- मुख्यालय से मांगी सूचना के आधार पर 150 प्रतिष्ठित बसों की सूची प्रेषित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पैनिक बटन और जीपीएस डिवाइस लगी होने पर ही स्कूली बसों और टैक्सियों को परिवहन कार्यालय से फिटनेस प्रमाण पत्र जारी हो सकेगा। जिन वाहनों में यह सुविधा नहीं होगी, उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। मुख्यालय से मिले आदेश के अनुपालन में परिवहन कार्यालय ने फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वालों को डिवाइस की अनिवार्यता से अवगत करा दिया है। वहीं पहले चरण में परिवहन निगम की 150 बसों में यह काम पूर्ण कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
आरटीओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा के लिहाज से सवारी वाहनों में, खासतौर से टैक्सी व स्कूल बसों में पैनिक बटन एवं जीपीएस लगाने के आदेश मुख्यालय से जारी किए गए हैं। हालांकि यह आदेश करीब एक वर्ष पहले जारी हुए थे, लेकिन कुछ जगह बस आपरेटर्स के कोर्ट में जाने के कारण इसमें ढील दे दी गई थी। इसे एक बार फिर कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया गया है। अप्रिय अथवा आपातकाल की स्थिति में पैनिक बटन दबाए जाने पर इसका संपर्क विभाग के पोर्टल कंट्रोल रूम से होगा।
और सूचना मिलने पर कंट्रोल रूम जीपीएस से लोकेशन ट्रेस कर तत्काल सहायता उपलब्ध करा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को पालन करने के लिए मुख्यालय से निर्देश दिए हैं कि जो जिन स्कूल बसों में व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस व पैनिक बटन लगे हों, उन्हीं बस को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। यह नियम कैब जैसी टैक्सी सेवाओं के लिए भी अनिवार्य कर दिया गया है। गौरतलब है कि महानगर सेवा के अंतर्गत संचालित इलेक्ट्रिक बसों में पैनिग बटन और ट्रैकिंग डिवाइस इनबिल्ट हैं।
जबकि रोडवेज की बसों में पैनिक बटन और ट्रैकिंग डिवाइस लगाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। एसएम लोकेश कुमार राजपूत ने बताया कि पहले चरण में मेरठ परिक्षेत्र की 150 बसों की पहली सूची मुख्यालय को प्रेषित की जा रही है। उन्होंने बताया कि निगम की ओर से यह कार्य चरणबद्ध तरीके से कराया जाएगा। आरएम केके शर्मा ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में परिवहन निगम ने प्रतिष्ठित बसों में जीपीएस और पैनिक बटन लगाने का निर्णय लिया है। इस काम के शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है।