Monday, August 18, 2025
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मस्तिष्क पटल पर चलने लगे स्मृतियों के चलचित्र

  • मेरठ के राजनेताओं के लिए अविस्मरणीय है धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का अपनापन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ के राजनेता नेताजी के जाने पर गमजदा हैं। यह मुलायम सिंह यादव की शख्सियत का जादू ही रहा, कि समाजवादी छोड़कर अन्य दलों में जाने वाले राजनेताओं के दिलों में उनका सम्मान कम नहीं हुआ। उनके निधन की खबर को लेकर जिन राजनेताओं से भी बात की गई, उनके मस्तिष्क पटल पर मुलायम सिंह यादव से जुड़ीं तमाम यादों के चलचित्र चलने लगे।

2007 में हुए तीन दिवसीय अधिवेशन समेत कई ऐसे अवसर आए, जिनमें मेरठ आगमन पर मुलायम सिंह यादव डा. सरोजिनी अग्रवाल के आवास जरूर पहुंचे। नेताजी से जुड़ीं स्मृतियों के बारे में बताते हुए डा. सरोजिनी अग्रवाल काफी भावुक हो गर्इं। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव के जाने से समाजवाद के एक युग का अंत हो गया है। वे सही मायने में गरीबों और मजलूमों के मसीहा थे।

अपने कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते थे। उनके जाने से राजनीति में आया खालीपन कोई नहीं भर पाएगा। आगरा की छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू करने वाले वरिष्ठ नेता गोपाल अग्रवाल वर्तमान में भाजपा में हैं, लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर से बेहद आहत हैं।

अपने जीवन के कई दशक मुलायम सिंह यादव से जुड़कर गुजारने वाले गोपाल अग्रवाल का कहना है कि 1993 में मेरठ के आबू लेन पर हुए व्यापारी सम्मेलन में नेताजी ने सरकार बनते ही आवश्यक वस्तु अधिनियम यानी 3/7 को समाप्त करने का वादा किया। जब यह बात लिखकर देने को कहा, तो नेताजी ने गोपाल अग्रवाल से लिखाकर उस पर हस्ताक्षर कर दिए।

और सरकार बनते ही इस वादे को सबसे पहले पूरा भी किया। प्रदेश भर में चुंगी समाप्त करने वाले मुलायम सिंह यादव ही रहे, जिन्होंने पहली बार मुख्यमंी बनते ही इस बारे में आदेश जारी किए। चौ. चरण सिंह को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व से ही मेरठ के लोगों से संपर्क और संबंध बनाने का अभियान चलाया।

उन्होंने कई बार समाजवादी नेताओं और चौधरी चरण सिंह के साथ मेरठ पहुंचकर मंच साझा किया। सत्ता में रहे, या विपक्ष में, मेरठ से मिलने वाले निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार किया। देश के रक्षा मंत्री पद को सुशोभित करने के उपरांत बाबा औघड़नाथ मंदिर में दर्शन करने भी पहुंचे। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डा. ओपी राणा यादों के पन्ने पलटते हुए बताते हैं कि नेताजी ने कभी एक पक्ष को सुनकर कोई धारणा नहीं बनाई।

उनके अध्यक्ष काल में कई अवसर ऐसे आए, जब साथी राजनेताओं के साथ कुछ बातों को लेकर मतभेद बनने के आसार नजर आए। जिनको स्वयं मध्यस्थता करते हुए मुलायम सिंह यादव ने दोनों पक्षों के नेताओं को आमने-सामने बैठाकर मनमुटाव दूर कराया। आबूलेन में एक कार्यकर्ता के यहां पर देवी जागरण के कार्यक्रम में नेताजी पहुंच गए और श्रद्धालुओं के बीच में बैठकर भजन कीर्तन में भाग लिया। मलियाना कांड के दौरान मुलायम सिंह यादव मेरठ आए थे।

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