Friday, July 5, 2024
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लोकसभा का ट्रायल होगा निकाय चुनाव

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  • राजनीतिक दलों के सामने पार्टी की शाख बचाने की चुनौती

  • टिकट वितरण से पहले किया जा रहा पूरा मन्थन

  • मुजफ्फरनगर पालिका सीट पर लगातार दो बार से हार का मुंह देख रही भाजपा

जनवाणी संवाददाता |

मुजफ्फरनगर: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे नगर निकाय चुनाव इस बार लोकसभा में राजनीतिक पार्टियों की स्थिति तय करेंगे। यह कहा जाये कि लोकसभा चुनाव के फाईनल से पहले निकाय चुनाव सेमी फाईनल होगा। इस चुनाव से जाहिर हो जायेगा कि जनता का मन क्या है, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात से सहमत है या फिर उन्हें मन की बात पसंद नहीं आ रही है।

राजनीतिक पार्टियां इस चुनाव को गंभीरता से ले रही हैं और वह टिकटों के वितरण से पहले भी काफी मंथन कर रही हैं। राजनीतिक पार्टियां टिकट वितरण में किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहती है।

मुजफ्फरनगर नगर पालिका सीट पर इस बार प्रत्याशी की हार-जीत की कमान 4,21,419 मतदाताओं के हाथ में है। नगर पालिका परिषद सीमा विस्तार करते हुए शहरी सीमा क्षेत्र से सटे 11 गांव की जनसंख्या सहित 16 गांव को नगर पालिका में शामिल किया गया है।

सीमा विस्तार के बाद इस सीट पर 1,63,000 मतदाताओं का इजाफा हुआ है। जिससे नगर पालिका मुजफ्फरनगर के भौगोलिक परिदृश्य के साथ-साथ सियासी हालात में भी जबरदस्त परिवर्तन आया है। 2 चुनाव के पहले पारंपरिक तरीके से जीत दर्ज कराती आ रही पार्टियों के सामने सीमा विस्तार के बाद से नया संकट खड़ा हो गया है।

मुजफ्फरनगर नगर पालिका सीट पर वैश्य, ब्राह्मण और पंजाबी प्रत्याशियों का कब्जा रहा है। यह बात दीगर है कि हार जीत के हिसाब से राजनीतिक दल बदलते रहे। अगर गत दो चुनाव की चर्चा करें तो मुजफ्फरनगर सीट पर लगातार कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जीत दर्ज कराते आ रहे हैं।

यह दोनों वैश्य समाज से आते हैं। इस सीट पर भाजपा वापसी के लिए छटपटा रही है। दो हार के बाद भाजपा के सिर पर हार की हैट्रिक का खतरा है। गत चुनाव में कांग्रेस की अंजू अग्रवाल ने भाजपा प्रत्याशी सुधा राज शर्मा को 11 हजार से अधिक मतों से हराया था।

उससे पिछले चुनाव में भी कांग्रेसी उम्मीदवार पंकज अग्रवाल जीते थे। भाजपा के संजय अग्रवाल उनसे करीब 9,000 मतों से हार गए थे। मुजफ्फरनगर में राजनीतिक दलों के पास लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं का मन पढ़ने का मौका आ गया है।

निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशी की हार जीत के साथ यह भी तय हो जाएगा कि जनता लोकसभा चुनाव 2024 में किसके साथ जाने वाली है। हालांकि मुजफ्फरनगर पालिका सीट पर भाजपा के सामने लगातार तीसरी हार को टाल कर जीत का खाता खोलने की चुनौती है। जबकि कांग्रेस जीत बरकरार रख हैट्रिक का प्रयास करेगी। सपा रालोद का गठबंधन भी उत्साहित नजर आ रहा है।

दो बार से लगातार हार का मुंह देख रही भाजपा

मुजफ्फरनगर जनपद की सबसे बड़ी नगरपालिका मुजफ्फरनगर नगरपालिका पर भाजपा दो बार से लगातार हार का मुंह देख रही है। मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से विधायक व राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल के सामने इस सीट पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जीत दिलाना उनके सामने एक बड़ी चुनौती हैं।

बता दें कि कपिल देव अग्रवाल भी इस सीट पर चेयरमैन रह चुके हैं और उनका अपने समाज में अच्छा खासा दबदबा है, परन्तु उसके बावजूद भी लगातार देा बार से इस सीट पर उन्हीं की जाति का कांग्रेस प्रत्याशी जीतता आ रहा है, जिससे साबित होता है कि स्थानीय स्तर पर उनकी जाति के लोग उन्हें नकार रहे हैं, जबकि विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत का स्वाद चखा रहे हैं।

कहीं ऐसा तो नहीं है कि कपिल देव अग्रवाल की जीत के लिए मिलने वाला वोट योगी व मोदी का तो नहीं हैं। यदि उनका स्थानीय प्रभाव होता, तो वह निकाय चुनाव में भी अपने पार्टी के प्रत्याशी को जीत दिलाने में सफलता हासिल करते ।

इस बार यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है,क्योंकि इस चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है, यदि ऐसे में भाजपा प्रत्याशी जीत का मुंह नहीं देखता है, तो उससे कहीं न कहीं भाजपा के लोकसभा चुनाव पर भी फर्क पड़ने वाला है।

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