Friday, December 13, 2024
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आठ माह में मेरठ परिक्षेत्र ने कमाए 25 करोड़

  • छह फरवरी से लागू नई किराया दर के बाद घाटे से उबरा निगम, 9.41 करोड़ का लाभ
  • 24 प्रतिशत किराया वृद्धि के बावजूद आय में 13.55 प्रतिशत ग्रोथ

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: फरवरी माह के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की ओर से किराये में की गई 24 प्रतिशत की वृद्धि ने उसे घाटे से उबार दिया है। 10 माह की अवधि में मेरठ रीजन के पांचों डिपो की आय ने विभाग को 9.41 करोड़ का लाभ दिया है। हालांकि ग्रोथ के दृष्टिकोण से 24 प्रतिशत किराया वृद्धि के सापेक्ष आय में 13.55 प्रतिशत ही वृद्धि हो सकी है। पिछले कई वर्षों से तुलनात्मक देखा जाए तो मेरठ रीजन लगातार घाटे में चला रहा है यह घाट प्रतिवर्ष 7-8 करोड़ तक होता रहा।

निगम को घाटे से उबारने के लिए 6 फरवरी 2023 में विभाग ने 24 प्रतिशत किराये में एक साथ वृद्धि की। हालांकि एक साथ इतनी अधिक वृद्धि का लोगों पर असर भी हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसको स्वीकार कर लिया। जिस समय किराया वृद्धि हुई, उस समय तक मेरठ परिक्षेत्र में तुलनात्मक इस वर्ष करीब दो करोड़ रुपये का घाटा रहा था। इसके बाद आने वाले होली त्यौहार पर यात्रियों के आवागमन से मेरठ परिक्षेत्र ने इस घाटे को लगभग बराबर कर लिया था।

विभाग की ओर से आधिकारिक तौर पर जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार अप्रैल से लेकर नवंबर तक मेरठ परिक्षेत्र में 2022 की 21 करोड़ 99 लाख 15 हजार आय के मुकाबले 2023 में इस अवधि में 24 करोड़, 97 लाख 16 हजार रुपये की आय तक आंकड़ा पहुंच गया है। वहीं ग्रोथ की अगर बात की जाए, तो इसमें बड़ौत डिपो अव्वल और भैंसाली डिपो फिसड्डी रहा है। अप्रैल से नवंबर तक आठ माह में नई किराया दर के आधार पर बड़ौत डिपो ने चार करोड़ 52 लाख 27 हजार रुपये की आय के साथ 24.82 प्रतिशत की ग्रोथ की है।

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यह ग्रोथ किराया वृद्धि से भी अधिक दर्ज की गई है। इसके विपरीत भैंसाली डिपो ने पांच करोड़ 75 लाख 27 हजार रुपये की आय अर्जित की। जिसके आधार पर भैंसाली डिपो की आय में महज 6.02 प्रतिशत ग्रोथ हो सकी है। इसके अलावा मेरठ डिपो में चार करोड़ 73 लाख 50 हजार रुपये की आय के साथ 9.32 प्रतिशत, सोहराब गेट डिपो में छह करोड़ 67 लाख 54 हजार रुपये की आय के साथ 16.59 प्रतिशत

और गढ़ डिपो में तीन करोड़ 28 लाख 33 हजार रुपये की आय के साथ 138.89 प्रतिशत की ग्रोथ हो पाई है। ओवरआॅल मेरठ रीजन के पांचों डिपो की 24 करोड़ 97 लाख 16 हजार रुपये की आय के चलते 13.55 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है।

प्रथम चरण में ही सर्वे अभियान धड़ाम

शहर में उत्पाती बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम एवं वन विभाग की संयुक्त टीम द्वारा प्रथम चरण के अंतर्गत सर्वे अभियान चलाया जाना था, वह शुरू होने से पूर्व ही दोनो विभागों में सामंजस्य नहीं होने के चलते धड़ाम हो गया है। दोनों ही विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी का पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बंदरों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की नियमावली से बाहर कर दिया गया है।

अब बंदर पकड़ो अभियान में वन विभाग की टीम की कोई ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। उधर नगर निगम बिना वन विभाग की टीम के अभियान चलाने में असमर्थता दिखा रहा है। मामला डीएम दरबार पहुंचा तो दोनो विभागों की संयुक्त टीम द्वारा अभियान चलाकर उत्पाती बंदरों को पकड़ने से पूर्व शहर में उत्पाती बंदरों के सर्वे का कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया। पांच दिन पूर्व आठ सदस्यीय टीम गठित कर दी गई, लेकिन अभी तक सर्वे अभियान सामंजस्य नहीं बनने के कारण शुरू नहीं हो सका।

जिसमें यह अभियान चलने से पूव्र ही धड़ाम हो गया है। नगर निगम के प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह के द्वारा आठ सदस्यीय टीम को सर्वे के लिए गठित की थी, उसमें छह अधिकारी एवं कर्मचारी नगर निगम व दो वन विभाग से शामिल किए थे। जिसमें नगर निगम से ब्रह्मपाल सिंह, अजयशील, दिलशाद, कुलदीप, विपिन कुमार, प्रवेश कुमार उधर वन विभाग से कमलेश कुमार व धर्मेंद्र कुमार वन जीव संरक्षक को शामिल किया गया था।

इस संबंध में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी वन प्रभाग एवं पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी को पत्र 15 दिसंबर को भेज दिया गया था, लेकिन 19 दिसंबर तक भी अभियान की शुरुआत नहीं हो सकी। जिसको लेकर साफ है कि दोनों विभागों में सामंजस्य न होने के कारण अभियान प्रथम चरण में ही धड़ाम हो गया है।

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