जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: नीतीश कुमार 16 नवंबर को भाई दूज के दिन बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले सकते हैं। अभी मंत्रिमंडल पर कोई फैसला नहीं हुआ है। बिहार चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया है, लेकिन नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 43 सीटों पर ही जीत का परचम लहरा पाई।
चुनावी नतीजों के बाद बिहार में नीतीश कुमार के एक बार फिर सीएम बनने को लेकर कई तरह के कयास लग रहे थे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम अटकलों को खारिज कर दिया और कहा कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास के संकल्प को सिद्ध करेंगे।
बिहार में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने की राह पर बढ़ते हुए नीतीश कुमार अगले हफ्ते सोमवार (16 नवंबर) को शपथ ग्रहण कर सकते हैं। इससे पहले नवंबर के अंत में वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के मद्देनजर वह राज्यपाल को इस्तीफा भेज सकते हैं।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार का नाम पिछले दो दशकों में सात बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की विशिष्ट श्रेणी में आ जाएगा। उन्होंने सबसे पहले साल 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन नहीं मिलने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
पहली बार नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन वह आठ दिनों तक मुख्यमंत्री रह पाए। समता पार्टी की सरकार बनी थी। दूसरी बार 24 नवंबर 2005 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। तीसरी बार 26 नवंबर 2010 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। (इसके बाद लोकसभा चुनाव हुआ, इसमें जेडीयू की करारी हार हुई। इसके बाद नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। तब जीतन राम मांझी पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।)
चौथी बार 22 फरवरी 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। 20 नवंबर 2015 को पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। छठी बार 27 जुलाई 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री बने।