- कांवड़ियों की परीक्षा ले रही प्रशासनिक ढिलाई
- गंगनहर पटरी पर बढ़ने लगी कांवड़ियों की संख्या
- सेवा शिविर न होने के कारण जंगल में रुकने को मजबूर शिवभक्त
- रात में वाहनों से हादसा होने का बना रहता है खतरा
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग गंगनहर पटरी पर प्रशासनिक ढिलाई कांवड़ियों की परीक्षा ले रही है। उमस वाली गर्मी में पटरी पर कांवड़िया तो शुरू हो गए हैं, लेकिन यहां कोई सुविधा नजर नहीं आ रही है। प्रकाश से लेकर शौचालयों तक की अभी तक व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसके अलावा गंगनहर पटरी पर कोई सेवा शिविर भी शुरू नहीं हो सका है। इस कारण कांवड़ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कांवड़िया पानी और खाना अपने साथ लेकर चल रहे हैं। रात में कांवड़ियों को पटरी किनारे जंगल में रुकना पड़ रहा है। यदि यहां नहीं रुकें तो तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है। शनिवार को भी पटरी से दर्जनों कांवड़िये गुजरे।
चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग गंगनहर पटरी से कांवड़िये गुजरने शुरू हो गए हैं। मगर प्रशासनिक तैयारी अधूरी नजर आ रही है। पटरी पर अभी तक लाइट लगाने का काम चल रहा है। इसके अलावा दूर-दूर तक भी शौचालयों की व्यवस्था नहीं की गई है। पटरी पर बड़े छोटे-बड़े वाहन फर्राटा भर रहे हैं। गंगनहर पटरी पर आधी अधूरी तैयारी के बीच कांवड़ियों की संख्या बढ़ने लगी है। शनिवार को पटरी से गुजर रही महिला कांवड़िया दिल्ली के नांगलोई निवासी 65 वर्षीय इंदू ने बताया कि वह करीब 10 साल से कांवड़ ला रही हैं।
मगर इस बार जैसी असुविधा नहीं देखी। पटरी पर दूर तक कोई सेवा शिविर या दुकान नजर नहीं आ रही है। वह पानी व खाना पॉलीथिन के पैकेट में लेकर चलने को मजबूर हैं। सबसे अधिक परेशानी शौचालय नहीं होने के कारण उठानी पड़ रही है। राजस्थान के भरतपुर निवासी शिवम व अमित का कहना है कि गंगनहर पटरी पर कोई सुविधा नहीं है। पटरी पर वाहन तेजी से दौड़ रहे हैं। जिसके चलते हादसा होने का खतरा बना हुआ है। रात में सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
रुके तो परेशानी, चले तो खतरा
कांवड़ियों का कहना है कि गंगनहर पटरी पर अभी तक कोई सेवा शिविर नहीं लगा है। पटरी पर वाहन भी चल रहे हंै। इसलिए उन्हें सड़क किनारे आराम करने को रुकना पड़ रहा है। मगर खतरा यहां भी कम नहीं है। झाड़ियों से सांप-बिच्छू आदि जानवरों के काटने का खतरा रहता है।