Tuesday, July 15, 2025
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पड़ोसी

Amritvani


इमाम अबू हनीफ के पड़ोस में एक मोची रहता था। वह दिन भर तो अपनी झोपड़ी के दरवाजे पर सुकून से बैठकर जूते गांठता रहता मगर शाम को शराब पीकर उधम मचाता और जोर-जोर से गाने गाता। इमाम अपने मकान के किसी कोने में रात भर हर चीज से बेपरवा इबादत में मशगूल रहते। पड़ोसी का शोर उनके कानों तक पहुंचता मगर उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता। एक रात उन्हें उस मोची का शोर सुनाई नहीं दिया। इमाम बेचैन हो गए और बेचैनी से सुबह का इंतजार करने लगे। सुबह होते ही उन्होंने आस-पड़ोस में मोची के बारे में पूछा। मालूम हुआ कि सिपाही उसे पकड़ कर ले गए हैं, क्यूंकि वह रात में शोर मचा मचा कर दूसरों कि नींदें हराम करता था। उस समय खलीफा मंसूर की हुकूमत थी। बार-बार आमंत्रित करने पर भी इमाम ने कभी उसकी दहलीज पर कदम नहीं रखा था, मगर उस रोज वह पडोसी को छुड़ाने के लिए पहली बार खलीफा के दरबार में पहुंचे। खलीफा को उनका मकसद मालूम हुआ तो वह कुछ देर रुका फिर कहा, हजरत ये बहुत खुशी का मौका है कि आप दरबार में तशरीफ लाए। आपकी इज्जत में हम सिर्फ आपके पड़ोसी नहीं बल्कि तमाम कैदियों कि रिहाई का हुक्म देते हैं । इस वाकये का इमाम के पडोसी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने शराब छोड़ दी और फिर उसने मोहल्ले वालों को कभी परेशान नहीं किया।


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