Wednesday, December 4, 2024
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कप कपाती ठंड में खुले मैदान में बैठकर पढ़ने को मजबूर है नौनिहाल

  • स्कूल की जर्जर बिल्डिंगों को सालों पहले तोड़ा गया था

जनवाणी संवाददाता |

जानसठ: एक और जहां शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार नित नई घोषणाएं कर रही है वहीं दूसरी ओर धरातल पर बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल की बिल्डिंग तक नहीं है। जर्जर भवन के नाम पर तोड़ी गई बिल्डिंगों को सालों से नहीं बनाया गया जिसके चलते इस ठंड में भी बच्चे खुले मैदान में बैठकर पढ़ने को मजबूर है।

शिक्षा विभाग की कायाकल्प करने के लिए सरकार चाहे जितने दिखावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत से शिक्षा विभाग में बदलाव कोसों दूर है। खंड शिक्षा अधिकारी जानसठ के क्षेत्र में पढ़ने वाले करीब एक दर्जन गांव के स्कूलों को जुलाई 2021 में इस कारण से तोड़ दिया गया था कि वह भवन जर्जर हो गए थे जिसके चलते बच्चों के साथ हादसा होने का अंदेशा नजर आ रहा था। लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी इन स्कूलों को नहीं बनाया गया है जिसके चलते बच्चों को ऐसी ठंड के साथ साथ बरसात और गर्मी में भी मैदान में बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है। कड़ाके की ठंड में भी तेज हवाओं के बीच बच्चे खुले मैदान में पढ़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। बढ़ती ठंड के कारण बहुत सारे अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया है जिसके चलते स्कूलों में बच्चों की संख्या आधे से भी कम है। गांव सलारपुर मनफोड़ा गढी समेत दर्जनों गांव ऐसे हैं।

जिनके स्कूलों का जर्जर भवन सालों पहले तोड़ दिया गया था। अधिकतर स्थानों पर स्कूल परिसर में बने आंगनवाड़ी केंद्र के एक कमरे में ही बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। ऐसे अधिकतर कमरों में नेट बिजली की व्यवस्था है और ना ही इस ठंड से बचने का कोई उपाय है। गांव मनफोड़ा मैं जर्जर स्कूल को तोड़ दिया गया। वहां की प्रधानाध्यापक सुनीता रानी ने बताया कि कई बार अधिकारियों को पत्र लिखकर भवन के निर्माण कराने का आग्रह किया गया है। लेकिन कोई सुनवाई भी नहीं होती। स्कूल की चारदीवारी भी जर्जर अवस्था में होकर गिर गई है। जिसके चलते स्कूल में कई बार चोरी भी हो चुकी है। बच्चों की पढ़ाई के समय आवारा जानवरों का भी स्कूल में आने का खतरा बना रहता है। बरसात होने पर स्कूल के बच्चों को किसी के घर में ले जाकर सुरक्षित बैठाना पड़ता है।

खंड शिक्षा अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि जर्जर अवस्था के करीब 20 22 स्कूल तोड़े गए थे। इस बार इन भवनों का निर्माण एजेंसियों के द्वारा होना है। एजेसी नामित होने के लिए लिस्ट गई हुई है अप्रैल-मई तक सभी स्कूल दोबारा बनकर तैयार करा दिए जाएंगे।

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