जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कृषि विधेयकों को लेकर देशभर में किसानों और संसद में विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया गया। हालांकि, रविवार को सरकार ने राज्यसभा से दो कृषि विधेयकों को पारित करा लिया। सरकार की तरफ से लगातार इन विधेयकों के फायदे गिनाए जा रहे हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर किसानों से कहा है कि विधेयकों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, जो कि गलत है। ये कानून कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही आगे भी होता रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को बिहार में नौ राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए कहा कि हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता?
उन्होंने कहा, नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल और फल-सब्जियां बेच सकता है। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वह वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो उसे वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
ये कानून कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं, पहले की तरह ही होगा काम
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये कानून कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है।
उन्होंने कहा, कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने और कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं। ये वही लोग हैं, जो बरसों तक एमएसपी पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अपने पैरों के नीचे दबाकर बैठे रहे।
उन्होंने कहा, मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।