- आर्य समाज के तीन दिवसीय आर्य सम्मेलन का समापन
जनवाणी संवाददाता |
शामली: आर्य समाज मंदिर में चल रहे 148वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय आर्य सम्मेलन का तीसरे दिन दिन यज्ञ, भजन एवं प्रवचन के कार्यक्रमों के साथ समापन गया। मुजफ्फरनगर से आए आर्य उपदेशक योगेश भारद्वाज ने अपने प्रवचनों और हिसार से आई कल्याणी आर्य ने भजनों के माध्यम से आर्यजनों का मार्गदर्शन किया।
रविवार को समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक तेजेंद्र निर्वाल का आर्य समाज के पदाधिकारियों ने ओम पट्टिका पहनाकर स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेट किया। कार्यक्रम शुभारंभ वैदिक से हुआ। हिंसार से आई भजनोपदेशक कल्याणी आर्य ने संस्कृति राष्ट्र की आत्मा होती है।
जिस राष्ट्र की संस्कृति मिट जाती है उसका पतन हो जाता है। वैदिक संस्कृति विश्व की श्रेष्ठ संस्कृति है। उन्होंने अपने भजन अब भी पल-पल याद आते है तेरे वो एहसान मां तुझसे बढ़कर और न कोई भगवान दुनिया में भगवान मां सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आर्य विद्धान योगेश भारद्वाज ने कहा कि देश और राष्ट्र भिन्न है। राष्ट्र बनाने के लिए चार जीचे जरुरी है।
सबसे पहले जमीन की जरुरत होती है। जमीन पर रहने वाले लोगों की जरुरत होती है। लोगों का जमीन पर मालिकाना हक होना जरूरी है। वेदानुकुल संस्कृति राष्ट्र की आत्मा होती है। संस्कृति अनुप्राणित होने से राष्ट्र चलता है। कार्यक्रम का संचालन वेद प्रकाश आर्य ने किया। कार्यक्रम के अंत में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर संरक्षक रघुवीर सिंह आर्य, प्रधान सुभाष गोयल आर्य, कोषाध्यक्ष रविकांत आर्य, मीरा वर्मा, रामकुमार गुप्ता, गिरधारी लाल नारंग, पूरण चंद आर्य, ज्ञानेंद्र मलिक, विवेक आर्य, रामेश्वर दयाल आर्य, संरक्षिका कमला आर्य, संतोष आर्या, प्रधान प्रेमलता आर्या, मंत्री पूनम आर्या, मिथलेश आर्या, दैनिक यज्ञ प्रभारी राजपाल आर्य, कौशल्या आर्य, अर्चना आर्या, दिनेश आर्य, वेदप्रकाश आर्य, श्वेता आर्य, सूर्यप्रकाश आर्य, विनोद तोमर मदनपाल मलिक, अशोक आर्य, विवेक आर्य, रामेश्वर दयाल आर्य नीलम आर्या आदि उपस्थित रहे।