Thursday, January 23, 2025
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नामांतरण, रजिस्ट्री में भ्रष्टाचार, कैसे लगेगा अंकुश?

  • क्लर्क से रिश्वत देने के लिए कौन बना रहा था दबाव? ये बड़ा सवाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नामांतरण और रजिस्ट्री में भ्रष्टाचार क्यों हो रहा हैं? यहां तो एक सम्पत्ति अधिकारी की तैनाती हैं। सम्पत्ति अधिकारी भी पीसीएस हैं, फिर कैसे भ्रष्टाचार होने दिया जा रहा हैं। सम्पत्ति अधिकारी के आॅफिस में क्लर्क के भ्रष्टाचार करने पर उंगली उठ रही हैं। क्लर्क से रिश्वत देने के लिए दबाव कौन बना रहा था? ये बड़ा सवाल हैं। इसमें किसकी सहमति थी, ये भी जांच का विषय बनता हैं। इस क्लर्क का नाम है

गंगा प्रसाद, इन पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जिनकी फाइल अलमारी में बंद हैं। जांच तो चली, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। यही नहीं, भ्रष्टाचार के मामले में इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय इनको इनाम के तौर पर ओएसडी के आॅफिस में मुख्य क्लर्क के रूप में तैनाती मिली, जिसके बाद क्लर्क का भ्रष्टाचार के मामले में दुस्साहस और बढ़ गया।

अब सवाल ये है कि क्लर्क किसके लिए वसूली करते हैं? इसमें भी जांच पड़ताल विभाग के अधिकारियों तद्वारा की जानी चाहिए। क्योंकि एंटी करप्शन की छापेमारी के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका जवाब प्राधिकरण के अधिकारियों को देना चाहिए। क्योंकि जिन क्लर्क पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, उसने एंटी करप्शन की पूछताछ में भी बताया कि एक अधिकारी नामांतरण की फाइल नहीं करते हैं, जब तक पैसा उनके क्लर्क पर नहीं पहुंचता हैं। इस आरोप में कितनी सच्चाई हैं, इसमें हम कुछ भी नहीं कहेंगे।

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क्योंकि एंटी करप्शन एक चार्जशीट तैयार कर रहा हैं, जिसमें क्लर्क अनिता शर्मा से की गई पूछताछ का भी उल्लेख किया जा सकता हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि आखिर भ्रष्टाचार किसके लिए हो रहा था? जब सम्पत्ति अधिकारी एक है, वहीं फाइल करते हैं, उनके स्तर से भ्रष्टाचार क्यों नहीं रोका गया? सम्पत्ति अधिकारी की तरफ से कितने क्लर्क के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जांच के आदेश दिये? यदि जांच नहीं कराई तो फिर क्यों नहीं कराई गयी?

इसके लिए सम्पत्ति अधिकारी कितने गंभीर थे? बड़ा सवाल ये भी है कि जब क्लर्क गंगा प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, उनकी जांच भी फाइलों में बंद हैं तो फिर उन्हें महत्वपूर्ण सीट पर तैनाती कैसे मिली? प्राधिकरण में भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में काम क्यों नहीं किया गया? कई क्लर्कों की शिकायत हुई थी, जिसमें करोड़ों की सम्पत्ति गंगा प्रसाद के पास होने की बात कही गई थी। उनकी सम्पत्ति की जांच भी कमिश्नर के आदेश पर चल रही हैं।

कई और भी प्राधिकरण कर्मचारी हैं, जिनके नाम का उल्लेख शिकायतकर्ता ने किया हैं। हालांकि अभी ये जांच भी पेडिंग पड़ी हुई हैं। बता दें, एंटी करप्शन की टीम ने महिला क्लर्क अनिता शर्मा को रंगे हाथ पांच हजार की रिश्वस्त लेते हुए गिरफ्तार किया था। अनिता का बर्ताव भी आम आदमी के प्रति खराब था। इसका उल्लेख भी शिकायतकर्ता ने किया हैं। एंटी करप्शन की टीम की कार्रवाई के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। अब ये भी कहा जा रहा है कि एंटी करप्शन को पूछताछ में एक क्लर्क और एक अधिकारी के खिलाफ भी बयान दिया गया हैं,

जिसमें उनके लिए वसूली करने का आरोप भी लगा हैं। इस आरोप में कितनी सत्यता हैं, ये तो एंटी करप्शन की जांच रिपोर्ट में ही खुलासा होगा, लेकिन इतना अवश्य है कि प्राधिकरण में भ्रष्टाचार चरम पर हैं। प्राधिकरण सचिव चन्द्रपाल तिवारी ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई कर्मचारियों को नोटिस भी जारी किये हैं। कई इंजीनियरों की फाइल पर भी लाल पैन चला दिया हैं, इसके बावजूद भ्रष्टाचार करने से प्राधिकरण कर्मचारी डर नहीं रहे हैं।

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