- घोर लापरवाही: अग्निकांड के बाद भी ग्रैंड-5 पर है अफसर खासे मेहरबान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 स्थित ग्रैंड-5 में दो वर्ष पहले हुए अग्निकांड को लोग अभी भूल भी नहीं पाए हैं, तब यहां लगी आग ने तबाही मचा दी थी। उस दौरान ग्रैंड-5 में एक विवाह समारोह भी चल रहा था, शुक्र है तब बड़ा अग्निकांड होने से बच गया। तब तो दमकल अधिकारियों ने इस पूरे कांड को जांच के नाम पर लीपा पोती कर निपटा दिया था। अब वर्तमान में मेरठ विकास प्राधिकरण से बिना मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध निर्माण कर दिया गया है। इसमें नोटिस भी दिया गया। सील की कार्रवाई भी कागजों में की गई।
प्राधिकरण के इंजीनियरों की बात पर यकीन करें तो थाने में तहरीर भी दी गई। फिर भी इसके बाद अवैध निर्माण बनकर तैयार हो गया है, जिसकी पुताई कर अवैध निर्माण को पुराना दर्शाने की भी कोशिश कर दी गई। जो अवैध निर्माण हुआ है, उसकी कंपाउंडिंग भी संभव नहीं है। क्योंकि शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध निर्माण की कोई कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी। फिर यहां तो ग्रीन बेल्ट और रोड वाइंडिंग का मामला है। लगता है मेरठ विकास प्राधिकरण को विक्टोरिया पार्क जैसे अग्निकांड का इंतजार है,
तभी तो यहां इतना बड़ा अग्निकांड होने के बाद भी पूरे मामले पर लीपापोती कर दी गई और अब दूसरा बड़ा दुस्साहसिक ढंग से अवैध निर्माण भी कर दिया गया। मेरठ विकास प्राधिकरण के तमाम इंजीनियर इस अवैध निर्माण को लेकर अवैध निर्माणकर्ता के सामने नतमस्तक दिखाई दे रहे हैं, जहां मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय की सख्त हैं और उनके चर्चे भी खूब हैं, लेकिन यहां उसके एकदम विपरीत अवैध निर्माण को पूर्ण स्वीकृति दी जा रही है। प्राधिकरण की मौन स्वीकृति के चलते ग्रैंड-5 के मालिकों का दुस्साहस बढ़ रहा है।
बिना मानचित्र स्वीकृति के किस तरह से एनएच-58 पर अवैध निर्माण नया कर दिया गया। इसको लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों के आंख बंद करने के पीछे भी बड़ा रहस्य छुपा हुआ है। इंजीनियर छोटा सा निर्माण होते ही उनके आगे पीछे चक्कर काटने लगते हैं। सुबह शाम चक्कर लगाते हैं, लेकिन यहां इतना बड़ा निर्माण हो गया और फिर भी आंखों पर पट्टी बांध रखी है। इससे स्पष्ट है कोई सेटिंग का खेल चल रहा हैं, तभी कार्रवाई नहीं हो रही हैं।
ध्वस्तीकरण भी आचार संहिता से पहले नहीं किया गया। अवैध निर्माणकर्ता को पूरी छूट अवैध निर्माण करने की दे दी। तभी तो अवैध निर्माण पूरा भी कर दिया और उसकी पुताई कर पुराना भी दर्शा दिया गया। ये खेल इंजीनियर की सेटिंग के बिना संभव नहीं हैं। इंजीनियर पर क्या प्राधिकरण उपाध्यक्ष गाज गिरा पायेंगे या फिर इसी तरह से अवैध निर्माण के नाम पर भ्रष्टाचार चलता रहेगा।