- दावा, चौकी पर तैनात रहती है पुलिस, दोपहर में ही लग जाता है चौकियों पर बड़ा-सा ताला
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: पुलिस हाइवे की बजाय महज कागजों में दौड़ रही है। आए दिन होने वाली वारदातों से भी थाना पुलिस व अधिकारी सबक नहीं ले रहे हैं। परतापुर से दौराला थाने के बीच मेरठ जिले की सीमा में पड़ने वाले हाइवे की निगहबानी का जिम्मा थानों पर है। भारी-भरकम फोर्स है और गश्त के साधन भी भरपूर, लेकिन पुलिसिंग हाइवे पर नहीं, बल्कि थाने के रजिस्टरों में हो रही है।
परतापुर की मोहिउद्दीनपुर चौकी से मेरठ की सीमा का हाइवे शुरू होता है, जो दौराला की दादरी चेकपोस्ट तक जनपद की सीमा में आता है। परतापुर, टीपीनगर, कंकरखेड़ा, जानी, पल्लवपुरम और दौराला थाने इस हाइवे पर पड़ते हैं, लेकिन इसके बावजूद हाइवे की सुरक्षा राम भरोसे है। दिन हो या रात, पुलिस पेट्रोलिंग कभी-कभार ही दिखाई देती है। सड़क पर फैंटम नहीं घूमती। स्थिति यह है कि हाइवे पर जहां दो से पांच मिनट में घटनास्थल पर पहुंचा जा सकता है, वहां भी पुलिस वारदात के बाद लकीर पीटती नजर आती है।
हाइवे पर अपराधों पर नियंत्रण करने के लिए चौकियां तो स्थापित हो गई, लेकिन इन चौकियों पर पुलिस की तैनाती कही दिखाई नहीं देती है। अपराधियों के खिलाफ पुलिस का इकबाल बुलंद करने में लगे एसएसपी प्रभाकर चौधरी के इन प्रयासों को चौकी पर तैनात पुलिस कर्मी पलीता लगाने में लगे हुए है।
हाइवे की चौकियों की बात करे तो इन चौकियों पर सिर्फ नाम मात्र को ही पुलिस कर्मी तैनात है, लेकिन यहां से पुलिसकर्मी नदारद ही दिखाई देते हैं। रात में भी इन पुलिसकर्मियों का यहां सिर्फ नाम मात्र को ही ठिकाना है, लेकिन वह अक्सर इन चौकियों से गायब ही रहते है। रात्रि में अगर हाइवे पर बनी चौकियों की अधिकारी चेकिंग करे तो 60 से 70 फीसदी तक पुलिस कर्मी इन चौकियों से नदारद ही दिखाई देंगे।
क्योंकि कंकरखेड़ा से लेकर दादरी चेकपोस्ट तक हाइवे पर जगह-जगह चौकियां स्थापित की गई है, लेकिन इन चौकियों पर दिन में तो पुलिस कर्मी दिखाई देते हैं, लेकिन रात में से इन चौकियों पर पुलिस कर्मी अक्सर गायब ही रहते हैं। हाइवे की कृष्णा पब्लिक स्क्ूल के समीप बनी चौकी पर भी अक्सर ताला लगा रहता है। शोभापुर पर बनी चौकी पर भी अक्सर दोपहर के समय ताला रहता है।
मोदीपुरम चेकपोस्ट पर पुलिस कर्मी मिलते हैं, लेकिन चौकी प्रभारी नदारद दिखाई देते हैं। दुल्हैड़ा चुंगी पर बनी चौकी पर सिर्फ पुलिस कर्मियों के प्राइवेट वाहन ही खड़े हुए दिखाई देते हैं। इसके अलावा वहां पुलिस तो दिखाई ही नहीं देती है। यही हालात टोल प्लाजा पर अस्थायी रूप से बनी चौकी पर है। यहां सिर्फ टोल मोबाइल खड़ी रहती है, लेकिन वह भी अब दौराला थाने के कामों में ही व्यस्त रहती है।
सकौती और दादरी चौकी पर तो पुलिस कर्मी रहते हैं, लेकिन रात में इन चौकियों का हाल भी राम भरोसे हैं। हालांकि अगर अधिकारी मुस्तैदी के साथ रात में इन चौकियों पर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी को चेक कर ले तो शायद इन चौकियों पर तैनात पुलिसकर्मियों की पोल खुल जाए।
यही हाल लावड़-सोफीपुर मार्ग पर ललसाना चौराहे पर बनी चौकी है। यहां चौकी स्थापित थी, लेकिन अब चौकी की बिल्डिंग को ही क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में आपराधिक वारदातों को अंजाम देने में बदमाशों क ा इकबाल बुलंद हो जाएगा।
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का भी दबदबा
फ्लाईओवर के नीचे तैनात खडेÞ ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तो हालात बेहद खराब है। यह सिर्फ वाहनों की चेकिंग के नाम पर वाहनों को रोकते हैं और हाइवे पर लंबा जाम लगा देते हैं। इन पुलिसकर्मियों को कहने और सुनने वाला कोई नहीं है।
क्योंकि इनकी मनमानी इसलिए चलती है कि यह वाहन स्वामियों पर अभद्रता का आरोप लगातार उसका कई गुना चालान कर देते हैं, लेकिन इनके खिलाफ भी अधिकारी पूरी तरह से कोई कार्रवाई करते हुए दिखाई नही दे रहे हैं। हालांकि पुलिस के उच्च अधिकारियों का सिर्फ इतना ही कहना है कि वह जल्द ही ऐसे पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर कार्रवाई कराएंगे।
इनके लिए नहीं है कोई भी माननीय
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के लिए कोई भी राजनीतिक दल का व्यक्ति या ग्राम प्रधान से लेकर राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी भी मायने नही रखता है। क्योंकि यह सिर्फ उच्च अधिकारियों का आदेश कहकर उनका चालान तो करते ही है। साथ अभद्रता का भी उन्हे शिकार होना पड़ता है।
उधर, संबंधित थाने से जुड़ी पीवीआर पुलिस की गाड़ी हाइवे पर मौजूद होती हैं, लेकिन गश्त करने के बजाय इसमें तैनात पुलिसकर्मी आरामदायक जगह तलाश करते हैं। गश्त के नाम पर हाइवे पूरी तरह से खाली रहता है। जहां कभी भी बदमाश आसानी से घटना को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं।