- भ्रष्टाचार का वर्क आर्डर निगम ने सड़क का एस्टीमेट निगम पार्षद से छिपाकर तैयार किया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में भ्रष्टाचार की सड़कें बन रही हैं। ये भ्रष्टाचार अफसरों और ठेकेदार के बीच सेटिंग से चल रहा हैं। इस सेटिंग के खेल में नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसर संलिप्त हैं। क्योंकि सभी पर उंगली उठ रही हैं। भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे हुई? कहां से फर्जी बिल बने? इस पूरे खेल में कौन-कौन शामिल हैं? इस पूरे खेल की विजीलेंस जांच होनी चाहिए। जो भी अफसर इसमें लिप्त हैं, उन पर कार्रवाई की गाज गिरनी चाहिए।
क्योंकि सेटिंग के इस खेल में एक नहीं, बल्कि कई अफसर भी शामिल हैं। नगर निगम के सभी वार्डों में होने वाले विकास कार्यो की जिम्मेदारी निगम पार्षद की होती है। वही अपने क्षेत्र की समस्याएं निगम के अधिकारियों के सामने रखते है और जनता की सहूलियत के हिसाब से विकास कार्य कराते है, लेकिन वार्ड-35 में सड़क निर्माण के दौरान जो घोटाला सामने आया है
उसमें क्षेत्रीय निगम पार्षद से पूरी जानकारी छिपाई गई। निगम पार्षद का कहना है कि उन्होंने तो अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर तत्कालीन नगर आयुक्त के सामने ब्योरा रखा था, लेकिन उसके बाद उनके पास निर्माण विभाग से केवल एस्टिमेट की फाइल ही पहुंची जबकि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं बताया गया।
छिपाए गए तथ्य
निगम पार्षद का कहना है कि वह अपने क्षेत्र में विकास कराना चाहती थी तो उन्होंने ही सड़क का दौरा करते हुए वहां की स्थिति को देखा था। अब निगम के निर्माण विभाग के किस अधिकारी ने मौके पर जाकर विकास कार्य की रूपरेखा तैयार की उन्हें नहीं पता।
अब सवाल यह उठता है कि क्या निगम का निर्माण विभाग इसी तरह से बिना स्थानीय पार्षद की जानकारी में लाए अपनी मर्जी से निर्माण कार्य करना शुरू कर देता है। ऐसे में किस तरह का निर्माण कराया जा रहा है, जिस जगह पर सड़क व अन्य निर्माण की जरूरत है इसके बारे में पार्षद को जानकारी क्यों नहीं दी जाती? बिना पार्षद की सहमति के कैसे काम शुरू किया गया?
पार्षद का बड़ा खुलासा
नवीन सब्जी मंडी से लेकर जेके टायर तक निगम ने कुल 250 मीटर सड़क का निर्माण कराया, लेकिन इसमें खेल करते हुए निर्माण विभाग के जेई व चीफ इंजीनियर ने एस्टिमेट 600 मीटर का दे दिया। इस मामले में क्षेत्रीय पार्षद पूनम गुप्ता ने बड़ा खुलासा किया।
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनावों से पहले ही उनके क्षेत्र में नवीन सब्जी मंडी से लेकर फुटबॉल चौपले तक की सड़क को तैयार करने का निर्णय हो चुका था। इसके बाद चुनावों के दौरान आचार संहिता लग गई, ऐसे में उन्हें निगम के निर्माण विभाग ने बिना कोई जानकारी दिए ही अपनी मर्जी से काम कराना शुरू कर दिया।
जिस जगह सड़क का निर्माण होना था, उसी जगह पर सड़क के दोनों ओर नाले का भी निर्माण हुआ है, लेकिन इसकी उन्हें जानकारी नहीं दी गई। इसी तरह सड़क किनारे पेड़ भी लगने थे, वही सड़क के बीच में डिवाइडर भी तैयार होने है, लेकिन उन्हें निगम के निर्माण विभाग ने इन कामों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी।
उनके सामने केवल फाइल रख दी गई और कहा गया कि आपका प्रोजेक्ट तैयार है। अब आप केवल नगर आयुक्त से अपनी फाइल पास करा ले। इसके बाद तत्कालीन नगर आयुक्त के सामने फाइल रखी गई और उन्होंने इसे पास कर दिया।
निगम ने जितना काम किया है, उतना ही एस्टिमेट बनाकर दिया है। ज्यादा कार्य की बात तकनीकी खामी की वजह से हुई। अभीतक जितना काम हुआ है उतना ही पेमेंट हुआ हैं, इसमें घोटाले जैसी कोई बात नहीं है।
-यशवंत सिंह, मुख्य अभियंता निर्माण विभाग, नगर निगम।