जापान में आए एक भयंकर भूकंप की सच्ची घटना है। भूकंप के बाद, जैसे ही सब शांत हो गया, बचाव दल के सदस्य एक खंडहर में पहुंचे तो देखा कि एक स्त्री का शरीर पड़ा है। उसका शरीर ऐसे झुका हुआ, था मानो प्रार्थना की मुद्रा में हो। उसने शरीर आगे की ओर झुकाकर दोनों हाथ किसी वस्तु से टिका रखे थे।
खंडहर के किसी भारी अंश ने उसकी कमर व सिर को बुरी तरह घायल कर दिया था। काफी मुश्किल से बचाव दल का लीडर खंडहर में एक तंग जगह से घुसकर उस स्त्री तक पहुंच गया। उसे आशा थी कि वह शायद जीवित हो। लेकिन उसका शरीर बिल्कुल ठंडा और अकड़ा था।
टीम के सदस्य किसी दूसरे मकान की ओर निकल गए। लेकिन लीडर के मन की आवाज ने उसे वापस उसी मृत स्त्री के पास लौटा दिया। वह घुटनों के बल बैठकर मृत स्त्री के नीचे की खाली जगह से कुछ ढूंढने का प्रयास करने लगा। अचानक, वह चिल्ला उठा, एक बच्चा…. यहां एक बच्चा है।
पूरी टीम वापस आई। उसके सदस्य महिला के आसपास के मलबे को हटाने लगे। एक तीन माह का बालक, एक सुंदर कंबल में लिपटा, स्त्री के मृत शरीर के नीचे पड़ा था। साफ है, उस मां ने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने प्राण गंवा दिए थे। जब महिला का मकान गिर रहा था, उसने अपने शरीर को ढाल बनाकर बच्चे को बचा लिया था।
जब टीम लीडर ने उस बच्चे को उठाया तो वह शांत सो रहा था। डाक्टरों ने फौरन बच्चे की जांच की। कंबल उतारा तो देखा उसके अंदर एक सेलफोन था। फोन के स्क्रीन पर एक संदेश था, ‘अगर तुम बच गए तो याद रखना तुम्हारी मां तुम्हें बहुत प्यार करती है।’ सारे उपस्थित लोग उस संदेश को बारी-बारी पढ़ रहे थे। जिसने भी पढ़ा, उसकी आंखें छलछला उठीं।
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