Tuesday, April 16, 2024
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मछली पालन आर्थिक विकास की धुरी

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KHETIBADI


इस उद्योग पर आधारित अन्य सहायक उद्योग भी हैं जैसे-जाल निर्माण उद्योग, नाव निर्माण उद्योग, नायलोन निर्माण, तार का रस्सा उद्योग, बर्फ के कारखाने आदि उद्योग भी मत्स्य उद्योग से लाभान्वित हो रहे हैं। यह उद्योग बेरोजगारी दूर करने में सहायक है। रोजगारमूलक होने के कारण इस उद्योग के माध्यम से देश की पिछड़ी अवस्था में सुधार किया जा सकता है।

मत्स्य उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जिसे निर्धन से निर्धन व्यक्ति अपना सकता है एवं अच्छी आय प्राप्त कर सकता है तथा समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। विभिन्न माध्यमों से मत्स्य पालन व्यवसाय में लगकर अपना आर्थिक स्तर सुधारा है तथा सामाजिक स्तर में भी काफी सुधार हुआ है। आज मत्स्य व्यापार में लगी महिलाएं-पुरुषों के साथ बराबर का साथ देकर स्वयं मछली बेचने बाजार जाती हैं, जिससे उनकी इस व्यवसाय से संलग्न रहने की स्पष्ट रूचि झलकती दिखाई देती है।

मछली पालन का महत्व

भारतीय अर्थव्यवस्था में मछली पालन एक महत्वपूर्ण उद्योग है, जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। ग्रामीण विकास एवं अर्थव्यवस्था में मछली पालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। मछली पालन के द्वारा रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। मत्स्योद्योग एक महत्वपूर्ण उद्योग के अंतर्गत आता है तथा इस उद्योग को शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है। इस कारण इस उद्योग को आसानी से शुरू किया जा सकता है।

विपणन माध्यम

मत्स्य पालन के बाद इनके विपणन की प्रक्रिया या उपयुक्त बाजार की सुविधा का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि नियमित बाजार के माधयम से ही हम सही कीमत प्राप्त कर सकते है। प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले बाजारों में छोटे-छोटे मछुआरे लोग मछली बेचते हैं, जबकि बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाले किसान या तो खुद बाजारों में बेचने के लिए ले जाते हैं या फिर होलसेलर के पास बेच देते, इस प्रकार आढ़तिया जो है, छोटे-छोटे खुदरा व्यापारियों के पास बेच देता है, खुदरा व्यापारी जो है अपना लाभ निकालकर अन्य लोगों के पास बेच देते हैं, इस प्रकार मत्स्य पालन का मार्केटिंग का कार्य किया जाता है।

मत्स्य पालन से लाभ

मत्स्य पालन आज कई देशों में विदेशी मुद्रा अर्जन करने का एक मुख्य साधन बन गया है। भारत जैसे अन्य कई देश जहां मत्स्य की खपत कम है परंतु उत्पादन अधिक है, वहां मत्स्य का निर्यात करके भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा इससे प्राप्त की जाती है। जिन देशों में मत्स्य खपत से अधिक उत्पादन होता है वे देश ऐसे देशों को जहां खपत से कम उत्पाद ना हो, को भारी मात्रा में मत्स्य का निर्यात करते हैं। कई देशों में अंतरराष्ट्रीय बाजार से धन प्राप्त करने का एकमात्र जरिया मत्स्य उत्पादन और मत्स्य निर्यात पर टिका है।

रोजगार के अवसर

इस उद्योग पर आधारित अन्य सहायक उद्योग भी हैं जैसे-जाल निर्माण उद्योग, नाव निर्माण उद्योग, नायलोन निर्माण, तार का रस्सा उद्योग, बर्फ के कारखाने आदि उद्योग भी मत्स्य उद्योग से लाभान्वित हो रहे हैं। यह उद्योग बेरोजगारी दूर करने में सहायक है। रोजगारमूलक होने के कारण इस उद्योग के माध्यम से देश की पिछड़ी अवस्था में सुधार किया जा सकता है। चूंकि कृषि भूमि में कोई वृद्धि नहीं हो रही है तथा ज्यादातर कृषि कार्य मशीनरी से होने लगे हैं इसलिए देश की निर्धनता की स्थिति और भी भयावह होती जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्र में मत्स्यपालन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों को प्रोत्साहन देना होगा तभी ग्रामीण सामाजिक स्तर सुधारा जा सकेगा। सामाजिक विकास के लिए निर्धन, बेरोजगार अशिक्षित लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए मत्स्यपालन उद्योग, जो कि एक सुलभ, सस्ता एवं कम समय में अधिक आय देने वाला है, व्यवसाय को अपनाने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता होगी। मत्स्य पालन व्यवस्था शुरू करने के पहले मत्स्य पालकों को उन्नत तकनीकी की जानकारी देने तथा प्रशिक्षण देना होगा।

अगर मत्स्यपालन उन्नत तकनीकी से किया जाएगा तो निश्चित रूप से मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा और जब मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा तो आय में वृद्धि होगी और आय में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से सामाजिक स्तर सुधरेगा क्योंकि आर्थिक अभाव में जहां निर्धन व्यक्तियों का जीवनस्तर गिरा हुआ था उसमें सुधार होगा, परिवार के बच्चों को शिक्षित कर सकेंगे और जब बच्चे शिक्षित हो जाएंगे तो समाज में उनका स्तर ऊंचा होगा तथा हीनभावना की कुंठा से मुक्ति मिलेगी और यही शिक्षित बच्चे समाज के अन्य सदस्यों को अपना सामाजिक स्तर सुधारने में विशेष योगदान दे सकेंगे। अत: इनको स्वरोजगार में लगाना आवश्यक है।

माधवी खिलारी


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