- वन्य जीवों के लिए भी ठीक नहीं यहां पर किया जाने वाला खनन
जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: मिर्जापुर क्षेत्र के गांव फैजाबाद का खनन पट्टा इन दिनों चर्चाओं में है। नियम-कायदे को ताक पर रखकर यहां खनन किया जा रहा। दिलचस्प ये है कि अधिकारी अभी तक इस पर रोक लगाने में नाकाम हैं। सवाल है कि संबंधित विभाग और प्रशासनिक अधिकारी मौन क्यों हैं। क्या उन पर कोई राजनीतिक दबाव है या फिर कुछ और। फिलहाल, फैजाबाद गांव का पट्टा इन दिनों चर्चाओं में है।
यह बताने की जररूत नहीं कि बेहट और मिर्जापुर क्षेत्र अवैध खनन के लिए बदनाम रहा है। यहां हमेशा से माफिया की चली और यमुना की कोख छलनी की जाती रही है। पिछले कई दिनों से ग्राम फैजाबाद में पत्थर का पट्टा चर्चा का विषय बना है। बताया जाता है कि फैजाबाद गांव में यह खनन पट्टा, उस जगह पर किया गया है, जहां 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सीईसी की रिपोर्ट के बाद सभी खनन कार्य एवं स्क्रीनिंग प्लांट तथा स्टोन क्रशर भी ध्वस्त कर दिये गये थे। दरअसल, यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। इसके एक ओर राष्ट्रीय राजाज नेशनल पार्क की सीमा है। इसी से लगी हुई खारा नहर तथा एक छोर पर हथिनी कुंड बराज है।
राष्ट्रीय स्मारक बादशाही महल के मध्य में यह पट्टा स्थित है। कायदे से तो यह पर्यटन के लिहाज से काफी महत्व का है। लेकिन, खनन माफिया की मनमानी ने यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को उजाड़ दिया है। यही नहीं, आसपास के क्षेत्र में स्टोरन क्रशर के संचालन से वन्य जीवों का स्वाभिक जीवन प्रभावित हुआ है। हाथी, हिरन, गुलदार, सांभर, काकड़ समेत अन्य जीवों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई है। वन्य जीवों के कुनबे में बढ़ोतरी इसीलिए नहीं हो रही है। बता दें कि इस प्राकृतिक सौंदर्य की जगह के मध्य सभी नियमों के विरुद्ध खनन पट्टा स्वीकृत करना बड़ी चूक या चालाकी की ओर इशारा करता है। वस्तुत: यह जांच का विषय है।
एनजीटी कोर्ट और एफआरआई देहरादून ने भी इस क्षेत्र को खनन के लिये उपयुक्त नहीं माना है। विवादित खनन क्षेत्र कलेसर राष्ट्रीय पार्क की सीमा से सटा है, जहां सुप्रीम का आदेश है कि 1 किमी तक कोई खनन कार्य नहीं किया जसकेगा। बावजूद इसके पट्टा स्वीकृत किया गया है। इस संबंध में खनन अधिकारी नवीन कुमार दास का कहना है कि जिलाधिकारी ने इस बाबत जांच कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी जब अपनी रिपोर्ट देगी, तदानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।