- स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को दीं ढेरों जानकारियां
- गर्भावस्था के दौरान होने वाले संभावित खतरों से अवगत कराया
जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: मातृत्व स्वास्थ्य को और सुदृढ़ बनाने तथा मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाने की गरज से सोमवार 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस जिला अस्पताल व सीएचसी तथा पीएचसी पर भी मनाया गया। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को खानपान, प्रसव पूर्व जांच सहित अन्य जानाकरी दी गई।
सीएमओ डा.संजीव मांगलिक ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले संभावित खतरों की पहचान व इलाज के लिए प्रत्येक माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है। इसमें एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती की संपूर्ण जांच निशुल्क की जाती है।
यदि कोई जटिलता हो तो उनकी विशेष देखभाल व इलाज की सुविधा निशुल्क मुहैया कराई जाती है। उन्होंने कहा कि सुरक्षित मातृत्व दिवस पर गर्भवती महिलाओं को ढेर सारी जानकारियां दी गईं। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर यह दिवस मनाया गया।
तीन किस्तों में मिलते हैं 5000 रुपये
बता दें कि पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रुपये दिए जाते हैं। साथ ही संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत घर से अस्पताल व अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा दी जाती है।
सभी सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
कोरोना होने वाली महिलाओं की करनी होगी उचित देखभाल
कोरोना महामारी के कारण देशभर में गर्भवती महिलाओं को इलाज से जूझना पड़ा है। कोरोना में प्रेगनेंसी से पहले और बाद में महिलाओं की सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए सरकार ने खास तरह की व्यवस्था की है
। जिन महिलाओं को प्रेग्रेंसी के दौरान कोराना हुआ है, उन्हें गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा दी जाएगी। कोरोना महामारी को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को बिना किसी कारण घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है।
गर्भवतियों को खतरों की पहचान
- दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो
- बच्चे की पेट में मृत्यु हो गई हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गई हो
- कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो
- प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो
- पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो
- गर्भवती को पहले से हाई ब्लड प्रेशर, डायबीटीज, दिल , गुर्दे, टीबी, मिर्गी,
पीलिया, लीवर या हाईपो थायराइड की बीमारी
सीएमओ डा.संजीव मांगलिक का कहना है कि सभी गर्भवती को गर्भवास्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए। ताकि किसी भी प्रकार की जटिलता होने पर उसका समाधान किया जा सके।
इसके अलावा गर्भवती खाने में हरी साग-सब्जी, मौसमी फल के अलावा आयरन व कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करना चाहिए।