Tuesday, September 10, 2024
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499 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, ऐसे बरसेगी महालक्ष्मी की कृपा

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छोटी और बड़ी दिवाली आ रही एक ही दिन

दिवाली से एक दिन पहले 13 नवंबर को है धनतेरस

जनवाणी ब्यूरो

मेरठ: पांच दिवसीय दीपोत्सव इस साल चार दिन का होगा। छोटी दिवाली यानि रूप चौदस और दिवाली एक ही दिन मनाई जाएगी। धनतेरस भी दिवाली के एक दिन पहले 13 नवंबर की रहेगी और 16 नवंबर की भैया दूज मनाई जाएगी। इस दिवाली ग्रहों का बड़ा खेल देखने को मिलेगा।

दिवाली पर गुरु ग्रह अपनी राशि धनु और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे, जबकि शुक्र ग्रह कन्या राशि में रहेगा। बताया जा रहा है कि दिवाली पर तीन ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग 2020 से पहले 1521 में बना था। ऐसे में यह संयोग 499 साल बाद बन रहा है। इस वर्ष 14 नवंबर दिन शनिवार को दिवाली है।

दिवाली पर शनिवार का मंगलकारी योग

नवरात्र स्थापना शनिवार को थी और दिवाली भी शनिवार को है। यह एक बड़ा ही मंगलकारी योग है कि शनि स्वाग्रही मकर राशि पर है। यह योग व्यापार के लिए लाभकारी एवं जनता के लिए शुभ फलदाई रहेगा। कई वर्षों बाद यह दुर्लभ संयोग बन रहा है। तंत्र पूजा के लिए दीपावली पर्व को विशेष माना जाता है। सन 1521 के करीब 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ योग देखने को मिलेगा।

धनतेरस 13 नवंम्बर शुक्रवार के दिन हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हर साल धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है, जो छोटी दिवाली से एक दिन पहले आता है। इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है और यह एक शुभ दिन माना जाता है। सोना, चांदी के आभूषण और बर्तन आदि चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। इस साल धनतेरस 13 नवम्बर यानी शुक्रवार को है।

धनतेरस का महत्व

 

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पं. पूरन चंन्द जोशी
कहते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धनवंतरि ने अवतार लिया था। धनवंतरि को भारत सरकार का आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी इस दिन घर में लानी चाहिए। धनतेरस के दिन संध्याकाल में दीपक जलाने की भी प्रथा है। इसे यम दीपक कहते हैं जो यमराज के लिए जलाया जाता है जिससे अकाल मृत्यु को टाला जा सके।

ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त

12 नवम्बर को रात 9 बजकर 30 मिनट से त्रयोदशी प्रारम्भ हो जाएगी और यह 13 नवम्बर की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. इसके बाद 14 नवम्बर को 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी और वहां से अमावस्या लागू हो जाएगी। इस वजह से 14 नवम्बर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा और दिवाली भी इस दिन मनाई जाएगी। हालांकि दान और स्नान 15 नवम्बर को ही किये जा सकेंगे।

दिवाली के लिए इस बार पूजा के लिए शाम में जल्दी ही मुहूर्त बताया गया है। शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है। इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है। इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली की तिथि एक ही दिन पड़ने को शुभ माना जा रहा है।

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