जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट और बदहाली से जूझ रहा है। आईएमएफ ही पाकिस्तान के पास एक मात्र उम्मीद बचा है। परन्तु, उसकी कठोर शर्तें अगर मानीं तो वह और अधिक बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगा। जानकारी मिली है कि पाकिस्तान और आईएमएफ बीते गुरूवार को कोई समझौता नहीं कर सके। कारण, पाक अफसरों ने रक्षा बजट से कटौती की शर्त मानने से इनकार कर दिया है।
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार वित्तमंत्री इशहाक डार ने आईएमएफ यानि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष मिशन प्रमुख से रक्षा बजट में कटौती की शर्तों को हटाने का अनुरोध किया। इसके बाद तुरंत आईएमएफ मिशन प्रमुख ने बातचीत करना रोक दिया और समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिया।
हालांकि इशहाक डार ने उनसे कहा कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर आधिकारिक यात्रा पर हैं, सरकार को उनके साथ रक्षा बजट पर चर्चा करने के लिए कुछ समय चाहिए। मगर, आईएमएफ अपनी शर्तों को लेकर अड़ा रहा। इसके बाद आईएमएफ मिशन प्रमुख ने कहा कि वे शुक्रवार की सुबह जल्दी निकल रहे हैं। सचिव वित्त हमीद याकूब शेख ने कहा कि ‘स्टाफ-स्तर के समझौते पर बाद में हस्ताक्षर किए जाएंगे।’
आईएमएफ ने वार्ता के अंत से ठीक पहले आर्थिक और वित्तीय नीतियों के लिए ज्ञापन के मसौदे पर चर्चा की, उसी दिन स्टाफ-स्तर के समझौते पर भी बात की।
सूत्र ने खुलासा किया कि पाकिस्तान में आर्थिक संकट की गंभीरता के कारण, हर सहमत उपाय अधिकांश पाकिस्तानियों के लिए कठिन होगा। गुरुवार को नौ वर्षों में पहली बार देश के विदेशी मुद्रा भंडार के 3 बिलियन डॉलर (2.9 बिलियन डॉलर) से नीचे खिसकने के साथ भुगतान संतुलन के संकट का सामना कर रही 350 अरब डॉलर की पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बाहरी फंडिंग महत्वपूर्ण है, जिससे आयात क्षमता घटकर सिर्फ 10 दिन रह गई है।