Sunday, July 7, 2024
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एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश ताक पर

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  • ग्रीन वर्ज में ताबड़तोड़ हो रहे अवैध निर्माण और बनाए जा रहे अवैध होटलों को लेकर गंभीर नहीं मेडा के अफसर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से रोक के आदेशों के बावजूद ग्रीन वर्ज व रोड वाइंडिंग में मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ मठाधीश भ्रष्ट जेई की छत्रछाया में एचएच-58 पर बडेÞ स्तर पर अवैध निर्माण जारी हैं। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन वर्ज व रोड वाइंडिंग में सभी प्रकार के निर्माणों पर रोक के आदेश जारी किए हैं।

इसके बावजूद एनएच-58 के परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक प्राधिकरण के जोन बी-3, बी-4, जोन सी-1-सी व जोन सी-3 इन दिनों बड़े स्तर पर होटल व ढाबों का अवैध निर्माण जारी है। ऐसा नहीं कि ये अवैध निर्माण चोरी छिपे या रात के अंधेरे में किए जा रहे हैं। दिन के उजाले में ग्रीन वर्ज में किए जा रहे ये तमाम अवैध निर्माण बस मेडा के संबंधित जोन के जेई को ही नजर नहीं आ रहे हैं।

जोन सी-वन में ग्रीन वर्ज की पाबंदियों को तोड़कर एक बड़ा स्ट्रक्चर खड़ा करा लिया गया है। बताया गया है कि यहां सुखदेव या फिर चोटीवाला की तर्ज पर बड़ा ढाबानुमा रेस्टोरेंट खोले जाने की तैयारी है। इसके समीप ही एक अन्य स्थान पर मार्केट बनायी जा रही है। चंद कदम की दूरी पर एस-11 के नाम से होटल बना दिया गया है। जानकारों का कहना है कि एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद जिस जगह हाइवे पर यह होटल बनाया गया है वहां इस रोड से गुजरने वाले यात्रियों के ठहरने की बात तो गले नहीं उतर रही, जिस काम के लिए हाइवे के ओयो होटल बदनाम है, उसके लिए इसको जरूर मुफीद माना जा सकता है।

इसी होटल से सटे ग्रीन वर्ज में अवैध रूप से एक गाड़ी का गैराज तैयार हो गया। हैरत की बात है कि तमाम अवैध निर्माण मेडा के इस जोन जेई को क्यों नहीं नजर आते, इसका जवाब तो मेडा के वीसी या फिर सचिव ही दे सकते हैं। ग्रीन वर्ज में जिस प्रकार से अवैध निर्माणों की खुली छूट दी नजर आती है उससे एक बात तो साफ है कि मेडा के एनएच-58 के दोनों जेई ही नहीं बल्कि महानगर के जोनल अधिकारी को भी एनजीटी या फिर सप्रीम कोर्ट की नाराजगी या कार्रवाई का कोई खौफ नहीं।

समिति सचिव बोले-नहीं कोई संबंध

कंकरखेड़ा स्थित जिस सरकारी जमीन को लेकर पूरा हंगामा बरपा है। उसको लेकर सैंट्रल बैंक कर्मचारी सहकारी आवास समिति लि. के सचिव नरेश कुमार ने बताया कि समिति की कालोनी सरधना रोड पर गांव नंगलाताशी के संक्रमणीय भूमिघर होकर खाता संख्या-00533 में नौ खसरा संख्याओं में 14.3680 हेक्टेयर भूमि की स्वामी काबिज मालिक है। जो समिति के सदस्यों की भूमि प्लाटों के आवंटन एवं बैनामों द्वारा समिति सदस्यों की वर्ष 1989 से आवासीय कालोनी के रूप में विकसित है। समिति कालोनी की बाहरी बाउंड्रीवाल के अंदर कोई भी नाली, चकरोड, ग्राम समाज अथवा सरकारी भूमि सम्मिलित नहीं है। समिति की कालोनी में अखिलेश गोयल का कोई भूखंड/भूमि/समिति सदस्य भी नहीं है और न ही उनका समिति से कोई संबंध है।

धरी रह गयी वीसी की चेतावनी

धरना-प्रदर्शन के बाद मेडा वीसी की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि जो ग्रीन वर्ज में जो पुराने अवैध निर्माण हैं उन्हें छेड़ा नहीं जाएगा, लेकिन कोई नया अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। उस चेतावनी के बाद भी ग्रीन वर्ज में बदस्तूर अवैध निर्माण जारी हैं। यह बात अलग है कि एनएच-58 के दोनों ही जेई को यह अवैध निर्माण नजर नहीं आते। इन तमाम मामलों को लेकर जब मेडा के जोनल प्रभारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपना फोन स्विच आफ कर लिया।

रेड क्रॉस लगाकर भूले अफसर

करीब साल भर पहले एनजीटी की नाराजगी के चलते नींद से जागे मेडा प्रशासन ने ग्रीन वर्ज में अवैध रूप से बनाए गए होटल व ढाबों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर रेड क्रॉस लगा दिए थे और इन्हें ढहाने की चेतावनी दी गयी थी, उस चेतावनी को जो बुरा हश्र खुद मेडा प्रशासन ने किया वो किसी से छिपा नहीं है। ग्रीन वर्ज में अवैध निर्माणों के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का दम भरने वाले अफसरों को सारा जोश धरना-प्रदर्शन के आगे ठंडा पड़ गया।

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