- आवंटन के छह माह बाद भी हैंडओवर नहीं हुर्इं दुकानें
- अधूरा पड़ा काम भी नहीं कराया गया पूरा, लाखों खर्च करके भी आवंटी परेशान
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: नगर पालिका निर्माणाधीन मार्केट में लोगों को दुकानें मुहैया कराने का सपना दिखाकर धरोहर राशि के रूप में एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम हजम कर गई। करीब 70 लोगों से दुकान आवंटन के नाम पर पैसा उगाह लिया, लेकिन उस पैसे को मार्केट का निर्माण पूरा कराने में लगाने के बजाए अपने वेतन व अन्य जरूरतों में खर्च कर लिया। करीब छह माह बीतने के बाद भी लाखों रुपये खर्च करने वाले आवंटियों को दुकान नहीं मिल पा रही है।
दुकान के लिए यह लोग नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं। अब भी नगर पालिका जिन लोगों से पैसा लिया, उन्हें दुकान मुहैया कराने के बजाए बाकी बची निर्माणाधीन दुकानों का आवंटन करने की तैयारी में है। करीब आठ साल से खंडहर हो रही मार्केट के नाम पर नगर पालिका जनता से पैसा हजम कर रही है, लेकिन इस बाजार को आबाद करने के लिए तैयार नहीं है।
करीब आठ वर्ष पूर्व चेयरमैन रहे असद गालिब ने सरधना के एक पालिका बाजार देने का सपना सजाया था। बिनौली रोड पर खाली पड़ी भूमि पर नगर पालिका ने करीब 205 दुकानों की मार्केट बनाने का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया था। असद गालिब के कार्यकाल में मार्केट का अधिकांश कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन जैसे ही सरधना का निजाम बदला तो मार्केट का काम भी रुक गया। साल दर साल नगर पालिका मार्केट का काम पूरा कराने का वादा करती रही, लेकिन काम फाइलों से आगे नहीं बढ़ा।
करीब छह माह पूर्व नगर पालिका ने तय किया कि निर्माणाधीन मार्केट की दुकानों का आवंटन करके उससे आने वाले पैसे का काम पूरा कराया जाए। ताकि मार्केट भी आबाद हो जाए और नगर पालिका को अपने पास से एक भी पैसा नहीं लगाान पड़े। नियम बनाया कि दुकान हैंडओवर होने के बाद किराया शुरू होगा। नगर पालिका ने दो राउंड में 69 दुकानों का आवंटन कर दिया। लोगों ने खुशी-खुशी एक बड़ी मार्केट में अपनी दुकान होने का सपना देखा और पालिका को अपनी मेहनत की कमाई सौंप दी।
आवंटन में धरोहर राशि के रूप में करीब एक करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूल की गई। मगर नगर पालिका ने इस पैसे से मार्केट का काम पूरा कराने के बजाए अपने वेतन और अन्य खर्चों को उड़ा दिया। मार्केट का काम आज भी जस का तस पड़ा है। अब आवंटी दुकान के लिए नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो पैसा मिल रहा है और न ही दुकान मिल पा रही है। इतना ही नहीं नगर पालिका बाकी बची दुकानों के आवंटन की तैयारी में है। यानी उन दुकानों के नाम पर भी लोगों की जेब ढीली करने की योजना है।
हैंडओवर के बाद किराया होगा शुरू
नगर पालिका ने नियम बनाया था कि दुकानों का निर्माण कार्य पूरा करके जल्द से जल्द आवंटियों को सौंप दी जाएगी। दुकान हैंडओवर होने के बाद ही उनसे किराया वसूली किया जाएगा। दुकान लेने वालों को यह भी ठीक लगा। मगर उन्हें नहीं पता था कि दुकानों का निर्माण कार्य कभी पूरा ही नहीं होगा।
आवंटन को लेकर चलता आ रहा विवाद
दुकानों के आवंटन को लेकर सालों से विवाद चलता आ रहा है। पहले गोपनीय आवंदन पर ऊंची बोली वालों को दुकान देना तय किया गया। उसमें धांधली का आरोप लगा तो खुली बोली में दुकान आवंटित करने का निर्णय लिया गया। बस नियम बदलते जा रहे हैं, लेकिन मार्केट आबाद नहीं हो रही है।
पहले भी हजम कर चुके पैसा
इससे पहले भी नगर पालिका ने 13-13 रुपये के दुकान के आवेदन फार्म बेचे थे। सैकड़ों लोगों ने आवेदन फार्म खरीदे। मगर इसके बाद नगर पालिका ने इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया। जिससे फार्म खरीदने वालों का पैसा भी डूब गया।
फिर जेब ढीली करने की तैयारी
नगर पालिका ने मार्केट की करीब 70 दुकानों का आवंटन करके उस पैसे को अन्य कार्यों में खर्च कर दिया। मगर मार्केट का अधूरा काम पूरा नहीं कराया। अब फिर नगर पालिका इन खंडहर नुमा दुकानों के आवंटन की तैयारी में है। ताकि जनता की जेब से औरपैसा निकाला जा सके। मगर मार्केट का काम पूरा कराने को तैयार नहीं है। यदि मार्केट का कार्य पूरा करके आवंटन किया जाए तो जनता को भी विश्वास रहे और धरोहर राशि भी अधिक मिल सकेगी।