Monday, July 8, 2024
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मास्टरमाइंड बदमाशों के बुने जाल में कैसे फंसी बागपत पुलिस ?, अब हो रही किरकिरी !

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तो एसआइटी जांच की आड़ में मुंह छिपा रही बागपत पुलिस !

  • एक हत्या के दो बार के खुलासे होने से पुलिस की कार्यप्रणाली से लोग हैरान
  • पकड़े गए तीनों नामजदों और मुठभेड़ में गिरफ्तार बदमाशों ने भी पुलिस के समक्ष हत्या करना स्वीकारा

जनवाणी संवाददाता |

बड़ौत: छपरौली में गत दिनों भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर की हत्या को लेकर जिले में ही नहीं, प्रदेशभर में कानून व्यवस्था पर विपक्षी दलों ने प्रश्नचिन्ह लगाया था। इस हत्याकांड में चार को नामजद किया था। जिसमें से तीन को पुलिस ने चालान कर कोर्ट में भेजा था।

चार को सोमवार को मुठभेड़ में पकड़ा। सभी ने हत्या करना स्वीकारा है। लेकिन सातों ने अलग-अलग रंजिश में हत्या करना बताया। अब इनमें से असली हत्यारे कौन से हैं। यह लोग उत्सुकता से जानने के इच्छुक हैं।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय खोखर के बेटे मनीष की ओर से हत्या में छपरौली निवासी नितिन धनकड़, मयंक डालर निवासी ककौर, विपिन व अंकुश शर्मा निवासी हेवा को नामजद किया था।

अब यहीं से पुलिस की गुडवर्क की कहानी की शुरुआत हो गई। क्योंकि, पुलिस को अब अधिक भागदौड़ नहीं करनी थी। उन्हें थाने में ही हत्यारों के नाम मिल गए थे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पुलिस एक्ट में किसी भी केस के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त होता है।

यह मुकदमे के दौरान वास्तविकता दर्शाने वाला होता है। गलत को गलत व सही को सही दर्शाने की जिम्मेदारी जांच अधिकारी की होती है। लेकिन, संजय खोखर हत्याकांड में ऐसा नहीं हो पाया। नामजदों में से पुलिस आनन-फानन में तीन को गिरफ्तार कर लिया।

इनमें नितिन धनकड़ निवासी छपरौली, मयंक डालर निवासी ककौर व अंकुश शर्मा निवासी हेवा हैं। एक नामजद विपिन निवासी हेवा गिरफ्तार नहीं हो पाया। तीनों के पास से पुलिस ने तमंचे व गोली बरामद करना बताया। पुलिस ने बताया था कि तीनों ने ही संजय खोखर की हत्या करना स्वीकार किया था। जांच अधिकारी को हत्या का कारण भी उनके द्वारा पुरानी रंजिश बताया। तीनों अब जेल में हैं।

अब पुलिस की दूसरी पारी शुरु होती है। इसमें पुलिस एक नया मोड़ देती है। पुलिस ने सोमवार को छपरौली निवासी एवं बिनौली एडीओ रणधौल के पुत्र श्रवण खोखर व संजीव खोखर को गिरफ्तार किया। उनके पास से हत्या में प्रयुक्त एक तमंचा बरामद किया।

छपरौली पुलिस ने बाछौड़ रोड पर मुठभेड़ के दौरान सागर बालियान निवासी दुल्हेरा हाल निवासी बड़ौत व सागर गोस्वामी निवासी छपरौली को गिरफ्तार कर लिया। दोनों पर पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम बताया था।

अब सवाल है कि इनमें से कौन से असली हत्यारोपी हैं। दो बार में गिरफ्तारी पर सात लोग पकड़े गए। सातों की ओर से खुद हत्या करना पुलिस को बताया है। अब पुलिस की ओर से एक और दूसरा जांच अधिकारी ही इस केस की जांच कर रहे हैं।

पुलिस अपने ही जांच में उलझी, असली हत्यारोपी नदारद

बड़ौत: छपरौली पुलिस ने संजय खोखर हत्याकांड जांच पुलिस की। पुलिस की जांच में नामजद ही असली हत्यारोपी पाए गए। फिर पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में चार हत्यारोपी पकड़े गए। पुलिस की ओर से किसी भी मामले में जब गिरफ्तारी की जाती है तो दोनों तरह की बात होने लगती हैं। यह एक आम धारणा भी है। कुछ लोग सही गिरफ्तारी बताते हैं कुछ लोग इसके विपक्ष में तर्क देते हुए एक कहावत कहने लगते हैं कि ये पुलिस है। पुलिस के सामने शेर भी गीदड़ की बोली बोलने लगता है। शायद संजय खोखर की हत्या में नामजद पकड़े गए तीनों युवकों ने ऐसा ही किया हो। 

एसआइटी जांच की आंच से नहीं बच पाएगी पुलिस

बड़ौत: पहले नामजदों को पकड़ना और उनके द्वारा पुलिस के समक्ष रंजिश के दौरान हत्या करना बताया है। यही मामला अब पुलिस के लिए चुनौति हो गया। सभी पकड़े गए आरोपी संजय खोखर की हत्या करना बता रहे हैं। दो बार की गिरफ्तारी में नामजदों ने पुलिस के समक्ष एक ही तरह के बयान दिए कि मारपीट की रंजिश में हत्या की। जबकि मुठ•ोड़ में पकड़े गए चारों के भी एक तरह के बयान हैं कि चेयरमैन पद के लिए हत्या की। पुलिस अब इस मामले में किसे मानेगी। इसके लिए एसपी की ओर से बताया गया है कि एसआइटी का गठन किया गया है। इस एसआइटी की जांच में निर्दोषों को नहीं फंसाया जाएगा। एसपी का यह कहना निर्दोषों के लिए बड़ी बात है। अब इस मामले में निर्दोष कौन हैं? यह एसआइटी बताएगी। संभव: है कि नामजदों को कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन उनके पास से मिले तमंचे व कारतूस आसानी से उन्हें जेल से बाहर आने में परेशानी दे सकता है। 

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