Thursday, September 5, 2024
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दुकानों पर नाम लिखना पुराना आदेश, लागू होगा: एडीजी

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  • जोन के सभी जिलों के होटल व ढाबों पर नाम लिखना अनिवार्य होगा
  • एनएच-58 के ढाबा संचालकों को नाम की तख्ती लगाने में नहीं है कोई आपत्ति

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कांवड़ मार्ग के होटल और ढाबों पर संचालकों को अपने नाम लिखने शुरू होते ही मानो सियासी भूचाल आ गया। असदुद्दीन ओवैसी से लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक ने इसे असंवैधानिक करार दिया। इसके अलावा कांगे्रस, रालोद, जदयू ने भी नाराजगी जाहिर की, लेकिन इस सियासी खींचतान के बीच मेरठ जोन के एडीजी धु्रवकांत ठाकुर ने साफ किया कि यह आदेश नया नहीं है। बल्कि पहले से ही है। इसे पूरे जोन में लागू कराया जायेगा। सभी को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम लिखना ही होगा।

एडीजी ने बताया कि ये नया आदेश नहीं बल्कि इसे पिछले साल भी लागू कराया गया था। शांति और कानून व्यवस्था के लिए इसे सभी को मानना होगा। कांवड़ियों की सुविधा का ध्यान रखा जाएगा। कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों के बाहर संचालकों को अपने नाम लिखने होंगे। जोन के सभी जिलों में इसका पालन कराया जायेगा। एडीजी ने कहा कि आदेश को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी है। उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर में पिछले साल कांवड़ मार्ग से गुजरने वाले कांवड़ियों ने एक ढाबे पर खाना खाया। बाद में पता चला कि ढाबे के मालिक मुस्लिम समुदाय के थे।

ढाबे पर कहीं मालिक व संचालक का नाम नहीं लिखा था। इससे कांवड़ियोें में आक्रोश फैल गया। ऐसी पुनरावृति को रोकने और शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए ही प्रशासन की तरफ से इस तरह का निर्णय लिया गया। एडीजी ने यह भी कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ रूट पर जो भी दुकानें हैं और जहां कांवड़िये भोजन करते हैं, वहां दुकान मालिक और उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों के नामों को लिखना होगा ताकि कोई भ्रम की स्थिति न बनने पाए। कांवड़िये नाम देखकर ही तय करेंगे कि उन्हें वहां भोजन करना है या नहीं। इसका उद्देश्य केवल इतना सा ही है। यह व्यवस्था पूरे जोन में बनायी जाएगी।

मेरठ में नाम होटल, ढाबों पर तख्ती टांगने का नहीं कोई आदेश

कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों व ठेलों पर मालिक का नाम प्रमुखता से लिखने को लेकर छिड़ी बहस के बीच मेरठ के अफसरों को सीएम के हुक्मनामे का इंतजार है। मुजफ्फरनगर व शामली जैसे पड़ोसी जनपदों में दुकानों व ठेलों पर खाने का सामान बेचने वाले का नाम लिखे जाने के मामले के बाद जब मेरठ में इसको लेकर अधिकारियों से सवाल किया कि तो उन्होंने बताया कि अभी ऐसा कोई आदेश उनके पास नहीं आया है। सब कुछ मीडिया के जरिये ही पता चल रहा है।

22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होगी, लेकिन यात्रा से पहले यूपी पुलिस के एक आदेश से विवाद गरमा गया है। योगी सरकार ने कांवड़ रूट के दुकानों-ठेले वालों के लिए जारी एक आदेश में कहा कि वो सभी दुकान, ढाबे व ठेले वाले नाम की तख्ती जरूर टांगे, ताकि कांवड़ यात्री जान सके कि वो किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं। कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी और दुकानों पर संचालक मालिक का नाम और पहचान उजागर करनी होगी। इसको लेकर तर्क दिया जा रहा है कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है।

एक अन्य आदेश की बात सुनने में आयी है। जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी। वहीं, दूसरी ओर जनपद से होकर गुजरने वाले कांवड़ यात्रा मार्ग के दुकानदारों की यदि बात करें तो उन्होंने इसको लेकर खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया है। कांवड़ नहर पटरी मार्ग के अलावा लाखों की संख्या में कांवड़िये जल लेकर एनएच-58 से गुजरते हैं। बाइपास पर बड़ी संख्या में खाने के ढाबे हैं। नाम न छापे जाने की शर्त एक ढाबा संचालक ने कहा कि जो भी जो रहा है, वह मुनासिब नहीं। यह गलत परंपरा की शुरुआत है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। बाइपास के तमाम छोटे-बड़े ढाबों पर सभी वर्ग व संप्रदाय का स्टॉफ काम करता है।

अभी तो केवल सांप्रदायिक आधार पर नाम लिखने की बात कही जा रही है, हो सकता है कि दुकानदार और उसके यहां काम करने वाले स्टॉफ की जाति का भी उल्लेख किए जाने की शर्त थोप दी जाए। इन दुकानदारों ने कहा कि उन्हें अपनी पहचान कतई नहीं छिपानी है। न ही जिस आदेश की बात सुनने में आ रही है उसको मानने से कुछ गुरेज है। उल्लेखनीय है कि सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने दुकानों के बाहर लगे बोर्ड पर अपनी पहचान जाहिर करने का आदेश जारी किया था।

यह आदेश डीआईजी सहारनपुर ने दिया है। इसके पीछे पुलिस का तर्क था कि यात्रियों में किसी तरह का भ्रम न हो। जिले की पुलिस के इस आदेश के बाद शहर के कई दुकानदारों ने भी अपने गोदाम के बाहर अपना नाम लिखवा लिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अब मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश पर हामी भर दी है।

आदेश से जतायी अनभिज्ञता

इसको लेकर जब एडीएम सिटी ब्रिजेश कुमार सिंह से जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई आदेश नहीं है।

अभी नहीं आया आदेश

एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह से जब इस संबंध में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि अभी कोई आदेश संबंध में नहीं आया है। जो कुछ चल रहा है, वह मीडिया से ही पता चल रहा है। यदि कोई आदेश आएगा तो अनुपालन कराया जाएगा।

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