में पड़ने वाली एकादशी का बहुत महत्व होता है।
प्रत्येक एकादशी की तरह पुत्रदा एकादशी भी भगवान श्रीहरि को समर्पित होती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में वृद्धि होती है और भगवान विष्णु की अनुकूल कृपा प्राप्त होती है।
पुत्रदा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त
-
पुत्रदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक होगा।
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय
-
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 28 अगस्त को किया जाएगा। व्रत पारण समय: सुबह 05 बजकर 57 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक है।
पुत्रदा एकादशी की पूजा-विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर पीले रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देते हुए हुए व्रत का संकल्प करें। फिर पूजास्थल की साफ-सफाई कर वहां गंगाजल से छिड़काव करें।
अब साफ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान श्रीहरि विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित कर उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। फिर उन्हें धूप-दीप, तुलसी, चंदन, गंध-पुष्प और मिठाई अर्पित करें। भगवान विष्णु के स्त्रोत का पाठ और मन्त्रों का जाप करें। पूजा संपन्न होने के बाद आरती करें।
- Advertisement -