- एनएच-58 पेड़ों की सिंचाई के लिए चार पानी के टैंकर और लेवर को कंपनी द्वारा कर रखा उपलब्ध
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: परतापुर से लेकर रामपुर तिराहे तक 78 किमी का एरिया एनएच-58 में आता है। इस हाइवे पर परतापुर से लेकर रामपुर तक लाखों की तादाद में हरे-भरे पेड़ लगे हुए हैं। इन पेड़ों के रखरखाव के लिए टोलवे कंपनी द्वारा चार पानी के टैंकर पानी की सिंचाई के लिए व्यवस्था कर रखी है।
जबकि इन पेड़ों के रखरखाव और कटाई छटाई के लिए लेवर रख रखी है। प्रत्येक सप्ताह हाइवे पर इन हरे-भरे पेड़ों को नियमित रूप से ठीक करने के लिए लेवर द्वारा कार्य भी किया जाता है। हालांकि हाइवे के निर्माण कार्यों के दौरान कुछ स्थानों पर हरे-भरे पेड़ काटे गए थे। उन पेड़ों को देखते हुए कंपनी के द्वारा अन्य स्थानों पर हरे-भरे पेड़ लगा दिए गए हैं। हाइवे के इस कार्य के लिए कंपनी द्वारा प्रत्येक माह पांच से 10 लाख रुपये खर्च करती है।
वेस्टर्न यूपी टोलवे कंपनी द्वारा इस वर्ष टोल शुल्क में इजाफा किया गया है। एनएचएआई द्वारा बढ़े शुल्क के दाम जारी किए गए हैं। वहीं, हाइवे पर दूसरी और हरे-भरे पेड़ पौधों को नियमित रूप से ठीक रखने और उनकी देखभाल करने के लिए पांच लाख से 10 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च किए जा रहे हैं। हाइवे पर जगह-जगह हरे-भरे पेड़ तो लगे हुए हैं। उसके साथ-साथ कुछ खाली जगह भी छोड़ रखी है।
हालांकि इस खाली जगह छोड़ने के कारण को जब कंपनी के अधिकारियों से पूछा गया तो उनका कहना है कि हाइवे पर कट कई किमी लंबी दूरी पर होने के कारण स्थानीय लोग पेड़ों को काटकर वहां कट बना देते हैं। ऐसे में हरे-भरे पेड़ों को नुकसान होता है। इसलिए जहां हाइवे पर आबादी के लिहाज से कोई गांव बसा हुआ है। वहां कुछ स्थानों पर पेड़ नहीं लगाए गए, बल्कि खाली जगह छोड़ दी गई है।
जिसके चलते पेड़ों का नुकसान होने से बच जाता है। हाइवे पर हजारों की तादाद में पेड़ लगे हुए हैं, लेकिन उनकी देखभाल के लिए भी कंपनी द्वारा लेवर भी लगा रखी है। टोलवे कंपनी के मेंटीनेंस अधिकारी ब्रजेश सिंह का कहना है कि हाइवे पर रखरखाव के लिहाज से कंपनी द्वारा लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। हाइवे पर हरियाली रहे। इसके लिए प्रत्येक महीने पांच से 10 लाख रुपये कंपनी द्वारा खर्च किए जाते हैं।